देशभर के कोर्ट में पाप पुण्य का लेखा जोखा रखने वाले चित्रगुप्त की मूर्ति लगाई जाए

बरेली। भारत में गुलामी की प्रतीक रही यूनानी समाज सेविका डिकी को स्वतन्त्र भारत देश के न्यायालयों एवं कानून की पुस्तकों से हटाकर पाप पुण्य का लेखा जोखा रखने वाले चित्रगुप्त की मूर्ति लगाने की माँग को लेकर कायस्थ समाज द्वारा जन्तर-मंन्तर नई दिल्ली पर सांकेतिक धरना दिया गया। इसके साथ ही चित्रगुप्त धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन प्रस्तुत करते हुए अनुरोध किया गया कि आगामी संसद सत्र में इस प्रकरण को सदन में लाकर स्वीकृत कराया जाये तथा भारत देश की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चराचर जगत के कर्म फल का लेखा-जोखा रखते हुए सभी प्राणियों का न्याय करने वाले ब्रह्माण्ड न्यायाधीश भगवान श्री चित्रगुप्त जी को इस यूनानी/रोमन विदेशी मूर्ति के स्थान पर स्थापित किया जाये।

देश के विभिन्न राज्यों से चित्रगुप्त धर्मार्थ ट्रस्ट के संरक्षक ट्रस्टीगण ने दिल्ली में मुख्य ट्रस्टी सुशील सिनहा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने देश से भी कथित न्याय की देवी को हटाकर भारत देश की जनता को इस गुलामी के कलंक से मुक्ति दिलाने हेतु बुधवार 23 जून को दिल्ली के धरने में शामिल हुआ।


इसके साथ ही चित्रगुप्त धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा देश के सभी लोकसभा एवं राज्यसभा सदस्यों, सभी राज्यों के राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, सभी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सभी प्रमुख समाचार एवं इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ सभी विधान सभा एवं विधान परिषद सदस्यगण को पत्र भेजकर इस सम्बन्ध में अवगत कराते हुए समर्थन करने का भी अनुरोध किया गया ।


उक्त जानकारी देते हुए चित्रगुप्त धर्मार्थ ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी सुशील सिनहा ने बताया कि यूनानी देवी डिकी उर्फ मात उर्फ थेमीस उर्फ जस्टिसिया आदि नामों से प्रचलित कथित न्याय की देवी के सम्बन्ध में अब तक जो तथ्य संज्ञान में आया है उसके अनुसार यह विदेशी मूर्ति पुर्तगाली एवं डच व्यापारियों द्वारा पन्द्रहवी/सोलहवी शताब्दी में भारत में व्यापार स्थापित करते समय न्याय व्यवस्था हेतु प्रतीक के रूप में स्थापित किया गया जो उनके देश का प्रतीक था, अपने वहाँ का यह प्रतीक भारत देश में भी प्रचलन में लाया गया बाद में ब्रिटिश व्यापारियों एवं ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा भी इस यूरोपीय समाजसेविका को स्वीकार कर लिया गया और परम्परागत रूप से अब तक न्याय व्यवस्था में स्थापित है जो भारतवासियों के लिए एक कंलक है।

 

निर्भय सक्सेना, पत्रकार बरेली । मोबाइल 9411005249

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