सुब्हानी मियां की क़यादत में निकला जुलूस ए मोहम्मदी,दर्जनों अंजुमनों ने शिरकत की ।
पैगम्बर ए इस्लाम की यौमे विलादत के मौके पर आज मुख्य जुलूस अंजुमन खुद्दामें रसूल की जानिब से कोहाड़ापीर से निकाला गया।
जुलूस की कयादत (नेतृत्व) में निकाला गया। जुलूस ए मोहम्मदी में नए व पुराने शहर की दर्जनों अंजुमनों ने हिस्सा लिया। मज़हबी नारों के साथ जुलूस में बड़े, बच्चे और बुजुर्ग शामिल रहे। सुबह बाद नमाज़ ए फज़र दरगाह पर 2 रोज़ा जश्न के दूसरे दिन कुरान ख्वानी हुई। हाजी गुलाम सुब्हानी ने नात ए पाक का नज़राना पेश किया। इसके हज़रत सुब्हानी मियां की सदारत में उलेमा ए इकराम की तक़रीर हुई। मुफ़्ती अय्यूब व मुफ़्ती मोइनुद्दीन ने खिताब करते हुए कहा कि पैगम्बर ए इस्लाम की पैदाइश पूरी दुनिया के लिए अल्लाह की तरफ से नायब तोहफा है। रसूल ए पाक ने गुलामी प्रथा पर रोक लगाई। महाजनी जैसी कुरुती को खत्म किया। मुफ़्ती आकिल रज़वी व मुफ़्ती जमील ने कहा की जब हमारे नबी इस दुनिया मे तशरीफ़ लाये तो सूद ब्याज को हराम करार दिया। औरतो के हक़ में आवाज बुलंद की। यतीमों, बेवाओ, गरीबों बेसहारों का सहारा बनने का हुक़्म दिया। पूरी दुनिया को अमन और भाईचारे का पैगाम दिया। मुफ़्ती सलीम नूरी का भी खुसूसी खिताब हुआ। उन्होंने मुसलमानों से कहा कि अगर दीन और दुनिया मे कामयाबी चाहते हो तो नबी ए करीम का रास्ता अपना लो यही रास्ता जन्नत का रास्ता है। फातिहा कारी रिज़वान रज़ा ने पढ़ी व खुसूसी दुआ मुफ़्ती अनवर अली ने की। दुआ के बाद लंगर तक़सीम किया गया। दोहपर बाद हज़रत सुब्हानी मियां ने जुलूस का परचम सय्यद सरकार हुसैन को सौप कर जुलूस को रवाना किया। इससे पहले कोहाड़ापीर पर जलसा हुआ। अंजुमन खुद्दामें रसूल के कासिम कश्मीरी, आरिफ उल्लाह व शान रज़ा आदि ने हज़रत सुब्हानी मियां की दस्तार बंदी कर इस्तक़बाल किया। जुलूस कोहाड़ापीर से शरू होकर कुतुबखाना, ज़िला अस्पताल, कोतवाली, नॉवेल्टी, इस्लामिया स्कूल से होता बिहारीपुर ढाल के रास्ते दरगाह आला हज़रत पर खत्म हुआ। जगह जगह जूलूस का इस्तक़बाल फूलों से किया गया। अंजुमन अनवारे मुस्तफ़ा, अंजुमन जानिसारने रसूल, अंजुमन रजविया कमेटी, अंजुमन आशिकाने रज़ा, अंजुमन रज़ा ए मोहम्मद, अंजुमन फैज़ुल क़ुरान, अंजुमन जमाले मुस्तफ़ा आदि नात ओ मनकबत पढ़ते चल रही थी। जुलूस की व्यवस्था कासिम कश्मीरी, आरिफ उल्लाह, शान रज़ा, आबिद खान, हाजी जावेद खान, सय्यद मुदस्सिर अली, गफूर पहलवान, शहजाद पहलवान, फारूक खान, हाजी अब्बास नूरी, अबरार उल हक़ आदि ने संभाली।