पत्रकारिता में मील का पत्थर थे ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’ के जे. बी. सुमन –निर्भय सक्सेना–

बरेली। बरेली मण्डल ही नही प्रदेश, देश की पत्रकारिता में कोई जीवटता के साथ कोई जुड़ा रहा तो वह थे जगदीश बहादुर सुमन उर्फ जे.बी.सुमन। जिन्होंने अखबारी जगत को न केवल जिया बल्कि उसे अपने आचरण में भी ढाला। बेहद मिलनसार व शालीन जे. बी. सुमन ने काफी युवकों को भी पत्रकारिता क्षेत्र से जोड़ा। यही कारण है कि उनके संस्थान में कार्य कर चुके लोग देश के विभिन्न जिलों में पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना नाम कमा रहे हैं। मुझे भी उन्होने बहुत कुछ सिखाया। उनका द्वारा 45 वर्ष पूर्व स्थापित हिन्दी ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’ आज भी सफलता के साथ उनके पुत्र प्रशांत सुमन निरंतर निकाल रहै हैं ।
वैसे तो उनका पूरा नाम जगदीश बहादुर सुमन था पर उनकी पहचान जे.बी. सुमन उर्फ सुमन जी के नाम से ही अधिक रही। जब वर्ष 1968-69 के दशक में बरेली से दैनिक ‘अमर उजाला’ के प्रकाशन की योजना बनी तो उसके प्रमुख श्री मुरारी लाल महेश्वरी जी ने दैनिक ‘अमर उजाला’ में जे.बी. सुमन को अपने साथ जोड़ा। कुछ समय बाद ही उनकी निष्पक्ष खबरों ने बरेली मण्डल ही नही प्रदेश में धूम मचा दी। वह दैनिक‘अमर उजाला’ में स्टार रिपोर्टर बन गए। श्री जे.बी. सुमन जी ने अमर उजाला के संपादकीय विभाग में विभिन्न डेस्कों पर प्रभारी के तौर पर भी काम कियासाथ ही वहां मुझे भी स्नेह दिया। वर्ष 1976 में ‘अमर उजाला’ छोड़कर उन्होंने अपना हिन्दी ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’ निकाला। ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’ में उन्होंने युवाओं की नई टीम जुटाकर उन्हें पत्रकारिता की बारीकियां सिखाईं । यही कारण है कि कुछ वर्षों में ही ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’ बरेली मण्डल ही नही प्रदेश में जाना- पहचाना हिन्दी समाचार पत्र बन गया। जो अब 45 वें वर्ष में पहुंच गया। श्री जे. बी.सुमन 18 दिसंबर 2018 को अपनी मृत्यु होने से एक माह पूर्व तक अखबार के संपादकीय विभाग में बैठकर, पक्षाघात होने के बावजूद, भी हर खबर पर पैनी नजर रखी। ऐसा उनके पुत्र प्रशांत सुमन (संपादक) का कहना है। श्री ब्रज बहादुर एवं श्रीमती कुंदन देवी के यहां तीज पर्व पर वर्ष 1940 में जन्में श्री जे. बी. सुमन ने बरेली में ही स्नातक एवं कानून की पढ़ाई की। वकालत में न जाकर उनका मन पत्रकारिता क्षेत्र में रमा। उन्होंने अपनी ‘कुमुदिनी’ नामक पत्रिका शुरू कर दी इसके साथ ही भूतपूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष स्वर्गीय श्री पी. सी. आजाद एडवोकेट के साप्ताहिक अखबार के संपादन से भी जुड़ गए। श्री सुमन जी के पिता के नाम पर ही प्रेम नगर से डी. डी. पुरम जाने वाली सड़क का नाम ‘ब्रज कुंदन मार्ग’ पड़ा। श्री सुमन के ‘दैनिक दिव्य प्रकाश’ समाचार पत्र पत्रकारों का जीवंत ट्रेनिंग स्कूल रहा। जहां लोग सीखते थे और बड़े अखबारों की ओर रुख कर लेते थे। जे.बी.सुमन स्वयं कहते थे उन्हें कोई अफसोस नहीं है कि उनके यहां सीखे युवक उनके अखबार को छोड़कर चले जाते हैं और बड़े अखबारों में काम करते हैं। ये तो जीवन की एक प्रक्रिया है जिसका उन्हें कोई अफसोस नहीं होता। खुशी होती है कि उनके सिखाये युवक बड़े अखबारों में कार्यरत हैं।

जब ‘यू. पी जर्नलिस्ट ऐसोसिएशन’ (उपजा) का लखनऊ 1966 में गठन हुआ तो उसके तत्कालीन महामंत्री बने श्री भगवत सरन दैनिक जागरण ने जे.बी.सुमन को भी ‘उपजा’ से जोड़ा जो उपजा के संस्थापक सदस्य रहे। श्री सुमन की बी. के. सुभाष (पायनियर) व एस.पी.निगम (नैशनल हैराल्ड) लखनऊ से दोस्ती थी। देश में लगे ‘आपातकाल’ के दौरान 1976 में उपजा का जब 10वां प्रांतीय सम्मेलन बरेली में होना तय हुआ तो जे.बी. सुमन ने अपने पत्रकार साथियों के साथ उसका बीड़ा अपने ऊपर लिया। जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री एन. डी. तिवारी जी मुख्य अतिथि के रूप में उपजा के बरेली के प्रांतीय सम्मेलन में आए। ‘बिहार प्रेस बिल’ के खिलाफ जब पत्रकारों ने आंदोलन छेड़ा तब दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन के लिए लखनऊ से दिल्ली को बस से जाने वाले पत्रकारों को रात्रि भोज बरेली में श्री जे.बी. सुमन जी ने दिया। अपने साथियों के साथ दिल्ली भी प्रदर्शन में गए। बरेली उपजा के अध्यक्ष रहते हुए पत्रकारों के हित में कई सराहनीय कार्य किये।

चौधरी. चरण सिंह (पूर्व प्रधानमंत्री) का भी जे.बी.सुमन पर विशेष स्नेह इसलिए रहा। ‘आपातकाल’ के दौरान चौधरी चरण सिंह को भूमिगत कराने में जे. बी. सुमन ने महत्ती भूमिका निभाई। बाद में उन्हें चोधरी चरण सिंह की पार्टी भारतीय क्रांति दल (बीकेडी) /लोकदल से बरेली विधान सभा का चुनाव भी लड़ा परंतु उन्हें चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा। तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के साथ उन्होंने पर्वतीय क्षेत्र के कई दौरे किये। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का भी उन्हें विशेष स्नेह प्राप्त था। उनकी लाल बहादुर शास्त्री जी से पहली मुलाकात भी यादगार वाली रही। प्रधानमंत्री कार्यालय में उन्होंने एक पर्ची देकर इलाहाबाद निवासी अपने नाना जालपा प्रसाद का उल्लेख कर लिखा। जिस पर कुछ समय उपरांत ही प्रधानमंत्री लाल बहादुर जी ने बुलवाकर उनसे भेंट की। साथ ही अपनी पत्नी से भी मिलवाया की यह अपने पडोसी की बेटी के पुत्र हैं । जब बरेली में उन्होंने प्रधानमंत्री शास्त्री जी से भेंट की यह बात अपने साथियो को बताई तो उन्हें विश्वास नही हुआ। बाद में जब उन्हें डाक से प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के साथ का फोटो मिला तो उन्होंने सभी को वह फ़ोटो दिखाया। बरेली के कायस्थ समाज की सभाओं में वह सक्रिय रहकर कई पदों पर कार्य किया। उनकी पत्नी श्रीमती गीता सुमन एक स्कूल की

प्रधानाचार्य रही। पुत्र प्रशांत सुमन दैनिक दिव्य प्रकाश के संपादक है। उनकी पुत्रियां अपनी ससुराल में अच्छा जीवन निर्वाह कर रही है। ‘भारतीय पत्रकारिता संस्थान बरेली’ के सुरेन्द्र बीनू सिन्हा ने भी उनको सम्मानित करके गौरव प्राप्त किया था। 30 मई 2018 को हिंदी पत्रकारिता दिवस पर ‘भारतीय पत्रकारिता संस्थान’ एवं ‘मानव सेवा क्लब’ के अध्यक्ष सुरेन्द्र बीनू सिन्हा सचिव अभय सिंह भटनागर ने रोटरी भवन में जे. बी. सुमन के पुत्र प्रशांत सुमन को भी पत्रकारिता क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया था।
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बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

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