भाग जायेगा कोरोना

कोरोना का जोर है.
गली- गली में शोर है.
रूप- रंग से वंचित ये,
बदसूरत सा मोर है.
ये अदृश्य इस भू पर है,
कैसा काला चोर है.

कान पकाए हैं इसने,
सब जनमानस बोर है.
अभी पता चल जाएगा,
कौन- कौन उस ओर है.
इसका जो स्पर्श हुआ,
मानो भीगी कोर है.
कोरोना से अब मित्रों,
युद्ध बहुत ही घोर है.
इसकी टांग बड़ी लंबी,
ना पाया कुछ छोर है.
सभी पतंगें कट लेंगीं,
टूटेगी हर डोर है.
भग ही जाए कोरोना,
होगी निश्चित भोर है.।। — इंदर देव त्रिवेदी —
214, बिहारी पुर खत्रियान, बरेली ( उत्तर प्रदेश ) – 243003

 

बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

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