लघुकथा -शार्ट लिस्ट
किशोरी बाबू ने टैक्सी वाले को किराया देकर होटल में प्रवेश किया। वे मुरादाबाद से परिवार सहित अपने एक रिश्ते दार की बेटी की शादी में शामिल होने दिल्ली आए थे। शादी समारोह का आयोजन दिल्ली के एक थ्रीस्टार होटल में था।
किशोरी बाबू का परिवार इस शादी समारोह को लेकर बड़ा उत्साहित था। बच्चे रास्ते भर उनकी पत्नी के कान खाते आये-“मम्मी थ्रीस्टार होटल का खाना कैसा होगा ? कौन-कौन सी डिस होगी ? क्या-क्या ड्रिंक पीने को मिलेंगे ?“
बच्चो के सवालों का क्या जबाव दें उन्हें समझ में नहीं आ रहा था। वे बोलीं-“अब तुम लोग खुद चलकर देख लेना। मैंने पहले कभी थ्रीस्टार होटल में खाना थोड़े ही खाया है।
किशोरी बाबू परिवार के साथ रिसेप्शन पर पहुँचे। रिसेप्शन पर बैठे व्यक्ति ने उनसे पूछा-“सर! आज होटल में चार शादियाँ हैं। आप किस शादी में आए हैं प्लीज इन्विटेशन कार्ड दिखाइए ?“
किशोरी बाबू ने इन्विटेशन कार्ड निकाल कर उसे दे दिया। इन्विटेशन कार्ड देखकर उसने एक लिस्ट निकाली और उसमें किशोरी बाबू का नाम ढूढ़ने लगा। सारे नामों पर नजर डालने के बाद वह बोला-“सर मेहमानों की लिस्ट में आपका नाम नहीं है ?“
“ऐसा कैसे हो सकता है ? जरूर आपसे देखने में कहीं कोई गलती हुई है। एक बार फिर से देखिए।“
किशोरी बाबू के आग्रह पर उसने एक बार फिर पूरी लिस्ट देखी और बोला-“वेरी साॅरी सर। लिस्ट में आपका नाम नहीं है।“
“क्या ?“ किशोरी बाबू के चेहरे पर पसीना झलक आया था।
उन्होंने अपने रिश्तेदार को फोन लगाया। संयोग से पहली बार में ही फोन लग गया।
किशोरी बाबू बोले-“फूफा जी यह रिसेप्शन पर बैठे सज्जन कह रहे हैं कि आपका नाम मेहमानों की लिस्ट में नहीं है।“
फूफा जी बोले-“वे सही कह रहे हैं बेटा। जब कार्ड बांटे गए थे तो दो सौ लोगों के शामिल होने की बात थी। अब प्रशासन ने सौ लोगों की ही अनुमति कर दी है। मजबूरी में मेहमानों की लिस्ट शाॅर्ट करनी पड़ी। इस चक्कर में आपका नाम भी काटना पड़ा।“ फिर उत्तर की प्रतीक्षा किए बिना उन्होंने फोन काट दिया।
किशोरी बाबू हक्के-बक्के से खड़े थे। सारी बातें सुनकर उनकी पत्नी और बच्चों का चेहरा मुर्झा गया था।
सुरेश बाबू मिश्रा
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बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !