विश्व की दवा लाबी में फिर मची खलबली- भारत मे वैक्सीनेशन का आंकड़ा बढ़कर 18 करोड़ के पार
बरेली।बच्चों को कोरोना के संभावित खतरे से बचाने के लिए जब भारत सरकार ने कोवाक्सिन वेक्सीन की निर्माता भारत बायोटेक को बच्चों के लिए वेक्सीन का परीक्षण की अनुमति दे दी है। जिससे अब एक बार फिर से विश्व की दवा लाबी में फिर खलबली मच गई है क्योकि भारत में ही सबसे अधिक वेक्सीन का प्रोडक्शन होता है । कोविड काल मे भारत ने वेक्सीन का निर्यात भी किया था। यह पूरा विश्व भी जानता है । उधर अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी अमीर देशों से बच्चों को अभी टीका नहीं लगाने की अपील की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह चेतावनी भी दी है कि कोविड-19 महामारी का दूसरा साल अब ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है। लगता है उस पर भी दवा लाबी का दवाब हो सकता है। अगर अमेरिका की बात की जाये तो वहां कोरोना संक्रमण के मामले में कमी हो रही है। मगर विशेषज्ञ अब नए खतरे को लेकर भी चिंता में हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2021 की शुरुआत से ही अमेरिकी बच्चों में कोरोना के संक्रमण के मामले वयस्कों की तुलना में ज्यादा सामने आए हैं। इससे आशंका पैदा हो गई है कि क्या कोरोना अब बच्चों के लिए भी गंभीर संकट बनने जा रहा है।। भारत में भी कई विशेषज्ञ बच्चों को होने वाले खतरों को लेकर चेतावनी दे चुके हैं। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन के मुताबिक, अप्रैल की शुरुआत में छोटे बच्चों से लेकर 12 साल तक की उम्र के बच्चों में कोरोना के मामले 65 या उससे ऊपर के वयस्कों की तुलना में बढ़ गए। ताजा आंकड़े भी भारत मे इस रुख के बरकरार रहने की ओर इशारा करते हैं। यही नहीं, कोरोना के कारण बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की दर में भी कमी नहीं आई है। ऐसे में रिसर्च करने वालों को आशंका है कि कोरोना के वेरियंट युवाओं को नए-नए तरीके से प्रभावित कर रहे हैं।
स्मरण रहे चीन से प्रभावित होने के आरोप वाला विश्व स्वास्थ्य संगठन अब अमीर देशों से बच्चों को अभी टीका नहीं लगाने की अपील की है।साथ ही यह चेतावनी भी दी है कि कोविड-19 महामारी का दूसरा साल ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है, इसे देखते हुए अमीर देशों को फिलहाल बच्चों को वैक्सीन देने की जगह उसे गरीब देशों को दान करना चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संघटन के प्रमुख ट्रेडोस एदनम ने यह आवाज अब उस वक्त उठाई है जब कई अमीर देशों ने बच्चों और किशारों को कोरोना वेक्सीन देना शुरू कर दिया है, जबकि अभी भी कई गरीब देश मुश्किल से स्वास्थ्य कर्मियों एवम सबसे जोखिम वाले कोरोना वारियर्स के लिए भी वेक्सीन देने का यह अभियान शुरू करने में समस्या उठा रहे हैं। पत्रकार निर्भय सक्सेना को कोविड एप से मिली जानकारी के अनुसार भारत में कोविड-19 के अब 3 लाख 26 हजार 098 नए मामले आने के बाद कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 2 करोड़ 43 लाख 72 हजार 907 हुई। 3 हजार 890 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 2 लाख 66 हजार 207 हो गई।
3 लाख 53 हजार 299 नए डिस्चार्ज के बाद कुल डिस्चार्ज की संख्या 2 करोड़ 04 लाख 3 हजार 898 हुई। देश में अभी सक्रिय मामलों की कुल संख्या 36 लाख 73 हजार 802 बताई जा रही है। भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस की 11 लाख 0 हजार 625 वैक्सीन लगाई गईं, जिसके बाद कुल वैक्सीनेशन का आंकड़ा बढ़कर 18 करोड़ 04 लाख 57 हजार 579 पर पहुंच गया है।
सेवा निर्वत प्रधानाचार्य सुरेश बाबू मिश्रा का कहना है कि देश कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहा है। हमारे स्वास्थ्य विशेषज्ञ देश में तीसरी लहर के आने की चेतावनी दे रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ यह भी आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि तीसरी लहर का कोरोना वेरिएंट दूसरी लहर से भी अधिक घातक होगा। उनके अनुसार तीसरी लहर का वैरिएन्ट बच्चों को बहुत तेजी से अपनी गिरफ्त में लेगा। इसलिए वे सरकार को सलाह दे रहे हैं कि तीसरी लहर से कारगर ढंग से निपटने के लिए अभी से मजबूत स्वास्थ्य संचार विकसित किया जाए जिससे मौतों के आंकड़ों को कम से कम किया जा सके।
बच्चे हमारे देश का भविष्य हैं उन्हें कोरोना की आपदा से सुरक्षित रखना जरूरी है। बाल स्वभाव को देखते हुए उनसे कोरोना प्रोटोकॉल के पूरी तरह से पालन करने की उम्मीद करना भी बेमानी है। ऐसे में वैक्सीन ही उन्हें पूरी तरह से सुरक्षित रख सकती है। इसलिए हमारे देश में बच्चों के लिए कोरोना की वैक्सीन शीघ्र से शीघ्र बनना जरूरी है। अमेरिका में बच्चों के लिए फाइजर वैक्सीन बन गई है और 12 से 15 वर्ष तक के बच्चों में इसका वैक्सीनेशन भी शुरू हो चुका है। कनाडा में भी बच्चों का वैक्सीनेशन प्रारम्भ हो गया है।
हमारे देश में बच्चों की वैक्सीन बनाने का काम शुरू हो चुका है। को-वैक्सीन बनाने वाली फार्मा कम्पनी बायोटेक बच्चों की वैक्सीन बनाने के काम में लगी हुई है। मगर कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए इस काम में तेजी लाने की आवश्यकता है। देश की एक-दो और फार्मा कम्पनियों को भी बच्चों की वैक्सीन बनाने के काम में लगाया जा सकता है। देश में विश्व के श्रेष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ, वैज्ञानिक एवं विश्व स्तरीय फार्मा कम्पनियां है। वे सब मिलकर बच्चों की वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाए यह समय की आवश्यकता है।
देश में एक माह से लेकर 18 वर्ष तक के बच्चों एवं किशोरों की कुल संख्या देश की आबादी का लगभग 30 प्रतिशत है। एक अधिकारिक आंकलन के अनुसार देश में बच्चों एवं किशोरों की कुल संख्या 36 करोड़ के आस-पास है। इतनी विशाल संख्या को वैक्सीन उपलब्ध कराने और उनका वैक्सीनेशन करने में समय लगेगा। इसलिए जितनी जल्दी सम्भव हो बच्चों एवं किशोरों के लिए पर्याप्त संख्या में वैक्सीन का उत्पादन सुनिश्चित करना चाहिए जिससे समय रहते बच्चों का वैक्सीनेशन अभियान शुरू हो सके। प्रस्तुति निर्भय सक्सेना
बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !