Uttar Pardesh : मुख्यमंत्री ने महाकुम्भ नगर में ‘कुम्भ की आस्था और जलवायु परिवर्तन’ सम्मेलन का शुभारम्भ किया
पत्र सूचना शाखा
(मुख्यमंत्री सूचना परिसर)
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उ0प्र0
वैदिक सूक्तों में चराचर जगत के कल्याण की बात, जिस प्रकार हमारा व्यक्तिगत
जीवन चक्र है, उसी प्रकार धरती माता का भी एक जीवन चक्र : मुख्यमंत्री
प्रदेश में नदियों को पुनर्जीवित करने का कार्य किया गया, नदियों
को चैनेलाइज किया गया तथा संगम का दायरा बढ़ाया गया
संगम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के स्नान हेतु 10,000 से
11,000 क्यूसेक पानी की अनवरत उपलब्धता की व्यवस्था की गई
प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में ग्रीन ईंधन के रूप में एल0पी0जी0
के 10 करोड़ से अधिक निःशुल्क कनेक्शन उपलब्ध कराए गए
प्रदेश में विगत 08 वर्षों में 210 करोड़ पौधरोपण का
कार्य किया गया, फॉरेस्ट कवर को बढ़ाया गया
डीजल से चलने वाली बसों के स्थान पर इलेक्ट्रिक बसों को प्राथमिकता
तथा प्रोत्साहन देते हुए इससे सम्बन्धित नीति का निर्माण किया गया
पर्यावरण संरक्षण के लिए अभी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता,
हमें उपनिषदों, वेदों तथा पुराणों के संदेश को दैनिक व
व्यावहारिक जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए
संगम स्नान करने वाला प्रत्येक व्यक्ति आध्यात्मिकता का अनुभव
कर उसे अपने गांव तथा आसपास के लोगों से साझा कर रहा
लखनऊ : 16 फरवरी, 2025 उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि अथर्ववेद कहता है कि ’माता भूमि पुत्रोऽहं पृथिव्या’ अर्थात धरती हमारी माता है और हम सब इसके पुत्र हैं। वैदिक सूक्तों में चराचर जगत के कल्याण की बात की गई है। जिस प्रकार हमारा व्यक्तिगत जीवन चक्र है, उसी प्रकार धरती माता का भी एक जीवन चक्र है। जब हम स्वयं को एक दूसरे को जोड़कर देखेंगे तभी इस सृष्टि तथा चराचर जगत का अस्तित्व रहेगा।
हम सभी को महाकुम्भ जैसे आयोजनों से भव्यता और दिव्यता व मां गंगा व मां यमुना की अविरलता के साथ जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त होता रहेगा। सभ्यता और संस्कृति इसी प्रकार फलती-फूलती रहेगी। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने हेतु किए जाने वाले प्रयासों में सभी की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए चिंतन करने तथा उसे व्यावहारिक जीवन में उतारने की आवश्यकता महाकुम्भ के संदेश का भाग बननी चाहिए।
मुख्यमंत्री जी आज महाकुम्भ नगर में ‘कुम्भ की आस्था और जलवायु परिवर्तन’ सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन तथा इण्टरनेशनल बर्ड फेस्टिवल पर आधारित लघु फ़िल्मों का शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण प्रदूषण का कारण कार्बन उत्सर्जन है।
जिन नदियों को धरती माता की धमनियों के रूप में कार्य करना चाहिए था, वह सूखतीं जा रही हैं। यदि रक्त का प्रवाह करने वाली शरीर की धमनियां सूख जाएंगी तो शरीर की क्या स्थिति होगी, इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है। यही स्थिति धरती माता की भी है। यदि धरती माता की धमनियां सूख गईं या प्रदूषित हो गईं तो इसका क्या परिणाम होगा, हम इसका भी अनुमान लगा सकते हैं।
प्रदेश में नदियों को पुनर्जीवित करने का काम किया गया है। नदियों को चैनेलाइज किया गया तथा संगम का दायरा बढ़ाया गया। संगम में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के स्नान हेतु 10,000 से 11,000 क्यूसेक पानी की अनवरत उपलब्धता की व्यवस्था की गई। 13 जनवरी से लेकर 16 फरवरी के बीच 35 दिनों में 52 करोड़ से अधिक श्रद्धालु मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की पावन त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके होंगे। यह जल की अविरलता के कारण सम्भव हो सका है। आज से 10 वर्ष पूर्व गंगा और यमुना नदियां क्या इसी प्रकार से अविरल व निर्मल थीं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लोग अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति व पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर सिंगल यूज प्लास्टिक को पूर्ण रूप से प्रतिबन्धित किया गया। वनों को काटकर लकड़ी का उपयोग ईंधन के रूप में करने से कार्बन का उत्सर्जन होता था। इसके स्थान पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में ग्रीन ईंधन के रूप में देश में एल0पी0जी0 के 10 करोड़ से अधिक निःशुल्क कनेक्शन उपलब्ध कराए गए। प्रदेश में विगत 08 वर्षों में 210 करोड़ पौधरोपण का कार्य किया गया। इनमें वन विभाग द्वारा कराए गए पौधरोपण में 70 से 80 प्रतिशत पौधे सुरक्षित हैं। अन्य संस्थाओं द्वारा कराए गए पौधरोपण में 60 से 70 प्रतिशत पौधे सुरक्षित हैं। फॉरेस्ट कवर को बढ़ाया गया। डीजल से चलने वाली बसों के स्थान पर इलेक्ट्रिक बसों को प्राथमिकता तथा प्रोत्साहन देते हुए इससे सम्बन्धित नीति का निर्माण किया गया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हमें प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण में भागीदार बनना चाहिए। क्या हम दैनिक जीवन में प्लास्टिक का उपयोग करना बंद कर सकते हैं। क्या हम नदी तटों के अतिक्रमण व अवैध कब्जों को नियंत्रित कर सकते हैं। वन्य जीवों के प्रति हमारे मन में संवेदना होनी चाहिए। बार-बार आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं जलवायु परिवर्तन का दुष्परिणाम है। विगत 02 वर्ष पूर्व एक ही दिन में आकाशीय बिजली से मीरजापुर से बिहार तक 90 लोगों की मौत हुई थी। इस जनहानि को न्यून करने के लिए तकनीकी का उपयोग किया जा रहा है। अनेक जगह अर्ली वॉर्निंग सेंटर स्थापित किए गए हैं।
पर्यावरण संरक्षण के लिए अभी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है। हमें उपनिषदों, वेदों तथा पुराणों आदि के संदेश को दैनिक व व्यावहारिक जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए। ‘एक पेड़ मां के नाम’ तथा ‘एक पेड़ आस्था के नाम’ लगाने के क्रम में हमें भी सहभागी बनना चाहिए। मनुष्य मात्र ही इस सृष्टि का एकमात्र जीव नहीं है। केवल मनुष्य से इस सृष्टि का संचालन नहीं हो सकता। जीव-जंतु आदि का अस्तित्व मनुष्य के अस्तित्व के साथ जुड़ा हुआ है। हमें दूसरे प्रलय की प्रतीक्षा न कर अभी से पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान देना होगा। कुम्भ की आस्था के साथ-साथ हम सबको जलवायु परिवर्तन के कारकों पर विचार करते हुए उनके निवारण का उपाय करना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मैं जब भी यहां आता हूं तो महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं से सम्बंधित व्यवस्थाओं पर अवश्य नजर दौड़ाता हूं। आज जब मैं महाकुम्भ के अलग-अलग स्थानों का एरियल सर्वे कर रहा था तो देखा कि यहां पार्किंग की सुविधा होने के बावजूद लोग अपनी गाड़ियां सड़क पर पार्क कर संगम स्नान के लिए जा रहे हैं। यदि व्यक्ति निर्धारित स्थान पर गाड़ी की पार्किंग करे, तो सड़क पर कहीं जाम नहीं लगेगा। हो सकता है कि उसे 100 मीटर पैदल चलना पड़े। संगम स्नान कर वह आसानी से अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान कर सकता है। हमारे दैनिक जीवन में भी इस प्रकार की विसंगतियां व्याप्त हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्व के कुम्भ आयोजनों में जितने श्रद्धालु मौनी अमावस्या पर आते थे, उतने श्रद्धालु इस बार प्रत्येक दिन आ रहे हैं। संगम स्नान करने वाला व्यक्ति आध्यात्मिकता का अनुभव कर जब उसे अपने गांव तथा आसपास के लोगों से साझा कर रहा है, तो वहां से बड़े पैमाने पर श्रद्धालु यहां आकर पूरे आयोजन को सफलता की नई ऊंचाई पर पहुंचा रहे हैं। यह दुनिया का सबसे बड़ा आयोजन बन चुका है। बड़ा आयोजन होने के कारण लोगों के मन में महाकुम्भ के बारे में जिज्ञासा है। उन्होंने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कल हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना में दिवंगत लोगों के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रमुख सचिव वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन श्री अनिल कुमार ने स्वागत उद्बोधन किया।प्रेसिडेंट एंड सी0ई0ओ0 आई0 फॉरेस्ट श्री चन्द्रभूषण ने जलवायु परिवर्तन पर प्रस्तुतिकरण दिया।
इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि जी महाराज, स्वामी मुकुंदानंद जी महाराज, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री अरुण कुमार सक्सेना, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री श्री के0पी0 मलिक सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स न्यूज़