फर्जी आईएएस अफसर बनकर कमिश्नर से मिलने पहुंचे युवक, पूछा सवाल सामने आई असलियत
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में फर्जी आईएएस अफसर बनकर कमिश्नर से मिलने पहुंचे नटवरलाल को पुलिस ने धर दबोचा है।
दरअसल, बातचीत के दौरान जब कमिश्नर ने उसकी नौकरी और पोस्टिंग को लेकर सवाल दागे तो वह बगलें झांकने लगा। शक होने पर उन्होंने पुलिस को बुला लिया।
अर्दली की तहरीर पर शाम को उसके खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कर ली गई। जांच में पता चला कि युवक हरदोई का मूल निवासी है। इसकी भी जांच की जा रही है कि इससे पहले उसने किन अधिकारियों से मुलाकात की। कमिश्नर रणवीर प्रसाद के कार्यालय में बुधवार दोपहर एक बजे पहुंचे युवक ने स्टाफ को अपना नाम डॉ. शशांक तिवारी बताया।
उसने कहा कि वह 2013 बैच के यूपी कैडर का आईएएस अधिकारी है और वर्तमान में एमएचआरडी में कोऑर्डिनेटिंग अफसर के पद पर तैनात है। स्टाफ से जानकारी मिलने पर कमिश्नर ने उसे ससम्मान अंदर बुलवा लिया। कमिश्नर ने बातों-बातों में उसके बैच और तैनाती संबंधी डिटेल जाननी चाही तो वह बगलें झांकने लगा।
शक होने पर कमिश्नर ने उससे कुछ और सवाल किए तो वह फंस गया। इस पर कमिश्नर ने अपने स्टेनो से पुलिस का सूचना भिजवा दी। तुरंत कोतवाल गीतेश कपिल मौके पर पहुंचे और शशांक को पकड़ लिया। पूछताछ में उसने बताया कि वह मूल रूप से हरदोई के हरपालपुर के गांव ज्योधन पुरवा का रहने वाला है।
आजकल इज्जतनगर क्षेत्र की नंदनवन कॉलोनी में रह रहा है। पुलिस अब इसकी भी छानबीन कर रही है कि उसका कमिश्नर से मिलने का मकसद क्या था और उनसे पहले वह किन-किन अधिकारियों से मिला।
दो घंटे गाड़ी में चलती रही पूछताछ
कमिश्नर कार्यालय से सूचना मिलने के बाद कोतवाली पुलिस आरोपी को वहां से ले आई, लेकिन करीब दो घंटों तक कोतवाली लेकर नहीं पहुंची। इस बीच क्षेत्र में घूम-घूमकर गाड़ी में ही उससे पूछताछ की जाती रही। इसके बाद अधिकारी के अर्दली की तरफ से तहरीर मिलने पर उसे कोतवाली लाकर हवालात में डाला गया।
रेलवे में टेक्नीशियन हैं पिता, पीसीएस के इंटरव्यू में हुआ था फेल
शशांक ने कोतवाली पुलिस को बताया कि उसके पिता जितेंद्र कुमार इज्जतनगर मंडल से रिटायर्ड रेलवे टेक्नीशियन हैं। उन्होंने नंदनवन में अपना मकान बनाया है। वह काफी समय से सिविल सर्विसेज और अन्य परीक्षाएं दे रहा है। वर्ष 2016 में पीसीएस के इंटरव्यू तक पहुंचा, लेकिन फेल हो गया।
इसके बाद उसने सोचा कि वह अफसर तो नहीं बन पाएगा पर अफसर जैसा रौब गांठने में क्या बुराई है। तब से वह इस तरह अफसरों से मुलाकात करने लगा। उसने बरेली के कई और अफसरों से पहले फोन पर बात करना कबूल किया पर क्या काम कराए, इस बारे में जानकारी नहीं दी।
बताया, फिलहाल कमिश्नर से औपचारिक भेंट करने गया था। जान पहचान होने के बाद वह उनसे कोई काम कराने की कोशिश करता पर इससे पहले ही पकड़ गया।
लोग मानते थे आईएएस, डॉक्टर की उपाधि भी फर्जी
कोतवाली पुलिस ने आरोपी के पड़ोसियों और परिचितों से जानकारी ली तो पता लगा कि तमाम लोग उसे ट्रेनी आईएएस या अधिकारी ही समझते हैं। वह लोगों के साथ उसी गरिमापूर्ण तरीके से बात करता था।
लोगों को अहसास नहीं था कि वह फर्जीवाड़ा करता है। प्रभाव डालने के लिए ही वह नाम के आगे डॉक्टर लगाता है। लोग उसे पीएचडी उपाधि धारक समझते थे पर वास्तव में उसके पास ऐसी कोई डिग्री नहीं है।
एसएसपी शैलेश पांडेय ने बताया कि कमिश्नर कार्यालय से मिली शिकायत के आधार पर शशांक तिवारी नाम के व्यक्ति को पकड़ा गया है। वह खुद को 2013 बैच का आईएएस बता रहा है, जबकि उस बैच में इस नाम का कोई अधिकारी नहीं है। वह ऐसा क्यों कर रहा था और पहले क्या कारनामे कर चुका है, इस बारे में उससे पूछताछ की जा रही है। रिपोर्ट दर्ज कर ली है,