UP News : मा0 मुख्यमंत्री जी के निर्देशन में मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने में विभाग कृत संकल्पित विभाग मानव व वन्यजीव दोनों को बचाने की रणनीति पर कर रहा है कार्य-डा0 अरूण कुमार सक्सेना
हॉटस्पॉट तथा महत्वपूर्ण प्राकृतवास में तैनात वन विभाग के कर्मचारियों को रेस्क्यू ऑपरेशन, वन्यजीव सुरक्षा तथा प्राकृतवास प्रबंधन एवं मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं से निपटने के लिए सक्षम बनाने हेतु कार्यशालाओं/प्रशिक्षण का आयोजन भी कराया जा रहा है।
उक्त वक्तव्य प्रदेश के पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा0 अरूण कुमार सक्सेना ने वन विभाग मुख्यालय स्थित अरण्य भवन के पारिजात सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान कहा।
डा0 सक्सेना ने कहा कि मानव व वन्यजीव संघर्ष का एक कारण यह भी है कि मानव की आबादी बढ़ रही है और वह जंगल की ओर जा रहा है तथा जानवरों की आबादी भी बढ़ रही है और वह जंगल के बाहर भाग रहा है।
विभाग उक्त सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इस संघर्ष को न्यून करने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं पर कार्य कर रहा है जिससे कि मानवों के साथ-साथ वन्यजीवों का भी संरक्षण किया जा सके।
वन मंत्री ने विभाग द्वारा मानव व वन्यजीव संघर्ष को न्यून करने की दिशा में वन विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयास एवं भविष्य की रणनीति को विस्तार पूर्वक बताया मानव-वन्यजीव संघर्ष तब होता है जब मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच मुठभेड़ नकारात्मक परिणामों की ओर ले जाती है। इसके फलस्वरूप सम्पत्ति, अजीविका और कभी-कभी जीवन का नुकसान भी होता है।
इन मुठभेड़ों के परिणामस्वरूप मानव-वन्यजीव दोनों को तुरंत प्रभावित होना पड़ता है। जैसे-जैसे मानव आबादी व स्थान की मांग बढ़ती जा रही है, लोगों और वन्यजीवों के बीच परस्पर क्रिया और संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। इस कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि होती है। प्रदेश में वन क्षेत्रों से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में बाघ, तेन्दुआ एवं भेड़िया के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं। इन घटनाओं को विभाग द्वारा अत्यन्त गम्भीरता से लेते हुए तत्काल उचित कार्यवाही की जा रही है।
डा0 सक्सेना ने बताया कि वन्यजीव के हमले की घटनाओं से पीड़ित व्यक्ति के परिवार को नियमानुसार आर्थिक सहायता/मुआवजा दिलाने की त्वरित कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। दिनांक 01.01.2024 से 20.08.2024 तक हिंसक वन्यजीव तथा बाघ एवं तेन्दुआ द्वारा मारे/घायल किए गए व्यक्तियों के आश्रितों को रू0 156.00 लाख की अनुग्रह आर्थिक सहायता धनराशि स्वीकृत की गई है।उपरोक्त प्रयासों के परिणाम स्वरूप माह जनवरी, 2024 से 23 अगस्त, 2024 तक कुल 27 तेन्दुआ, 03 बाघ एवं 03 भेड़िया (बहराइच से) रेस्क्यू किये जा चुके हैं।
बिजनौर जनपद में माह जनवरी, 2024 से अब तक 14 तेन्दुए रेस्क्यू कर हटाये जा चुके हैं। प्रदेश के बिजनौर जनपद एवं आस-पास के इलाकों में पर्याप्त संख्या में गुलदार गन्ने के खेतों में रह रहे हैं, जिसके कारण ग्रामीणों द्वारा कृषि से संबंधित व अन्य दैनिक कार्यों के लिये कास्तकारी क्षेत्रों में विचरण के दौरान गुलदारों के कारण मानव-वन्य जीव संघर्ष की ज्वलंत समस्या के संबंध में समस्या का अध्ययन कर स्थाई निदान का सुझाव देने हेतु भारत सरकार से अनुरोध किया गया है।
उक्त के क्रम में भारत सरकार के पत्र दिनांक 22.08.2024 द्वारा निदेशक, भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून को विशेषज्ञों की टीम गठित कर समस्या का अध्ययन कर आवश्यक सुझाव उत्तर प्रदेश सरकार को उपलब्ध कराने हेतु निर्देशित किया गया। मौके पर विशेषज्ञों की टीम ने अध्ययन प्रारम्भ कर दिया है।
वन मंत्री ने बताया कि वन क्षेत्रों से सटे ग्रामों में मानव-वन्य जीव संघर्ष की घटनाओं को न्यून करने के दृष्टिकोण से राज्य आपदा न्यूनीकरण नीति की सहायता से कतर्नियाघाट वन्य जीव प्रभाग में 75 किमी0, दुधवा टाइगर रिजर्व में 15 किमी0, बफर क्षेत्र में 31 किमी0, पीलीभीत टाइगर रिजर्व में 25 किमी0 चेनलिंक/सोलरफोन्सिंग स्थापित कराई गई है।
उक्त के कारण इन क्षेत्रों में मानव-वन्य जीव की घटनाओं में कमीं आयी है वर्ष 2024-25 में भी उक्त कार्य के अंतर्गत संवेदनशील स्थलों पर चेनलिंक/सोलरफोन्सिंग का कार्य कराया जाना प्रस्तावित है।
प्रदेश के वन्य जीव क्षेत्रों के आस-पास संवेदनशील ग्रामों में बाघ/गुलदार मित्र चिन्हित किये गये हैं एवं इनको आवश्यक जानकारी उपलब्ध कराते हुए एवं दक्षता विकसित कराकर मानव-वन्य जीव संघर्ष की स्थिति में सहयोग प्राप्त किया जा रहा है।
गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स न्यूज़