चालबाज़ चीन देपसांग, गोगरा से सेना पीछे करने में कर रहा है अभी आनाकानी!
पूर्वी लददाख में सीमा विवाद के कुछ मामलों में समाधान की बात कह रहा है पर अभी भी गलवां घाटी में मुँह की खाने के बाद भी अपनी कुटिल चालबाजी एवम ओछी हरकत से चीन बाज नही आ रहा है। और अब वह सिक्किम दर्रे के पास पक्के केम्प बनाने का प्रयास में लगा है। कई बार कमांडर स्तर की वार्ता के बाद भी चीन ने पूर्वी लददाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एल ए सी) के समीप हॉट स्प्रिंग, देपसांग, गोगरा जैसे इलाको से अपने सैनिक अभी पीछे नही हटाया है जिसके चलते अभी भी गतिरोध कायम है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 6 जुलाई को धर्मगुरु दलाई लामा के 86 वें जन्म दिन पर बधाई संदेश दिया था। हो सकता है भविष्य में दलाई लामा से भारतीय प्रधानमंत्री की भेंट भी हो सकती है। ऐसी संभावना व्यक्त की जा रही है। इसके बाद चीन की विस्तारवादी नीतिओ का विरोध करने बाले वियतनाम के नए प्रधानमंन्त्री फाम मिन्ह चिन्ह को भी बधाई देकर उन्हें भारत आने का 2022 के लिए आमंत्रण भी दे दिया। साथ ही कोरोना में भारत की मदद करने में प्रति आभार भी जाता दिया। इस तरह भारत ने चीन को एक बार फिर कड़ा संदेश दे दिया। दलाई लामा को भारत की बधाई संदेश से कुपित हुए चीन ने अपने सैनिकों के जरिए पूर्वी लददाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा ( एल के सी) के समीप सिंधु नदी के पर से भारतीय एरिया में झंडे आदि दिखाए क्योंकि चीन नही चाहता है कि भारत मे रह रहे तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को भारत महत्व दे। तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री पीपा सेरिंग ने कहा कि चीन दलाई लामा को तिब्बत की राजधानी लिहासा जाने की मंजूरी दे दे तो चीन से वार्ता संभव हो सकती है। विगत दिवस भारत के विदेश मंत्री जय शंकर ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से दुशानवे में शंघाई सहयोग संघटन (एस सी ओ) की बैठक से अलग लगभग एक घंटे तक भेंट की और उन्हें स्पस्ट संदेश दिया कि यथास्थिति में एक तरफा बदलाव भारत को नामंजूर होगा। साथ ही पूर्वी लददाख में लंबे समय तक जारी तनावपूर्ण हालात का आपसी रिश्तों पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है जिसका दोनों पक्ष द्विपक्षीय समझोतों और प्रोटोकोल के तहत जल्द समाधान निकालने की दिशा में काम करें। जिस पर अब चीन का रुख कुछ नरम पड़ा है और कहा है कि चीन उन मामलों के स्वीकार्य समाधान के लिए तैयार है जिन्हें वार्ता के जरिए सुलझाया जा सकता है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि भारत और चीन के संबंध निचले स्तर पर बने हुए हैं। साथ ही चीन ने अपना पुराना रुख को फिर से दोहराया कि वह सीमा पर स्थिति के लिए जिम्मेदार नही है। स्मरण रहे भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प की बरसी पर भी चीन को करारा जवाब दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत कभी भी आक्रमण नहीं करता, लेकिन किसी के उकसाने या धमकाने पर मुंहतोड़ जवाब भी देता है। उन्होंने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय देश है, जिसने कभी कोई आक्रमण नहीं किया, किंतु उकसाए या धमकाए जाने पर वह दुश्मनों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
श्री राजनाथ सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के बयान को दोहराते हुए कहा, ‘दोस्त और पड़ोसी कभी बदले नहीं जा सकते’ । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उनके पहले के जितने भी प्रधानमंत्री हुए, सभी ने अपने पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारने का प्रयास किया है। उन्होंने अटल बिहारी बाजपेयी के एक वक्तव्य को उद्धृत करते हुए कहा कि अटल जी ने एक बार कहा था कि दोस्त और पड़ोसी कभी बदले नहीं जा सकते ।
निर्भय सक्सेना, पत्रकार मोबाइल 9411005249