जिला प्रशासन के सहयोग से मठ गद्दी श्री तुलसीदास जी महाराज में तीन दिवसीय महर्षि बाल्मीकि रामायण का अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है
जनपद बरेली के अलखनाथ मंदिर के पास स्थित तुलसी मठ का भी अपना एक गौरवशाली इतिहास है, यह स्थल 6000-7000 वर्षों से ऋषि मुनियों की तपस्थली रही है
बाल्मीकि लिखित ‘‘रामायण‘‘ में राम के चरित्र के माध्यम से परिवार एकता, सामाजिक एकता एवं सुरक्षा के महत्वपूर्ण गारंटी मिलती है। इसी को राम राज्य कहते है
बरेली, 29 मार्च। चैत्र नवरात्र एवं श्री राम नवमी के पावन पर्व पर नाथ नगरी बरेली में जिला प्रशासन के सहयोग और महंत पूज्य श्री नीरज नयन दास जी महाराज की प्रेरणा से मठ गद्दी स्थल श्री तुलसीदास जी महाराज में महर्षि वाल्मीकि कृत रामायण के अखंड पाठ का आयोजन किया जा रहा है। यह पाठ सप्तमी तिथि से प्रारंभ होकर नवमी तिथि तक लगातार चलता रहेगा।
महर्षि बाल्मीकि कृत रामायण धार्मिक ग्रंथ के साथ विश्व के पुरातन इतिहास भूगोल ज्योतिष दर्शन एवं सामाजिक व्यवहार की बड़ी ही सुंदर जानकारी देता है धार्मिक एवं सामाजिक दोनों ही दृष्टि से यह ग्रंथ अति उत्तम है।
मानवता का निर्माण और संहार का परिहार रामायण की विषय वस्तु के दो प्रमुख तत्व हैं। भगवान बाल्मीकि ने सामाजिक समरसता मानव गौरव और भ्रातृत्व की विराट भावना का आदर्श मानव समाज को सर्वप्रथम प्रदान किया।
रामायण मुख्यतः एक पारिवारिक महाकाव्य है, जिसमें लोक कल्याण की भावना प्रबल है। रामायण के माध्यम से महर्षि बाल्मीकि ने वेदों का सार और वैदिक सूक्तियों का वैभव मानव जाति तक पहुंचाने का अद्भुत प्रयास किया है।
करूण रस से ओतप्रोत लौकिक संस्कृत साहित्य का यह प्रथम ग्रंथ है। रस भाषा शैली, भाव एवं विचार के दृष्टिकोण से भी इस ग्रंथ को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। संस्कृत साहित्य का यह आरंभिक महाकाव्य है जो अनुष्टुप छंदों में रचित है।
इसके साथ-साथ कुछ श्लोक उपजाति और इंद्रवज्रा छंदों में भी प्राप्त होते हैं। इस ग्रंथ में चतुर्विधि पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का पूर्ण वर्णन है। इस महाकाव्य में 24000 श्लोक, सात अध्याय और 645 सर्ग हैं।
संस्कृत मंत्रों के उच्चारण से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रस्फुटन होता है संस्कृत भाषा के उत्थान एवं जन जागरण में महर्षि बाल्मीकि कृत रामायण को प्रचार करने के उद्देश्य से और समाज को परस्पर मानवता एवं त्याग तथा प्रेम संदेश देने के लिए और आपसी सौहार्द्र को बनाए रखने के लिए इस पाठ का आयोजन किया गया।
जनपद बरेली के अलखनाथ मंदिर के पास स्थित तुलसी मठ का भी अपना एक गौरवशाली इतिहास है, यह स्थल 6000-7000 वर्षों से ऋषि मुनियों की तपस्थली रही है। इसको प्राचीन काल में पंचाल क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता था। संत तुलसीदास जी ने इस स्थान की महिमा को जानकर यहां आश्रम की स्थापना की। बाद में लगभग 500 वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने यहां श्रीरामचरितमानस पाठ किया था। श्री राम जन्मभूमि को भी इस तपोस्थली की सेवा प्राप्त है।
तुलसी मठ के महंत पूज्य श्री नीरज नयन दास जी महाराज और नाथ नगरी बरेली के जिलाधिकारी श्री शिवाकान्त द्विवेदी जी ने रामायण के सामाजिक महत्व को समझते हुए और तुलसी मठ की पावनता को देखते हुए यहां अखंड पाठ कराने का चिंतन किया। जिसमें नवरात्रि की सप्तमी तिथि और राम नवमी के अवसर पर इसको बहुत शुभ मानते हुए इस पाठ का आरंभ किया। यह आयोजन भविष्य में भी चलता रहेगा।
डॉ0 कमला पांडेय, पंडित शिव अवतार मिश्र, आचार्य ब्रह्म स्वरूप जी, श्री सतीश वशिष्ठ जी, डॉ0 ऋषभ भारद्वाज जी, पंडित ऋषभ शर्मा, पंडित मानस जी, पंडित राघव मिश्रा आदि के द्वारा निरंतर अखंड पाठ चल रहा है।
महर्षि बाल्मीकि रामायण के अखंड पाठ के साथ-साथ, तुलसी मठ में श्रीरामचरितमानस का नवान्हपारायण और श्री दुर्गा सप्तशती पाठ का भी आयोजन किया गया। यही नहीं श्री राम जन्मोत्सव का बधाई उत्सव भी बड़े ही धूमधाम से नवमी तिथि को मनाया जाएगा।
भारत सहित पूरे विश्व के लिए भगवान राम का चरित्र तब तक महत्वपूर्ण रहेगा जब तक समाज में आशक्ति, तृष्णा (लालच), आपासी विद्देश, जाति विद्देश, धार्मिक विद्देश तथा आर्थिक असमानता तथा दुनिया में बना रहेगा।
क्योंकि बाल्मीकि लिखित ‘‘रामायण‘‘ में राम के चरित्र के माध्यम से परिवार एकता, सामाजिक एकता एवं सुरक्षा के महत्वपूर्ण गारंटी मिलती है। इसी को राम राज्य कहते है।
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग
गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स मैगज़ीन