प्रदेश के मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व में कोरोना महामारी पर नियंत्रण के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की प्रसंशा
बरेली : कोविड-19 वैश्विक महामारी से लड़ने हेतु पिछले वर्ष देशव्यापी पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया था। जिसमें सभी प्रकार की गतिविधियां रूक गयी थी। केवल बहुत आवश्यक गतिविधियों को ही जैसे सब्जी, फल, खाद्य सामग्री, प्रशासन आदि को ही उससे छूट प्रदान की गयी थी।
विगत वर्ष के अनुभवों का प्रयोग करते हुए उ0प्र0 की वर्तमान सरकार द्वारा कोरोना महामारी की दूसरी लहर को रोकने हेतु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश में पूर्ण लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गयी, बल्कि आंशिक कोराना कर्फ्यू लगाया गया। आंशिक कोरोना कर्फ्यू के अन्तर्गत ‘‘जान भी-जहान भी’’ के मंत्र के साथ जीवन और जीविका दोनों को बचाने के उद्देश्य से औद्योगिक गतिविधियों, आर्थिक गतिविधियों, आवश्यक सामग्रियों से सम्बंधित आवागमन तथा उनसे सम्बंधित दुकानों को खुला रखा गया, जिससे सामान्य जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं हुई और बीमारी पर नियंत्रण भी पाना संभव हुआ है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री जी ने उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के नियंत्रण एवं रोकथाम हेतु एक अभिनव 3टी मॉडल का प्रयोग किया है। टेस्ट, ट्रैक एवं ट्रीट की इस नीति के अन्तर्गत जहां एक ओर उत्तर प्रदेश में कोविड-19 जांच का दायरा बढ़ाया गया है और यह प्रतिदिन 3 लाख से अधिक जांचों तक किया गया है, वहीं दूसरी ओर कोरोना के लक्षण वाले मरीजों को ट्रैक कर उनके समुचित उपचार की व्यवस्था की गयी।
प्रदेश में कोविड-19 डेडिकेटेड अस्पताल तथा उनमें ऑक्सीजन बेडों की संख्या बढ़ायी गयी। सभी सीएचसी में 20-20 ऑक्सीजन कंसट्रेटर उपलब्ध कराये जा रहे हैं। प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी न होने पाये, इसके लिए 427 ऑक्सीजन प्लांट लगाये जा रहे हैं, जिनमें से 80 प्लांट क्रियाशील हो चुके हैं।
मुख्यमंत्री द्वारा कोरोना महामारी की संभावित तीसरी लहर के दुष्प्रभावों को कम से कम करने तथा उसमें बच्चों के प्रभावित होने की आशंका को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक जिले में 20-20 बेड तथा सभी मेडिकल कॉलेजों में 100-100 बेड पीआईसीयू (पीकू) (पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट) के तैयार करने की व्यवस्था की है।
प्रदेश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर को रोकने हेतु तथा गांवों में इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए लगभग 97000 निगरानी समितियों को लगाया गया, जिसके माध्यम से गांवों में स्थित प्रत्येक घर तक पहुंचकर संक्रमण की पहचान की गयी व उनका उपचार करने हेतु 12 लाख से अधिक मेडिकल किट बांटी गयी। सर्विलांस व निगरानी समिति की इस व्यवस्था से जहां बीमार वहीं उपचार के प्रधानमंत्री के मंत्र को भी साकार किया जा रहा है। उ0प्र0 सरकार के इस प्रयोग की प्रशंसा विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भी की गयी है।
कोविड-19 महामारी से बचने का एक सुरक्षित व असरदार तरीका वैक्सीनेशन है। मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में प्रथम चरण में 45 वर्ष से अधिक आयुवर्ग व फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीनेशन की शुरूआत की गयी जिसे 01 जून से 18-44 आयुवर्ग में भी विस्तारित कर दिया है। जून माह में 01 करोड़ प्रदेशवासियों के वैक्सीनेशन का लक्ष्य है तथा इसे जुलाई माह में प्रतिदिन 10 लाख वैक्सीनेशन किये जाने का लक्ष्य रखा गया है। तीन महीनों में 10 करोड़ टीकाकरण का लक्ष्य रखा गया है। ज्यादा से ज्यादा लोगों को वैक्सीनेट करने पर कोरोना महामारी पर प्रभावी नियंत्रण पाना संभव हो रहा है।
प्रदेश सरकार के विशेष प्रयासों से 13 जून 2021 तक कुल 01 करोड़ 91 लाख 41 हजार 183 लोगों को वैक्सीन की प्रथम डोज तथा 37 लाख 94 हजार 632 लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज दी जा चुकी है। इस प्रकार अब तक कुल 02 करोड़ 29 लाख 35 हजार 815 डोज लगायी जा चुकी हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश में अभिभावक स्पेशल एवं महिला स्पेशल टीकाकरण भी चल रहा है। अभिभावक स्पेशल टीकाकरण में 12 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों के अभिभावकों का टीकाकरण किया जा रहा है। इस अभियान से हमारे बच्चों को कोरोना महामारी से सुरक्षित रखने में मदद मिल रही है।
कोरोना काल में भी प्रदेश सरकार द्वारा औद्योगिक इकाईयां चालू रखी गयी हैं और इन इकाइयों में कोविड हेल्प डेस्क की स्थापना सुनिश्चित करते हुए सुरक्षित वातावरण में इन इकाइयों को चालू रखा गया है। आंशिक कोरोना कर्फ्यू के दौरान भी ऐसी इकाईयां सुरक्षात्मक उपायों के साथ चालू रखी गईं। ऐसी औद्योगिक इकाइयां जिनमें 50 से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं इन इकाइयों में लगभग 3000 से अधिक कोविड केयर सेंटर स्थापित किये गये, जिससे संक्रमण की स्थिति में ऐसे लोगों को तुरन्त चिकित्सीय सहायता मिल सके।
कोरोना की दूसरी लहर को थामने में उ0प्र0 सरकार की 05 रणनीतियों ने अहम भूमिका निभाई है। इनमें मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये 3 टी (टेस्ट, ट्रेक, ट्रीट), आंशिक कोरोना कर्फ्यू तथा टीकाकरण शामिल हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व का ही परिणाम है कि आज कोरोना के एक्टिव केस घटकर काफी कम हो गये हैं।
कोरोना महामारी ने समाज के सभी वर्गों को बुरी तरह प्रभावित किया है। ऐसे लोगों में बुजुर्ग भी हैं। ऐसे बुजुर्ग जिनके परिवार में उनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है, उनकी देखभाल के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रोजेक्ट एल्डरलाइन की शुरूआत की गयी है एवं एक केन्द्रीय नं0 14567 जारी किया गया है। बड़ी संख्या में बुजुर्गों द्वारा इस सेवा का लाभ लिया जा रहा है।
बड़ी संख्या में ऐसे श्रमिक जो रोज कमाने-खाने वालों की श्रेणी के हैं जैसे-ठेला, खोमचा, रेहड़ी, ई-रिक्शाचालक, नाई, धोबी, मोची आदि की जीविका जो कोरोना काल में रूक गयी है, उनके कल्याणार्थ योगी सरकार द्वारा डायरेक्ट बेनीफीट ट्रांसफर के माध्यम से उनके खातों में एक हजार रू0 ट्रांसफर किये गये हैं।
कोरोना महामारी से मृतकों के ससम्मान अंतिम संस्कार को सुनिश्चित करने के लिए उ0प्र0 सरकार द्वारा पांच हजार रू0 की आर्थिक मदद की जा रही है।
प्रदेश में बहुत से ऐसे बच्चों की पहचान की गयी है, जिन्होंने अपने माता या पिता अथवा दोनों को कोरोना बीमारी के कारण खो दिया है। ऐसे अनाथ बच्चों की देखभाल सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ द्वारा उ0प्र0 मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरूआत की गयी है, इसके अन्तर्गत 4000 रू0 की मासिक सहायता बच्चे के वयस्क होने तक उसके अभिभावक या देखभाल करने वालों को दी जायेगी। ऐसे बच्चे जिनकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है उन्हें मथुरा, प्रयागराज, आगरा, लखनऊ एवं रामपुर स्थित राजकीय बाल संरक्षण गृह में भेजा जायेगा। इन्हें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय व अटल आवासीय विद्यालयों में मुफ्त शिक्षा दी जायेगी।
कोरोना महामारी से यद्यपि हमारा देश व प्रदेश दोनों प्रभावित हुए हैं किन्तु प्रदेश के मुख्यमंत्री जी के कुशल मार्गदर्शन व नेतृत्व में उत्तर प्रदेश इस लड़ाई में विजय प्राप्त करने में सक्षम रहा है। उ0प्र0 के सभी जिलों से आंशिक कोरोना कर्फ्यू हटा लिया गया है तथा जनजीवन तेजी से सामान्य हो रहा है। यह स्थिति मुख्यमंत्री के कुशल नेतृत्व एवं निर्देशन में प्रदेश के जन सामान्य के सहयोग एवं समर्थन से ही सम्भव हो पाई है।