बरेली में सर्राफ को ठगने वाले गिरोह ने डीडीपुरम के व्यापारी से भी ठगे 18 लाख

बरेली : एटीएस का डर दिखाकर शास्त्रीनगर के सर्राफ से 40 लाख रुपये ठगने वाले गिरोह ने डीडीपुरम के व्यापारी से भी 18 लाख रुपये ठगे। शनिवार को गिरोह के पकड़े जाने की जानकारी जब व्यापारी को हुई तो वह साथियों संग प्रेमनगर थाने पहुंचा। व्यापारी से आरोपितों का आमना-सामना कराया गया तो पहचान हुई कि ये वही ठग हैं। जालसाजों ने व्यापारी से भी ठगी की बात स्वीकार की। गिरोह में मेरठ के सोनू, बरेली गौटिया के शाबिर और सुभाषनगर के बंटू तीन नए नाम भी सामने आए हैं।

वीर सावरकर नगर के व्यापारी विवेक अग्रवाल की सेलेक्शन प्वांइट तिराहे पर गजक भंडार व लस्सी की दुकान है। विवेक अग्रवाल के साले के मित्र सेंथल नवाबगंज के संजीव गुप्ता हैं। इसी नाते विवेक और संजीव की दोस्ती हो गई। संजीव गुप्ता की होटल पंचम में एक कार्यक्रम के दौरान उत्तराखंड के गांव दोपरिहिया निवासी आरोपित रविद्र सिंह से मुलाकात हुई। इसके बाद रविद्र सिंह ने संजीव गुप्ता को सोने का काम करने की जानकारी दी। कम पैसे में सोने के सौदे के साथ प्रत्येक सौदे पर 10 प्रतिशत कमीशन अलग से दिलाने का झांसा दिया गया। संजीव ने यह बात विवेक को बताई। सोने के लेन-देन को लेकर इसके बाद रविद्र ने बहेड़ी के एक ढाबे में बैठक की।

बैठक में रविद्र ने गिरोह का सरगना पल्लवपुरम

कंकरखेड़ा मेरठ निवासी चंद्रपाल वर्मा को भी लेकर साथ आया। सोने का सैंपल दिखाया गया। व्यापारी को सोने के सौ फीसद खरे होने का भरोसा हो जाए, इसके लिए ठग ने व्यापारी से सोने की जांच कराकर ही सौदा करने की बात कही। सैंपल की जांच कराई गई तो सोना खरा निकला। इसी के बाद पांच-पांच लाख रुपये की विवेक ने दो डील की। दोनों बार में पांच-पांच लाख रुपये के बदले उसे सौ ग्राम सोने के बिस्किट मिले, जिसे उसने बाजार में बेचा और मुनाफा कमाया।

तीसरी बार में सर्राफ की तरह फंसा व्यापारी, पलिया में लेन-देन फिर दबिश

दोनों सौदों में माल भी खरा निकला और तय बात पर अमल भी हुआ। मुनाफे का सौदा देख व्यापारी ठगों के झांसे में आ गया। तीसरी बार में ठगों से व्यापारी ने 18 लाख रुपये में चार सौ ग्राम सोने का सौदा किया। बस यही से खेल गया हो गया। सौदा तय होने के बाद चंद्रपाल और रविद्र ने विवेक को पलिया लखीमपुर स्थित एक पेट्रोल पंप पर एक नवंबर को बुलाया। विवेक अपनी गाड़ी से दो साथियों संजीव गुप्ता व सुबोध अग्रवाल निवासी चाहबाई के साथ पलिया पहुंचा। वहां चंद्रपाल और रविद्र ने विवेक को सोना दिखाया। सोने के बदले विवेक ने ठग को 18 लाख रुपये दे दिए। सौदे के बाद सभी बरेली के लिए निकले। विवेक और संजीव गुप्ता चंद्रपाल की गाड़ी में थे, जबकि तीसरा साथी सुबोध अग्रवाल कार लेकर पीछे-पीछे चल रहा था। चंद्रपाल के साथ एक गाड़ी और थी, जिसमें शाबिर व बंटू निवासी सुभाषनगर व सोनू दूसरी गाड़ी से चल रहे थे। कुछ दूर आगे चलकर चंद्रपाल ने एक ढाबे पर काम बताकर गाड़ी रोकी और ढाबे में चला गया। इसी के बाद फर्जी एटीएस बन आरोपितों ने दबिश दी और सोनू को उठा ले गया। इस पर चंद्रपाल, रविद्र, विवेक, संजीव व सुबोध को एटीएस की छापेमारी का डर दिखा भाग गए। व्यापारी ने जब रकम की मांग की तो चंद्रपाल व रविद्र टहलाते रहे। एटीएस के पीछे लगे होने की बात कह कम फोन करने का हवाला देता रहा।

सोने के काम के लिए व्यापारी ने तीन प्रतिशत ब्याज पर ले लिए थे रुपये

विवेक अग्रवाल, संजीव गुप्ता व सुबोध अग्रवाल तीनों आपस में मित्र हैं। दो बार सोने के काम में मुनाफे के बाद तीनों ने धंधे में पार्टनरशिप कर ली। तीसरी बार में 400 ग्राम सोने के लिए 18 लाख रुपये का जो सौदा हुआ, उसमें संजीव गुप्ता ने सात लाख रुपये, विवेक अग्रवाल ने नौ लाख रुपये व सुबोध ने दो लाख रुपये की व्यवस्था कर 18 लाख रुपये जुटाए। इसमें विवेक ने तो एक सर्राफ से तीन प्रतिशत ब्याज पर पांच लाख रुपये लिये थे।

मुख्य आरक्षी बृजेश सिंह करता था कवरअप, व्यापारी से ठगी की दबिश में था शामिल

अमरोहा के रजबपुर नाई गांव निवासी मुख्य आरक्षी बृजेश सिंह ने शुक्रवार को कहा था कि वह सिर्फ सर्राफ से ठगी की वारदात में दी गई दबिश में शामिल था, लेकिन,जब विवेक अग्रवाल व उनके साथियों ने बृजेश सिंह को देखा तो बोले की दबिश में यह भी शामिल था। बृजेश दबिश के दौरान कवरअप देता था। पिस्टल तान देता था। इसी के बाद अन्य व्यक्ति को गाड़ी में जबरदस्ती बैठा लेकर निकल जाते थे। दबिश में शरीफ, इकबाल व बृजेश वर्दी में थे, जबकि अहिबाब उर्फ मुन्ना व इरशाद सादे कपड़ों में थे। इस घटना में फर्जी एटीएस टीम जाइलो गाड़ी से लेकर पहुंचा था। एक लखनऊ नंबर की गाड़ी भी साथ में थी।

एसओजी की जांच के बाद तस्वीर और साफ होगी

तहरीर के आधार पर मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। आरोपितों के नए नामों की छानबीन शुरू की गई है।

रोहित सिंह सजवाण, एसएसपी

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