वीरेन्द्र वर्मा एडवोकेट बरेली में थे राजनीति के चाणक्य- निर्भय सक्सेना
श्री वीरेन्द्र वर्मा एडवोकेट भूतपूर्व अध्यक्ष नगर पालिका, बरेली का जन्म नगर के प्रतिष्ठित कायस्थ परिवार में 1925 में हुआ था। श्री वीरेन्द्र वर्मा के पिता मास्टर चन्द्र सहाय नगर के प्रसिध विद्यालय के. डी. ई. एम. इंटर काॅलेज, बरेली में प्रवक्ता थे और प्रिन्सिपल के पद से रिटायर हुए थे। उनका पूरा परिवार आर्यसमाज से और राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत था। श्री वीरेन्द्र वर्मा सात भाइयों में सबसे बड़े थे। उल्लेखनीय यह है इनके अनुज स्वर्गीय धीरेन्द्र वर्मा की संगत में रहकर ही वीरेन्द्र वर्मा जी राष्ट्रीय स्वम सेवक संघ (आर. एस. एस) में शामिल हुए।भाई श्री धीरेन्द्र वर्मा का अल्पायु में राजनैतिक जेल यात्रा के फलस्वरूप निधन हो गया था।
श्री वीरेन्द्र वर्मा आर. एस. एस. के सक्रिय सदस्य थे और राष्ट्रीय भावना से भरे हुए थे। उन्हीं गुणों को देखते हुए वीरेन्द्र वर्मा संघ को जिला प्रचारक नियुक्त किया गया था। उनका मुख्य कार्यक्षेत्र बुलंदशहर और खुरजा में रहा। इसी कारण इनकी शिक्षा बाधित होती रही। संघ पर प्रतिबंध हटने के बाद वीरेन्द्र वर्मा बरेली आ गये और अपनी शिक्षा पूर्ण की और कानून का अध्ययन किया। वीरेंदर वर्मा की कर्मठता को देखते हुए भारतीय जनसंघ ने प्रथम आम चुनाव में 1952 में जनसंघ के उम्मीदवार मनमोहन लाल माथुर एडवोकेट का चुनाव सहायक नियुक्त किया था । मनमोहन लाल माथुर जी उस समय, प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे पं. गोविंद बल्लभ पंत के विरूध, बरेली में नगर विधायक का चुनाव लड़ रहे थे। इस चुनाव में वीरेन्द्र वर्मा की कुशलता को देखते हुए जनसंघ पार्टी ने वार्ड नंबर 6 से भी अपना उम्मीदवार वीरेन्द्र वर्मा को बनाया। उस समय एक वार्ड से तीन सभासद चुने जाते थे। उन्होंने सर्वाधिक मत लेकर सभासद का चुनाव जीता और नगर पालिका गठन होने पर सीनियर वाइस प्रेसिडेंट चुने गए। उस समय नगर पालिका के चेयरमैन मौलवी अब्दुल वाजिद थे। अब्दुल बाजिद के विरूध अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर श्री वीरेंद्र वर्मा अल्पायु में ही नगर पालिका, बरेली के चेयरमैन बन गए और अपनी सक्रियता से नगर पालिका की आय में आशातीत इजाफा भी कराया।
इसी समय इनका विवाह जीवन लता वर्मा जी से हुआ था। बाद में वह पार्टी के कार्य में समर्पित हो गए। 1975 में इमरजेंसी लागू होने पर श्री वीरेन्द्र वर्मा भूमिगत हो गए और बाद में गिरफ्तार कर लिए गये। यही वो समय था पिताजी मास्टर चंद्र सहाय का देहांत हो गया और यह उनकी अंतिम यात्रा में भी शामिल नहीं हो पाए। सबसे छोटे भाई देवेन्द्र सक्सेना के विवाह समारोह में भी शामिल न हो सके। उनके भाई धीरेंद्र वर्मा को संघ से जुड़े होने पर गांधी हत्याकांड में संघ कार्यकर्ता होने के नाते गिरफ्तार भी होना पड़ा था। श्री वीरेंदर वर्मा जी का 25 जनवरी 2003 में निधन हुआ। आज भी वीरेंद्र वर्मा के सम्मान में संतोष कुमार गंगवार जी के कार्यालय भारत सेवा ट्रस्ट पर हर वर्ष हवन कर बीरेंद्र वर्मा जी को याद किया जाता है।
वीरेन्द्र वर्मा जी के समर्पण भाव को देखते हुए तत्कालीन जनता पार्टी आलाकमान ने दो कर्मठ युवाओं के नाम सुझाने को उनसे कहा जो काफी समय तक नगर की सेवा कर सके। बीरेन्द्र वर्मा जी ने हाइकमान के आदेश का पालन करते हुए श्री संतोष कुमार गंगवार और डाॅ. दिनेश जौहरी के नाम प्रस्तावित किये जो आज भी नगर और राष्ट्र की सेवा में लगे हुए है। श्री वीरेन्द्र वर्मा एडवोकेट ने स्वयं कभी किसी पद की लालसा नहीं की और हमेशा संतोष कुमार गंगवार के चुनाव की कमान संभालकर उन्हें विजयश्री भी दिलवायी। जिस कारण उसी रास्ते पर चलकर श्री संतोष कुमार गंगवार लगातार 8 बार सांसद का चुनाव जीते। आज भी केंद्रीय नरेन्द्र मोदी जी की सरकार में संतोष कुमार गंगवार श्रम मंत्री है।। निर्भय सक्सेना, पत्रकार बरेली मोबाइल 9411005249
बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !