हाथरस मामले में कल योगी आदित्यनाथ की सरकार हाईकोर्ट के सामने बेनकाब हो गई।

हाथरस घटना को कभी जातिवादी संघर्ष, कभी भीम आर्मी फंडिंग और कभी नक्सल कनेक्शन से जोड़ने वाली सरकार ने न्यायालय में इन तीनों मुद्दों पर कोई बातचीत नहीं की।

सरकार सिर्फ नाटक की पटकथा/स्क्रीप्ट लिख रही थी उनके पास इस मामले में कोई सुबूत ना थे। सरकार और सरकार के अधिकारियों की अकर्मण्यता पर कोर्ट ने जबरदस्त फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि क्या वह बेटी अगर अमीर घर की होती तो आप उसको ऐसे ही चोरी-छिपे काली रात के अंधेरे में जला देते। बीजेपी सरकार के अधिकारी चीख चीख कर कहते रहे कि पीड़िता के साथ रेप नहीं हुआ। कोर्ट ने जब पूछा कि आपको कैसे पता तो सब अधिकारियों के चेहरे पर सन्नाटा छा गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, एडीजी लॉ एंड समेत सरकार के अधिकारियों के दिए गए बयान से योगी सरकार का जातीय चेहरा, योगी सरकार का अपराधियों को संरक्षण देने का चेहरा, बलात्कारियों और दरिंदों को बचाने वाला चेहरा देश के सामने आ गया है।। सुनील सिंह साजन, समाजवादी पार्टी, प्रवक्ता एवं एमएलसी

 

लखनऊ से राघवेंद्र सिंह की रिपोर्ट !

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