आज की महिला निर्भर ही नहीं आत्मनिर्भर

बरेली। नारी शक्ति सम्मान समारोह में शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने के उपलक्ष्य में महिलाओं को सम्मानित किया गया गया।
सुरेश शर्मा सभागार में सुरेश शर्मा फ़ाउंडेशन द्वारा आज हुए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फ़ाउंडेशन संस्थापक साकेत सुधांशु शर्मा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन एक श्रम आंदोलन था, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने सालाना आयोजन के तौर पर स्वीकृति दी। इसकी शुरुआत 1908 में तब पडी जब न्यूयॉर्क शहर में हज़ारो महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और वोट देने की माँग के साथ विरोध प्रदर्शन निकाला था। इसके एक साल बाद अमेरिकी सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की लेकिन इस दिन को अंतरराष्ट्रीय बनाने का विचार क्लारा जेटकिन नाम की महिला के दिमाग़ में आया था। उन्होंने अपना यह आइडिया 1910 में कॉपेनहेगन में हुए ‘इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ़ वर्किंग वीमेन’ में दिया था।

फ़ाउंडेशन सहसंस्थापक अंजलि शर्मा ने कहा कि आज की महिला निर्भर नहीं हैं। वह हर मामले में आत्मनिर्भर और स्वतंत्र हैं और पुरुषों के बराबर सब कुछ करने में सक्षम भी हैं। हमें महिलाओं का सम्मान जेंडर के कारण नहीं बल्कि स्वयं की पहचान के लिए करना होगा। हमें यह स्वीकार करना होगा कि घर और समाज की बेहतरी के लिए पुरुष और महिला दोनों समान रूप से योगदान करते हैं। यह जीवन को लाने वाली महिला है। हर महिला विशेष होती है, चाहे वह घर पर हो या ऑफिस में। वह अपने आस-पास की दुनिया में बदलाव ला रही हैं और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बच्चों की परवरिश और घर बनाने में एक प्रमुख भूमिका भी निभाती है। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम उस महिला की सराहना करें और उसका सम्मान करें।

कार्यक्रम में नीता शर्मा, वैशाली शर्मा, पल्लवी मिश्रा, अंजली रावत, कोमल गंगवार, ख़ुशबू गुप्ता, साक्षी रावत व सोनम आदि को सहसंस्थापक अंजलि शर्मा द्वारा सम्मानित किया गया ।

 

बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

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