प्रसव के लिए आई प्रसूता सदर अस्पताल से पहुंच जाती है निजि क्लिनिक
जमुई:-जमुई सदर अस्पताल पर बिचौलिया पूरी तरह से हावी हो चुका है।यहाँ आये मरीजों को बिचौलिया बहला-फुसला कर अपना उल्लू सीधा करने की ताक-झाक में लगा रहता है।खास कर सुरक्षित प्रसव के लिए आई महिला की ज़िन्दगी से हमेशा खिलवाड़ किया जाता है।बिचौलिए के द्वारा प्रसूता को कभी आयुष चिकित्सक तो कभी निजी नर्सिंग होम में भेज दिया जाता है।
आश्चर्य की बात तो ये है कि बिचौलिया कोई और नहीं बल्कि स्वास्थ्य विभाग से संबंधित कर्मी ही होते हैं।कभी 102एम्बुलेंस के चालक तो कभी आशा कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका होती है।मामला उस वक़्त उजागर हुई जब 7अगस्त मंगलवार की देर रात्रि साढ़े ग्यारह बजे प्रसूता को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया।फिर सवा घंटे के बाद 8अगस्त की रात्रि 12 बजकर 45मिनट पर आशा कार्यकर्ता के द्वारा प्रसूता को सदर अस्पताल से निकाला।फिर प्रसूता को पंजीयन काउंटर के बाहर 20मिनट तक रखा।उसके बाद आशा कार्यकर्ता ने फोन पर शहर के एक नर्सिंग होम में कार्यरत बादल नामक युवक को बुलाई फिर एक बजकर 5 मिनट में उक्त युवक के साथ प्रसूता को लेकर चली गई।
*प्रसूता के साथ आई परिजन ने खोला भेद
सुरक्षित प्रसव को लेकर लक्ष्मीपुर प्रखंड के दिघरा गांव की प्रसूता सकीना देवी को साथ लेकर आई लालपरी देवी ने बताई की सदर अस्पताल आने के बाद 12 बजे रात्रि में दिघरा गांव की रहने वाली आशा कार्यकर्ता रेखा देवी के द्वारा बगैर चिकित्सक के सलाह के 400 रुपया का बाहर से जाँच भी करवाया गया।उसके बाद प्रसूता के पेट में बच्चा फंसने की बात कह कर वहाँ मौजूद एनएम ने कहा कि प्रसूता को एक सुई दिया जाएगा फिर कोई रिस्क नहीं लिया जाएगा।वहीं परिजन ने बताया कि उस वक़्त महिला चिकित्सक भी ड्यूटी से गायब थी।
*एक प्रसव पर सदर अस्पताल में आशा कार्यकर्ता को मिलता है 600रुपये
*निजी नर्सिंग होम में दिया जाता है 5 से 10 हज़ार
बताया जाता है कि आशा कार्यकर्ता को सदर अस्पताल में एक प्रसव कराने के लिए सरकार के द्वारा 600 रुपया दिया जाता है।और नसबंदी के लिए 150 रुपया मिलता है।उसके बावजूद प्रसव के लिए निजी दवाखाना से जबरन दवाई मंगवाई जाती है।और प्रसूता से भी कुछ मिल ही जाता है।इस तरह से एक प्रसव में आशा कार्यकर्ता को लगभग 1500 से 2000 रुपये तक की आमदनी हो जाती है।फिर भी पैसों की लालच में आशा कार्यकर्ता जच्चा-बच्चा की ज़िन्दागी से खिलवाड़ करते हुए उसे किसी निजी क्लिनिक में बेच देती है।जिसके एवज में 5000 से 10000 तक कि मोटी रकम दी जाती है।
*5अगस्त को भी एम्बुलेन्स चालक ने प्रसूता को भेजा था आयुष क्लिनिक,
*102 एम्बुलेंस के चालक की हुई थी पहचान
*सिविल सर्जन के द्वारा सिर्फ मौखिक ही दी गई थी कार्रवाई का आश्वासन
*कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन श्याम मोहन दास ने बताया कि अस्पताल में प्रसव के लिए सभी दवाइयां मौजूद हैं किसी को भी दवाइयां बाहर से खरीदने की ज़रूरत नहीं है।बाहर से जाँच करवाने और प्रसूता को आशा कार्यकर्ता के द्वारा सदर अस्पताल से निजी क्लिनिक पर भेजने का मामला मेरे संज्ञान में आया है।जल्द ही जाँच कर कार्रवाई की जाएगी।
रिपोर्ट,मो.अंजुम आलम,जमुई (बिहार)