अाखिर क्यों नहीं होती राष्ट्रपति और VVIP कारों पर नंबर प्लेट ?
क्या आप अपनी गाड़ी को बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के चला सकते हैं? आपकी गाड़ी पर सामने और पीछे की तरफ रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं होगा तो आपके खिलाफ क्या कार्रवाई होगी? क्या पुलिस आपकी गाड़ी जब्त नहीं कर लेगी? या क्या आपका चालान नहीं हो जाएगा? ये प्रश्न इसलिए हैं ,क्योंकि देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल सहित कई वीवीआईपी की कारों पर रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट आपने कभी नहीं देखी होगी।
इसके अलावा विदेश मंत्रालय के पास भी करीब 14 ऐसी गाड़ियां हैं, जिन पर नंबर प्लेट नहीं लगी है। इन वाहनों का इस्तेमाल विदेशी मेहमानों को आवभगत के लिए किया जाता है। ऐसे में आप ये जरूर सोचते होगें कि आखिर इन गाड़ियों को किस कानून के तहत ऐसा करने की छूट मिलती है? चलिए हम बताते हैं आखिर ऐसा क्यों होता है और किस कानून के तहत इन्हें यह छूट मिलती है। पहले जानते हैं क्या है गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर क्या कहता है कानून…
सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन क्या होता है?
सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन का सीधे औऱ सरल शब्दों में अर्थ यह है कि सरकार की तरफ से किसी भी गाड़ी को सड़क पर चलाने की अनुमति देने के लिए जो सर्टिफिकेट दिया जाता है,उसे रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट कहा जाता है । इसे ही RC या सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन कहा जाता है।इस रजिस्ट्रेशन का नंबर ही आपकी गाड़ी का नंबर कहलाता है, जो दिल्ली में DL, चंडीगढ़ में CH, उत्तर प्रदेश में UP, उत्तराखंड में UK, पंजाब में PB और बिहार में BR से शुरू होता है। किसी भी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन 15 साल के लिए होता है। इसके बाद यह रजिस्ट्रेशन स्वत: खत्म हो जाता है, हालांकि अगर गाड़ी अच्छी स्थिति में है और सारे टेस्ट पास कर लेती है तो रजिस्ट्रेशन को 5-5 साल के लिए रिन्यू भी किया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन नंबर के बिना किसी भी गाड़ी को सड़क पर चलने की अनुमति नहीं दी जाती है। रजिस्ट्रेशन नंबर आपकी गाड़ी पर साफ-साफ और उचित तरीके से अंकित होना चाहिए। यही नहीं गाड़ी चलाते वक्त आपके पास उसकी आरसी होना भी जरूरी होता है।
तो इसलिए मिलती है माननीयों को छूट
जबकि इस कानून के विपरीत राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यों के राज्यपाल सहित कई VVIP की कारों पर रजिस्ट्रेशन नंबर प्लेट नहीं लगाने की छूट मिलती है । जब इस बारे में पूर्व ज्वाइंट कमिश्नर दिल्ली पुलिस मैक्सवेल परेरा से बात की गई। तो, उन्होंने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में बताया कि हम आज भी ब्रिटिश सिस्टम को ढो रहे हैं। ब्रिटिश सिस्टम के तहत माना जाता था, ‘किंग कैन डू नो रॉन्ग’ मतलब राजा कुछ भी गलत नहीं कर सकता। शायद यही कारण रहा है कि आज तक राष्ट्रपति व कई अन्य माननीयों की गाड़ियों पर रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं होता। अपनी बात को आगे बढाते हुए ,उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सभी के लिए रजिस्ट्रेशन नंबर जरूरी होना चाहिए और हमें ब्रिटिश काल के हैंगओवर से बाहर निकलना चाहिए। वीवीआईपी की बिना रजिस्ट्रेशन नंबर की गाड़ी से अगर किसी का एक्सीडेंट भी हो जाता है तो उसके ड्राइवर के खिलाफ कार्रवाई होगी न ही VVIP के खिलाफ ।
टैंपरेरी नंबर पर कितने दिन चला सकते हैं गाड़ी
अगर आपने नई गाड़ी ली है तो उसके साथ एक टैंपरेरी (अस्थायी) रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता है। इस नंबर के साथ भी आप अपनी गाड़ी चला सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि इस टैंपरेरी रजिस्ट्रेशन के साथ आप किसी भी सूरत में एक माह से ज्यादा गाड़ी नहीं चला सकते और यह रिन्यू भी नहीं होता है। यही नहीं एक महीने से पहले आपकी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन पूरा हो गया है तो आपको तुरंत उसे अपनी गाड़ी पर इंगित करना होगा, क्योंकि सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन मिल जाने के बाद आपका टैंपरेरी नंबर निरस्त हो जाता है।
12 महीने की डेडलाइन याद रखें…
यह तो आप जानते ही हैं कि आप भारत के किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से गाड़ी लेते हैं तो उसका रजिस्ट्रेशन सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मान्य होता है। लेकिन आपके लिए यह भी जान लेना जरूरी है कि अगर आपने किसी एक राज्य से गाड़ी ली है और आप 12 महीने से ज्यादा वक्त से किसी दूसरे राज्य में अपनी गाड़ी के साथ रह रहे हैं तो आपको उसी राज्य में अपनी गाड़ी का फिर से रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। उदाहरण के तौर पर जैसे आपने दिल्ली में कार खरीदी तो उसका रजिस्ट्रेशन DL से शुरू होगा, लेकिन आपका ट्रांसफर लखनऊ हो जाता है और आप 12 महीने से ज्यादा वक्त से वहां रह रहे हैं। ऐसा होने पर आपको UP नंबर से अपनी कार का रजिस्ट्रेशन फिर से कराना होगा। इसके लिए आपको दिल्ली (आपके पूर्व राज्य) की अथॉरिटी से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट भी लेना होगा। यह जानकारी आपको मोटर वहिकल एक्ट 1988 में विस्तार से दी गई है।
एनजीओ ने दाखिल की थी याचिका
लेकिन एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) न्यायभूमि ने राष्ट्रपति और VVIP कारों पर नंबर प्लेट लगााने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। याचिका में दावा किया गया कि रजिस्ट्रेशन नंबर की जगह चार सिंह वाले राजकीय प्रतीक को प्रदर्शित करने वाली गाड़ियों पर अपने आप ही ध्यान चला जाता है और इसे आतंकवादी और गलत इरादा रखने वाला कोई भी आसानी से निशाना बना सकता है।
जिसके बाद रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे मिनिस्ट्री ने दिल्ली हाई कोर्ट की एक्टिंग चीफ जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी. हरि शंकर की बेंच के समक्ष दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि, उसने संबंधित प्राधिकारों को इन व्हीकल्स का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पत्र लिखा है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपालों और उपराज्यपालों के व्हीकल्स पर जल्द ही अब रजिस्ट्रेशन नंबर नजर आएगा।
हलफनामे में क्या कहा गया है
हलफनामे में कहा गया है कि देश में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपालों और उपराज्यपालों और सचिव (विदेश मंत्रालय) को 2 जनवरी 2018 की तारीख वाले पत्र में सुनिश्चित करने को कहा गया है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के सचिवालय, राज्यपाल, उपराज्यपाल या उनके अधिकारियों, सचिवालय और विदेश मंत्रालय में इस्तेमाल होने वाले व्हीकल्स का अगर पंजीकरण नहीं हुआ है तो कराया जाए और नियम के मुताबिक रजिस्ट्रेशन चिह्न प्रदर्शित किया जाए।
उपराष्ट्रपति की पत्नी की कार का भी होगा रजिस्ट्रेशन
केंद्र सरकार के स्थायी वकील राजेश गोगना के जरिए दाखिल हलफनामे में यह भी कहा गया है कि पत्र में उपराष्ट्रपति सचिवालय ने सूचित किया है कि देश के उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी के इस्तेमाल वाले व्हीकल्स सहित इस सचिवालय के सभी व्हीकल अपना रजिस्ट्रेशन नंबर प्रदर्शित करते हैं। हाई कोर्ट को बताया गया है कि विदेश मंत्रालय ने भी सूचित किया है कि उसके पास 14 वाहन हैं जिसका इस्तेमाल विदेशी उच्चाधिकारियों के दौरे के दौरान होता है। मंत्रालय ने वाहनों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है।