बरेली में खुला चौंकाने वाला राज, हालमार्क लगी ज्वैलरी गिरवी रखती थी महिला…लालच में खपाते थे सर्राफ
बरेली : किला के साहूकारा में मिलावटी जेवर खपाने के मामले में हर दिन चौंकाने वाली बात सामने आ रही है। सामने आया है कि उत्तराखंड की महिला सर्राफा को हालमार्क लगी हुई जैवलरी आधे दाम पर देती थी। इसमें सर्राफा को सीधे पचास फीसद मुनाफा होने लगा। कई सर्राफा ने युवती से लिए गए जेवर बाजार में खपा भी दिए। बावजूद किला पुलिस ने सोने के मिलावटी काम के अवैध धंधे के बड़े गिरोह के राजफाश के बजाय समझौता कर पर्दा डाल दिया।
आलमगिरिगंज व साहूकारा के सर्राफ ने मिलावटी जेवर का मामला सामने आने के बाद किला पुलिस से साफ कहा था कि महिला लंबे समय से क्षेत्र में जेवर खपा रही है। हम लोग कई बार उससे जेवर ले चुके हैं। महिला सर्राफा से सोना बाहर से लाने की बात कहती थी। शुरुआती जांच में सोना खरा निकला। खरा सोना आधे दाम पर मिलने पर सर्राफा काराेबारियों की मानो चांदी हो गई।
सर्राफा का भरोसा जीतने के बाद ही मिलावटी जेवर का खेल शुरू हुआ। राज तो तब खुला जब आलमगिरिगंज के सर्राफ ने सोने की जांच करा ली। इसकी जानकारी अंशुल अग्रवाल तक पहुंची। दोनों के अन्य सर्राफा को इस बात की जानकारी दी। उन्होंने भी महिला से जेवर खरीदने की बात कही। नकली का मामला सामने आने के सवाल पर कार्रवाई की बात से सर्राफ पूछ हट गए। सर्राफा को शक हुआ कि कही शिकायत पर वह ही जांच में न फंस जाए।
चार सौ ग्राम से अधिक नहीं, अधिक चाहिए तो एडवांस दो
सामने आया है कि महिला एक बार में एक सर्राफ को चार सौ ग्राम जेवर ही देती थी। इसके बदले में सर्राफ तत्काल वर्तमान कीमत के आधे दाम उसे दे देता। पचास फीसद की सीधे-सीधे बचत देख कई सर्राफ महिला से अधिक जेवर लाने की मांग करने लगे लेकिन, महिला ने एक बार में चार सौ ग्राम से अधिक जेवर देने से मना कर दिया। अधिक के लिए वह एडवांस राशि मांगती फिर भी एक बार में चार सौ ग्राम ही जेवर देती।
खाते से नहीं करती थी लेनदेन, सिक्योरिटी होती थी साथ
महिला बेहद ही शातिर है। वह खाते से लेनदेन बिल्कुल भी नहीं करती थी। बकायदा जिस लग्जरी गाड़ी से वह जेवर बेचने आती। उसके साथ सिक्योरिटी होती। जेवर देने के एवज में जब सर्राफ रकम देता तो बड़े ही सुरक्ष्राात्मक तरीके से रकम लेकर वह गाड़ी में बैठती। सर्राफ उसे सुरक्षा का आश्वासन देते। कई बार सर्राफ ने उसके खाते में एडवांस के तौर पर रकम भेजने की बात की लेकिन, उसने लेने से मना कर दिया। वह नगदी ही स्वीकार करती।
फरवरी में दिल्ली में पकड़े गए थे सर्राफा कारोबारी, फिर भी जांच मुनासिब नहीं समझी
बता दें कि किला के साहूकारा के ही दो सर्राफ को फरवरी में डायरेक्टर आफ रेवन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआइ) की टीम ने दिल्ली में दस किलो सोने के साथ पकड़ा था। टीम ने सर्राफा से सोने की जो ब्रेड बरामद की उसमे भी हालमार्क लगा था। जांच में हालमार्क नकली पाया गया था। सामने आया था कि दोनों सर्राफा कारोबारी कैरियर का सहारा लेते थे। इसके एवज में कैरियर के लोगों को मोटा मुनाफा दिया जाता था। एक चक्कर में लाखों की आमदनी के चलते युवा सिर्फ दिल्ली से ही माल नहीं लाते थे। आस-पास के जनपदों में भी खपाते थे। इस मामले में भी किला पुलिस ने डीआरआइ की कार्रवाई की बात कह पल्ला झाड़ लिया था। तब ही पुलिस चेत जाती तो मिलावटी जेवर के बडे गिरोह का राजफाश हो जाता।
पूर्व में भी सामने आए ऐसे मामलों के बारे में पड़ताल की जा रही है। हर कड़ी जोड़ मामले की तह तक पहुंचा जाएगा।- आशीष प्रताप सिंह, सीओ द्वितीय