UP : मुस्लिम बस्तियां बसाने की थी तैयारी अतीक से जुड़े 10 बड़े खुलासे पत्नी का हरियाणा तक फैला अरबों का कारोबार

अतीक-अशरफ की हत्या मामले में एसआईटी जांच शुरू हो गई है। अतीक-अशरफ के तीनों हत्यारों को कोर्ट ने चार दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। अब तब जांच में हत्या, हत्यारों और अतीक-अशरफ को लेकर कई बड़े खुलासे हो चुके हैं।

1.प्रयागराज में मुस्लिम बस्ती बसाना चाहता था अतीक: माफिया अतीक अहमद प्रयागराज के करेली समेत कुछ इलाकों में मुस्लिम बस्ती बसाना चाहता था। वह कुछ साल से इस इलाके की डेमोग्राफी बदलने के लिए जमीनों पर कब्जा भी करवा रहा था।

इसके लिए भी लगातार उसके गुर्गे जमीनों पर कब्जा करने में जुटे थे। वह अपने शूटरों को भी इन्हीं इलाकों में बसाना चाहता था ताकि उसका दबदबा और सुरक्षा कवच बरकार रहे।

2. असद बनना चाहता था नया गैंग का लीडर: पिता, भाई और चाचा के जेल जाने के बाद असद अतीक गैंग का नया लीडर बनना चाहता था। इसके लिए उसने बकायदा असलहा चलाने की ट्रेनिंग भी ली थी।

उमेश पाल हत्याकांड में गोलियां चलाते हुए उसका वीडियो खूब वायरल हुआ था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, मुठभेड़ के दौरान भी वह पुलिस पर बेखौफ होकर गोलियां चला रहा था। पिता के इशारे पर वह शहर के बिल्डर्स, नेताओं, कारोबारियों और उद्योगपतियों से वसूली भी कर रहा था।

3. शाइस्ता और असद ने संभाल रखी थी गैंग और कारोबार की जिम्मेदारी:  पुलिस की जांच में सामने आया है कि अतीक-अशरफ और उनके बेटों के जेल जाने के बाद अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन और बेटा असद गैंग और कारोबार की पूरी जिम्मेदारी संभालने लगे थे। जेल में बंद अतीक फैसले लेता था और उसे अमल में लाने की जिम्मेदारी शाइस्ता और असद की थी। शाइस्ता खुद शूटर्स गैंग को सलाह देती थी।

4. गुलाबी-सफेद पर्चियों से अतीक वसूलता था चुनावी चंदा: खुलासा हुआ है कि चुनावों के दौरान अतीक अलग-अलग रंगों की पर्चियां जारी करता था। व्यापारियों के लिए जारी होने वाली इन पर्चियों के जरिए ही वह चुनावी चंदा जुटाता था। दोनों के मारे जाने के बाद व्यापारियों ने इसका खुलासा भी किया है। व्यापारियों ने बताया कि गुलाबी रंग के पर्चे का मतलब है कि तीन से पांच लाख रुपये देने हैं, जबकि सफेद पर्चे का मतलब है कि पांच लाख रुपये से अधिक का चंदा देना होता है।

5. जेल में बंद व्यापारियों से अतीक ने की थी साझेदारी: साबरमती जेल में बंद अतीक ने गुजरात और मुंबई के कुछ बड़े कारोबारियों के साथ साझेदारी भी की थी। एक्सपोर्ट का कारोबार करने वाले इन व्यापारियों की कंपनियों में अतीक ने अपनी काली कमाई को निवेश किया था। वह कई कंपनियों में अपने बेटों को निदेशक की भूमिका में भी लाने लगा था। एसटीएफ की जांच में ये भी सामने आया है कि अतीक के एक दर्जन से ज्यादा गुर्गों ने अहमदाबाद और साबरमती में ठिकाना बनाया हुआ था।

6. अतीक की पत्नी ने हरियाणा तक फैलाया कारोबार: माफिया अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन का अरबों रुपये का कारोबार हरियाणा तक फैला हुआ है। उमेश पाल हत्याकांड में नामजद होने के बाद से फरार 50 हजार रुपये की इनामी लेडी डॉन रियल एस्टेट की बड़ी कारोबारी है।

एसटीएफ को प्रयागराज से लेकर हरियाणा के गुरुग्राम तक फैलीं उसकी कई कंपनियों के बारे में पता चला है। इसकी पुष्टि भी हुई है कि अतीक के जेल जाने के बाद से वही काले कारोबार की कमान संभाले हुए है। एसटीएफ जल्द इन कंपनियों के दफ्तर सील करते हुए जब्तीकरण कर सकती है।

7. पांच हजार करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति: पुलिस के साथ-साथ इस मामले में ईडी भी जांच कर रही है। अभी तक मालूम चला है कि अतीक और उसके परिवार के पास पांच हजार करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति है। इस मामले में शहर के बड़े बिल्डर संजीव अग्रवाल और कार शोरूम मालिक दीपक भार्गव से भी ईडी ने पूछताछ की।

8. पाकिस्तान से जुड़े हत्या के तार: अतीक और अशरफ की हत्या में तीन अलग-अलग पिस्टल का प्रयोग हुआ। इसमें एक 30 पिस्टल (7.62) स्वदेशी, दूसरा 9 एमएम पिस्टल गिरसान (तुर्किये में बनी), और तीसरा 9 एमएम पिस्टल जिगाना (तुर्कीये) शामिल है। इनकी कीमत 4 से सात लाख रुपये तक की है। जिगाना पिस्टल भारत में बैन है। इसे पाकिस्तान के रास्ते भारत में सप्लाई किया जाता है। ऐसे में इस हत्याकांड के तार अब पाकिस्तान तक जुड़ चुके हैं।

9. 10-10 लाख रुपये की सुपारी, किसने दी? नहीं मालूम: कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अतीक-अशरफ की हत्या के लिए तीनों आरोपियों को 10-10 लाख रुपये की सुपारी दी गई थी। अब ये सुपारी किसने और क्यों दी अभी तक इसका खुलासा नहीं हो पाया है।

10. भाटी गैंग और लॉरेंस विश्नोई गैंग का भी आया नाम: सूत्रों के मुताबिक, आरोपी सनी सिंह पहले भी जेल जा चुका है और जेल में ही वह भाटी गैंग के मुखिया सुंदर भाटी का खास बन गया है। उसके ऊपर सुंदर भाटी के लिए भी काम करने का आरोप है। हमीरपुर जेल में ही उसकी मुलाकात सुंदर भाटी से हुई थी। सुंदर भाटी भी माफिया है। उसके ऊपर कई मामले दर्ज हैं। पुलिस की जांच में सामने आया है कि भाटी गैंग की मदद से लॉरेंस विश्नोई गैंग के संपर्क में हमलावर आए और उन्हीं की मदद से उन्हें विदेशी हथियार भी मिले।

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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