UP News- रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के दरबार हॉल में स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मोहम्मद अली जौहर से सम्बन्धित पुस्तकों की प्रदर्शिनी का आयोजन किया गया।
रामपुर (यू पी )-भारत सरकार द्वारा देश की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आज़ादी का अमृत महोत्सव (2021 2023) मनाया जा रहा है। आज़ादी के अमृत महोत्सव की इसी कड़ी में रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के दरबार हॉल में स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मोहम्मद अली जौहर से सम्बन्धित पुस्तकों की प्रदर्शिनी का आयोजन किया गया।
प्रदर्शनी का उद्घाटन डॉ० रज़िया परवीन, उर्दू विभाग राजकीय महिला डिग्री कॉलेज रामपुर एवं डॉ० अबुसाद इस्लाही, लाइब्रेरी एवं सूचना अधिकारी के कर-कमलों द्वारा किया गया। प्रदर्शनी 7 से 12 सितम्बर 2021 तक प्रदर्शित रहेगी।इस अवसर पर डॉ० रज़िया परवीन उर्दू विभाग राजकीय महिला डिग्री कॉलेज ने कहा कि मौलाना साहब स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत तथा एक सच्चे देश भक्त थे। मौलाना मोहम्मद अली जौहर साहब भारत को स्वतंत्र देखना चाहते थे। एक शुद्ध मानवीय दृष्टिकोण से वह भारत में हिन्दू या मुस्लिम राज्य नहीं, स्वराज्य चाहते थे। स्वतंत्रता के लिए परमावश्यक तत्व एकता के लिए वह ईश्वर से दुआएँ किया करते थे। वह सत्य और अपने निर्णय पर अटल रहने वाले व्यक्ति थे तथा पूर्ण स्वतंत्रता एवं स्वशासन के समर्थक थे। अपनी जन्मभूमि, अपना देश उनको स्वर्ग से भी प्रिय था। कहा कि स्वतंत्रता के प्रमुख सेना नायकों में से एक जौहर साहब ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के साथ मिलकर भारत के नवनिर्माण की प्रतिज्ञा कर थी और उनके द्वारा जलायी गयी चिंगारी ने महास्वतंत्रता आन्दोलन का रूप धारण कर लिया जो ब्रिटिश साम्राज्य के लिए कालाग्नि साबित हुआ। मौलाना का सम्पूर्ण जीवन स्वतंत्रता के लिए संघर्ष और साम्प्रादायिक एकता में व्यतीत हुआ कहा कि मौलाना साहब का रामपुर से सीधा सम्बन्ध है। आपकी माता श्रीमती आबादी बानो बेगम जो बी अम्मा के नाम से प्रसिद्ध हैं, एक कर्तव्यपरायण, व्यवहारकुशल, धार्मिक एवं सच्चे अर्थों में वीर जननी थीं। अपने विद्यार्थी जीवन में एक मेधावी छात्र रहे। रामपुर के आप प्रथम स्नातक थे। इस अवसर पर लाइब्रेरी एवं सूचना अधिकारी डॉ० अबुसाद इस्लाही ने कहा कि आज़ादी का अमृत महोत्सव उन लोगों को धन्यवाद देने का एक प्रयास है जिनके कारण हम स्वतंत्र भारत में सांस ले रहे हैं। यह याद करने का समय है कि स्वतंत्रता को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. शहीदों ने इसे प्राप्त करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी। इस अवसर पर मौलाना मोहम्मद अली जौहर और जंगे आज़ादी, नया दौर मोहम्मद अली जौहर विशेषांक, भारत का ज्याला सपूत मौलाना मोहम्मद अली जौहर, भारतीय स्वतंत्रता और मौलाना मुहम्मद अली जौहर, जंगे आज़ादी के मुसलिम मुजाहिद्दीन, मौलाना मोहम्मद अली और सवाने हयात, माहनामा हमदर्द (रिसाला), सफ़रनामा-ए-यूरोप मौलाना मोहम्मद अली जौहर, मोहम्मद अली जाअती डायरी के चंद बरक, मौलाना मोहम्मद अली एक मुतआला, मज़मुए कलाम जौहर एवं मौलाना साहब द्वारा लिखित जामे मिल्लिया क्या है इत्यादि हिन्दी / उर्दू मुद्रित पुस्तकों को प्रदर्शित किया गया है।
बरेली से मोहम्मद शीराज़ ख़ान की रिपोर्ट !