शिक्षा का हाईटेक अवतार

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आजकल स्कूलों और कोलेज में जाने के आलावा घर बैठे ऑनलाइन पढ़ाई भी करके के विकल्प हैं। हो सकता है की कई ऑनलाइन एजुकेशन देने वाली फार्म फर्जीवाड़ा करती हों लेकिन ये बात साबित नहीं हो जाती कि देश दुनिया में ऑनलाइन  एजुकेशन की कोई जरूरत नहीं है। आज भी जाने कितने बेरोजागार और नौकरीशुदा लाग ऑनलाइन पढ़ाई कर न सिर्फ डिग्री हासिल कर रहे हैं बल्कि उन डिग्री के आधार पर अपने नौकरी में प्रोमोशन या फिर रोजगार हासिल कर रहे हैं। डिजिटल एज की यह दुनिया शिक्षा को हाईटेक अवतार में प्रस्तुत कर  रही है। ऐसा ही एक माध्यम है एमओओसी जो मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्स डिस्टेंस एजुकेशन का ऑनलाइन अवतार है। यह  माध्यम आपको नामी युनिवर्सिटी से ऑनलाइन पढऩे का मौका देता है। इस के जरिये दिल्ली में बैठा छात्र बैंगलोर के प्रोफ़ेसर से बिलकुल मुफ्त शिक्षा ले रहा है। क्योंकि इसके ज्यादातर कोर्स मुफ्त है। न  एडमिशन का कोई झंझट न  कोई लिमिट। इसकी शुरुआत 2008 हुई। जब दुनिया के देशों ने अपनी युनिवर्सिटीज को इसमें शामिल किया जबकि भारत सरकार का अपना एमओओसी प्लेटफॉर्म है। भारत में एमओओसी पर आईआईटी बॉम्बे, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास, आईआईएम बैंगलोर के कोर्स उपलब्ध है। भारत में एमओओसी को डिग्री में शामिल करने की पहल आईआईटी बॉम्बे ने की। इसके अलावा नॉसकॉम ने भी आईटी कंपनियों के मिल कर एमओओसी बनाने की घोषणा की है।

घर बैठे ऑनलाइन डिग्री

ऑनलाइन एजुकेशन के बढ़ते क्रेज के मद्देनजर एमआईटी और हार्वर्ड ने मिलकर ऑनलाइन कोर्स  शुरू किये थे।

आंकड़ों के मुताबिक़ अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा भारतीय छात्रों ने इस ऑनलाइन कोर्स के प्रति उत्सुकता दिखाई है।।

कई लोग इन कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन करते हैं लेकिन कुछ प्रतिशत लोग ही कोर्स पूरा कर सर्टिफिकेट ले पाते हैं।

इस तरह के कोर्स की सत्यता जांचने के लिए जरूरी चीजें पता कर लेनी चाहिए।

अनुमान है कि 2017 तक ऑनलाइन एजुकेशन मार्केट करीब 40 अरब डॉलर के आसपास पहुंच जाएगा। फिलहाल यह लगभग 20 अरब डॉलर का है।

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