Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आप को बड़ा झटका, चुनाव तक जेल में रहेंगे मनीष सिसोदिया

Manish Sisodia : शीर्ष अदालत ने निचली अदालत से कहा है कि वह इस मामले की सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी करे। साथ ही सिसोदिया को भी कहा है कि यदि इस मामले की सुनवाई में देरी होती है, तो वे तीन महीने बाद जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने शराब घोटाले में फंसे मनीष सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने प्राथमिक तौर पर यह मान लिया है कि शराब घोटाले में 336 करोड़ रुपये की मनी ट्रेल स्थापित हो रही है।

इसका यह अर्थ है कि इस मामले में आम आदमी पार्टी नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह भी इसी घोटाले में जेल में बंद हैं। इसकी आंच उनके मामले पर भी पड़ सकती है। भाजपा ने कहा है कि अब इस मामले में अरविंद केजरीवाल के भी जेल जाने का समय आ गया है।

अदालत ने निचली अदालत से कहा है कि वह इस मामले की सुनवाई छह से आठ महीने में पूरी करे। साथ ही सिसोदिया को भी कहा है कि यदि इस मामले की सुनवाई में देरी होती है, तो वे तीन महीने बाद जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इससे यह संकेत मिल रहे हैं कि अगला लोकसभा चुनाव होने तक मनीष सिसोदिया को जेल में रहना पड़ सकता है। सिसोदिया पर टिप्पणी के बाद आम आदमी पार्टी के दूसरे नेता संजय सिंह को भी राहत मिलने का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन अब इसका असर उनके मामले पर भी पड़ सकता है।

दरअसल, इसके पहले की सुनवाई में अदालत ने जांच एजेंसी से यह प्रश्न किया था कि इस मामले में मनी ट्रेल कहां है। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा था कि इस मामले में मनी ट्रेल स्थापित नहीं हो रही है।

इससे सिसोदिया के जल्द जेल से बाहर आने का अनुमान लगाया जा रहा था। लेकिन आज की सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा मनी ट्रेल को स्वीकार कर लेने से आम आदमी पार्टी की मुश्किलें बढ़ गई हैं।

अरविंद केजरीवाल के गिरफ्तार होने का समय आ गय़ा- भाजपा

भाजपा नेता मनोज तिावारी ने सिसोदिया की जमानत खारिज हो जाने के बाद कहा है कि इस मामले के असली गुनहगार अरविंद केजरीवाल हैं। अब उनके गिरफ्तार होने का समय आ गया है।

पार्टी ने कहा है कि आम आदमी पार्टी के वे सभी नेता जो इस मामले में शामिल हैं, उनके जेल जाने का समय आ गया है। इससे अरविंद केजरीवाल सहित आम आदमी पार्टी के दूसरे नेताओं की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं।

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

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