विश्व के बड़े-बड़े आलिमों और दानिशवरों ने आपके फ़तवों और फैसलों को तस्लीम करना फख्र समझा: मुफ्ती नश्तर फ़ारुक़ी !

विश्वप्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान हुजूर ताजुश्शरिया हजरत अल्लामा मुफ्ती मोहम्मद अख्तर रज़ा खाँ क़ादरी (अजहरी मियां) अलैहिर्रहमा की गिनती विश्व के प्रसिद्ध इस्लामी विद्वानों में होती है। मरकज़ी दारूल इफ्ता के मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूक़ी ने बताया हुज़ूर ताजुश्शरिया अल अजहर यूनिवर्सिटी मिस्र के टॉपर थे। वर्ष 1966 में जब अल अज़हर यूनिवर्सिटी मिस्र से फ़ारिग हुए तो आपको एवार्ड पेश किया साथ ही साथ सनद से भी नवाज़ा। हुजूर ताजुश्शरिया इल्म का दरिया थे।

दुनिया के बड़े बड़े आलिमों और दानिशवरों ने आपके फतवों और फैसलों को तस्लीम करना फख्र समझा। अहले सुन्नत के तमाम उलेमा आपको अपना दीनी और रूहानी पेशवा मानते थे। हुजूर ताजुश्शरिया ने पूरी ज़िन्दगी अल्लाह व पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की पैरवी व फरमाबरदारी में गुजारी।

आप पैगंबर-ए-इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर जानों दिल से फ़िदा थे। सहाबा-ए-किराम और अहले बैत के सच्चे आशिक थे। आप ख़ुलफ़ा-ए-राशिदीन हज़रत अबूबक्र, हज़रत उमर, हज़रत उस्मान व हज़रत अली के सच्चे जांनिसार थे। कुल मिलाकर एक वली की हर खूबी हुजूर ताजुश्शरिया में कूट-कूट कर भरी हुई थी। आपने वर्ष 2000 में बरेली में जामियातुर रज़ा के नाम से एक इस्लामिक केंद्र की स्थापना की । अरबी, उर्दू, फारसी, अंग्रेजी, हिंदी भाषा पर अच्छी पकड़ थी। दीनी तब्लीग के लिए विश्व के अक्सर देशो में तशरीफ ले गए।

हुजूर ताजुश्शरिया ने आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर्रहमां की अरबी ज़बान में लिखी कई किताबों का उर्दू और अरबी में अनुवाद करके अवाम तक पहुँचया। वहीं स्वयं लिखी किताबों से तमाम मसलों का हल निकाल कर रहनुमाई फरमाई। मुल्क के बड़े-बड़े मुफ्तीयों की जमात आपकी सरपरस्ती में पेचीदा मसलों का हल निकाला करती थी। आपके इल्म का लोहा सभी मानते थे।

हुजूर ताजुश्शरिया की मक़बूलियत व इल्मी मज़बूती का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2012 में सऊदी हुकूमत ने खुद दावत देकर आपको ग़ुस्ल-ए-काबा शरीफ की रस्म अदायगी में शामिल किया था। हुजूर ताजुश्शरिया पूरी ज़िन्दगी दिखावे के बातों से काफी दूर रहकर सिर्फ़ और सिर्फ़ मसलके आला हजरत की तरक़्क़ी के लिए जी जान से लगे रहे। आपने पैगंबर-ए-आज़म हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की बारगाह में नात-ए-पाक का नज़राना भी पेश किया। जिसमें मुनव्वर मेरी आँखों को मेरे शम्सुद्दुहा कर दें, ने खूब शोहरत पाई। भारत, मिस्र, साउथ अफ्रीका, ब्रिटेन, अमेरिका, सऊदी अरब, नेपाल, मॉरीशस, पाकिस्तान, बांग्लादेश के अलावा दुनिया भर मे आपके करोड़ों की तादाद में मुरीद हैं।

जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खान ने जानकारी देते हुए बताया हुजूर ताजुश्शरिया वर्ष 2011 में अमेरिका की जार्ज टॉउन यूनिवर्सिटी के इस्लामिक क्रिश्चियन अंडरस्टेंडिंग सेंटर की ओर से किए जाने वाले सर्वे में 28वां स्थान पर रहे। इसके अलावा जॉर्डन की रॉयल इस्लामी स्ट्रेजिक स्टडीज़ सेंटर के वर्ष 2014-15 के सर्वे में उन्हें 22वें स्थान पर रखा गया। 20 जुलाई 2018 बरोज़ जुमा को आपका अपने निवास पर विसाल हो गया था। अब तीसरा सालाना उर्स मनाया जा रहा है ।।

 

 

बरेली से मोहम्मद शीराज़ ख़ान की रिपोर्ट !

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