टीबी मुक्त दुनिया मानवता की एक बड़ी सेवा है : नरेंद्र मोदी
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO की ओर से पूरी दुनिया में हर साल 24 मार्च को वर्ल्ड टीबी डे मनाया जाता है। इसका मकसद इस रोग के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। रॉबर्ट कोच ने 24 मार्च 1882 को टीबी के जीवाणु की खोज करने की घोषणा की थी, जिससे इस बीमारी की इलाज ढूंढ़ने में मदद मिली. इसलिए, 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है.
मोदी ने ट्वीट किया, ‘इस साल के विश्व टीबी दिवस के विषय ‘वांटेड-लीडर्स फॉर ए टीबी फ्री वर्ल्ड’ की भावना को ध्यान में रखते हुए मैं टीबी को खत्म करने के लिए नागरिकों और संगठनों से आगे आने का आग्रह करता हूं. टीबी मुक्त दुनिया मानवता की एक बड़ी सेवा है.’उन्होंने यह भी कहा कि सरकार भारत को टीबी मुक्त बनाने के लिए काम कर रही है .24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है.
अब भले ही लाइलाज नहीं हो लेकिन लोगों में जागरुकता के अभाव में इस जानलेवा बीमारी से देश में तीन मिनट में दो और प्रतिदिन करीब एक हजार लोगों की मौत होती है। जिला टीबी ऑफिसर डॉ. प्रभाकर भगत ने बताया कि खांसी देखने में आम है लेकिन लगातार तीन हफ्ते से अधिक है तो सावधान। यह एक ऐसा संक्रमण रोग है, जो माइक्रो बेक्टीरियम ट्यूबरक्लोई नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर उसे रोग ग्रसित कर देता है।
प्रधानमंत्री ने एक अन्य ट्वीट में 13 मार्च को टीबी पर दिए गए अपने भाषण के बारे में एक न्यूज रिपोर्ट का जिक्र किया. उन्होंने कहा, ‘दुनिया ने जहां 2030 तक टीबी का उन्मूलन करने का लक्ष्य रखा है, हम भारत में 2025 तक टीबी मुक्त होना चाहते हैं. हालिया ‘दिल्ली एंड टीबी समिट’ में मैंने इस विषय के बारे में बात की.”विश्व टीबी दिवस लोगों को इसके प्रति जागरूक करने और वैश्विक स्तर पर इस महामारी को खत्म करने के प्रयास को आगे बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.