कपड़ा मंत्री स्मृति इरानी ‘वर्ल्ड कॉटन डे’ समारोह, जेनेवा में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी

समापन सत्र में राष्ट्र प्रमुख और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भाग लेंगे

कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति इरानी ‘वर्ल्ड कॉटन डे’ समारोह में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। यह समारोह 7-11 अक्टूबर, 2019 तक जेनेवा आयोजित होगा। संयुक्त राष्ट्र खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ), संयुक्त राष्ट्र व्यापार व विकास सम्मेलन (यूएनसीटीएडी), अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केन्द्र (आईटीसी) और अंतर्राष्ट्रीय कपास परामर्श समिति (आईसीएसी) के सहयोग से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) वर्ल्ड कॉटन डे का आयोजन कर रहा है। समापन सत्र में राष्ट्र प्रमुख और अंतर्राष्ट्रीय संगठन भाग लेंगे।

बेनिन, बुर्किना फासो, चाड और माली देशों के अनुरोध पर डब्ल्यूटीओ, 7 अक्टूबर को वर्ल्ड कॉटन डे के रूप में संयुक्त राष्ट्र से मान्यता प्राप्त करने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित कर रहा है।

कपास की खेती पूरे विश्व में होती है और एक टन कपास से औसत पांच लोगों को पूरे वर्ष भर रोजगार प्राप्त होता है। कपास सूखारोधी फसल है। विश्व के केवल 2.1 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि में कपास की खेती होती है, लेकिन यह विश्व की वस्त्र जरूरतों के 27 प्रतिशत को पूरा करती है।

वर्ल्ड कॉटन डे ऐसा अवसर प्रदान करता है जिसके तहत निजी क्षेत्र और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ज्ञान का आदान-प्रदान कर सकते है तथा कपास/वस्त्र संबंधी उत्पादों का प्रदर्शन कर सकते है।

विश्व के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित सूती वस्त्र फैशन का प्रदर्शन करने के लिए एक फैशन समारोह भी आयोजित किया जाएगा। इस फैशन समारोह का फोकस अफ्रीका होगा। कपास/सूती वस्त्र पर एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया जाएगा। इस प्रदर्शनी में हथकरघा वस्त्र संवर्धन परिषद (एचईपीसी), भारतीय कपास निगम (सीसीआई), टैक्सप्रोसिल तथा राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) भी अपने स्टॉल लगाएंगे।

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर कपास से बने महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

भारतीय कपास निगम तमिलनाडु के सुविन कपास, धारवाड़ के प्रकृतिक रंगयुक्त कपास तथा गहरे भूरे, हल्के भूरे, हरे तथा क्रीम रंगों के कपास का प्रदर्शन करेगा।

एचईपीसी भारत के विभिन्न भागों में तैयार होने वाले हाथ से बुने वस्त्रों का प्रदर्शन करेगा। राष्ट्रीय पुरस्कार बुनकर पित्त रामुलू चरखा चलाकर वस्त्र बुनने की प्रक्रिया का प्रदर्शन करेगे। बाद में इस चरखे को डब्ल्यूटीओ को भेंट कर दिया जाएगा।

प्रदर्शनी में इंडिया पवेलियन का डिजाइन निफ्ट तैयार कर रहा है। हाथ से बुने खादी वस्त्रों का भी प्रदर्शन किया जाएगा। भौगोलिक पहचान वाले वस्त्रों जैसे वेंकटगिरी, चंदेरी, महेश्वरी तथा इक्कत साड़ियों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।

2011-18 के दौरान भारत ने सात अफ्रीकी देशों- बेनिन, बुर्किना फासो, माली, चाड, युगांडा, मलावी और नाइजीरिया के लिए कपास प्रौद्योगिकी सहायता कार्यक्रम (कॉटन टीएपी-I) का संचालन किया था। कार्यक्रम की कुल लागत 2.89 मिलियन डॉलर थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: