फिल्म ‘10 नहीं 40’ का अनोखा डे केयर सेंटर
पहले भेजा गया समाचार लंबा होने के कारण शायद प्रकाशन योग्य न हो इसलिए उसका छोटा रूप भेज रहा हूं। कृपया वेबसाइट, न्यूज़पेपर के लिए विचार करें
मुंबई : ये है डॉक्टर जेएस रंधावा का डे केयर सेंटर। ओल्ड एज होम का नया रूप। यहां अपना अकेलापन दूर करने के लिए एक दौर में कॉमेडी के उस्ताद रहे बीरबल, मनमौजी, रमेश गोयल जैसे कई अधेड़ बुजुर्ग कलाकार मौजूद हैं जो यह सोचते हैं कि अब ज़िंदगी के ज्यादा से ज्यादा दस साल बचे हैं। उनकी इस धारणा को तोड़ना जरूरी है क्योंकि रंधावा का यह डे केयर सेंटर उन्हें इतनी मज़ेदार लाइफ जीने का मौका दे रहा है कि अब उन्हें लगने लगा है कि वे 40 साल तक जी सकते हैं।
इसलिए तो अभिनेता और निर्देशक जेएस रंधावा ने अपनी फिल्म ‘10 नहीं 40’ में ऐसा डे केसर सेंटर तैयार किया, जहां बुजुर्गों का कारवां अपने बेटों से दूर होते हुए भी अपनी ज़िंदगी को मस्त तरीके से जी सके। यकीनन, रंधावा का यह सब्जेक्ट अच्छा है और बच्चों को भी अहसास कराता है कि मां-बाप का अकेलापन दूर करना कितना जरूरी है। रंधावा कहते हैं कि आज के ओल्ड एज होम बेहद बुरी दशा में हैं, जहां बुजुर्गों को दिन-रात मुसीबतों के बीच रहना पड़ता है लेकिन डे केयर सेंटर में ऐसे बुजुर्ग सुबह आकर शाम को पूरा इन्जॉय करते हुए अपने घर लौट सकते हैं। रंधावा कहते हैं कि मैं पैसा कमाने के लिए कॉमर्शियल फिल्म भी बना सकता था लेकिन मैंने मीनिंगफुल फिल्म करने का इरादा बनाया और ऐसे सब्जेक्ट को उठाया, जो मां-बाप और बच्चों के बीच की दूरियों को कम कर सके।
-अनिल बेदाग-