सेहतनामा वेट लॉस : वजन घटाने के लिए सिर्फ एक्सरसाइज नहीं नींद भी है जरूरी

हाल ही में एक ऐसी रिसर्च आई है, जिसे पढ़कर ज्यादा सोने वालों की चांदी हो जाएगी। यूरोपियन हार्ट जरनल में छपी इस रिसर्च के मुताबिक अगर आप दिन में 30 मिनट बैठकर काम करने की जगह सो जाएं तो आपका बॉडी मास यानी वजन कम हो सकता है।

लेकिन ये पढ़कर तुरंत तकिया-चादर लेकर सोने न चले जाइए। पहले इस विज्ञान को समझिए कि सोने पर वजन कम होता कैसे है। ये बात सुनने में तो कबीर की उलटबांसी की तरह लग रही है।

जिंदगी भर ये सुनते रहे कि वजन कम करना है तो शरीर को हिलाओ। दौड़ो, खेलो, व्यायाम करो। अब कह रहे हैं कि वजन कम करना है तो सो जाओ। इसलिए आइए पहले नींद और वजन के विज्ञान को समझते हैं।

हम जानते हैं कि संतुलित नींद हमारे जीवन का बहुत जरूरी हिस्सा है। पर क्या हम पर्याप्त नींद ले रहे हैं? इस बारे में लोकल सर्किल की एक रिसर्च तो कुछ और ही कहानी बयां करती है। इस रिसर्च में पाया गया कि 55% भारतीय जरूरत यानी औसत 6 घंटे से कम नींद ले रहे हैं। और तो और, 21% लोग सिर्फ 4 घंटे ही सो पा रहे हैं।

पर्याप्त नींद न लेने के बहुत से नुकसान हैं। नींद खाने की तरह है, ज्यादा खाएंगे तो भी नुकसान और बहुत कम खाएंगे तो भी फिर नींद को लेकर इस रिसर्च में और क्या बातें सामने आईं, आइए समझते हैं। लेकिन पहले नीचे लगे ग्राफिक से जानते हैं कि मनुष्य को किस उम्र में कितनी नींद की जरूरत होती है।

बैठे या लेटे रहने से ज्यादा हेल्दी है सोना

यूरोपियन हार्ट जरनल की ये रिसर्च पांच देशों के करीब 15 हजार लोगों पर की गई। इसमें लोगों के सोने, जागने, बैठकर काम करने और कसरत के टाइम पर लगातार नजर रखी गई। साथ ही इन एक्टिविटीज को उनके कोलेस्ट्रॉल, ब्लड शुगर लेवल और BMI यानी वजन से जोड़कर देखा गया। इस रिसर्च में जो बातें सामने आईं, उन्हें एक-एक करके समझते हैं।

1. जो लोग कई घंटे बस यूं ही जगे और बैठे रहने की बजाय उस समय में सो रहे थे, कसरत कर रहे थे या खड़े रहकर काम कर रहे थे, उनका वजन बाकी लोगों से कम बढ़ा और उनका दिल भी ज्यादा हेल्दी था। मतलब जिन लोगों ने आधे घंटे बैठे रहने की बजाय आधे घंटे सोना या कसरत करना चुना, उनका वजन कम और हेल्थ दूसरों के मुकाबले ज्यादा दुरुस्त पाई गई।

2. वहीं जो लोग एक सीमा से ज्यादा सो रहे थे और कसरत या व्यायाम का समय भी सोने में निकाल दे रहे थे, उनकी हेल्थ और वजन पर भी बुरा असर पड़ा। उनका वजन और कोलेस्ट्रॉल दोनों बढ़े हुए पाए गए।

मतलब अगर हम बैठकर फोन चलाने की बजाय उस समय में सो लें तो ये हमारे लिए ज्यादा हेल्दी होगा। वहीं अगर हम कसरत या एक्सरसाइज करने की जगह हर वक्त सोते ही रहें तो ये भी सेहत के लिए ठीक नहीं होगा। यानी नींद उतनी ही ठीक है, जो कसरत जैसी हेल्दी चीजों को रिप्लेस न करे।

कम नींद सिर्फ उबासी नहीं लाती, इसके ये खतरे भी हैं हमारा दिल जन्म से लेकर मृत्यु तक लगातार धड़कता है। रोजाना बिना रुके ये शरीर में खून एक अंग से दूसरे अंग तक पहुंचाता है। खून के साथ ऑक्सीजन, ग्लूकोज और जरूरी तत्व दिल की वजह से ही पूरे शरीर में पहुंच पाते हैं। क्या हो अगर ये कुछ मिनट के लिए रुक जाए और अंगों तक ऑक्सीजन युक्त खून न पहुंच पाए

चंद मिनट भी दिमाग को ऑक्सीजन न मिले तो दिमाग की कोशिकाएं मरने लगती हैं। बाकी अंग भी इससे कुछ अलग नहीं हैं। सभी को लगातार ऑक्सीजन की जरूरत होती है। ये न मिले तो ये अंग काम करना बंद कर सकते हैं। यही कारण है कि हमारे दिल को दिन-रात काम करना पड़ता है।

अब अगर इतनी जिम्मेदारी हमारे दिल पर है तो इसके लिए आराम और मरम्मत भी जरूरी है। बस यही मरम्मत का काम हमारा शरीर नींद में करता है। लेकिन इसके लिए पर्याप्त 6-8 घंटे की गहरी नींद चाहिए।

ये नींद कई स्टेज में पूरी होती है। सिर्फ ज्यादा देर तक सो लेना ही काफी नहीं, नींद की क्वालिटी भी अच्छी होनी चाहिए। तभी हमारा शरीर, दिमाग और दिल आराम कर पाते हैं। नींद के अलग-अलग स्टेज को नीचे लगे ग्राफिक से समझते हैं।

नींद की कमी उम्र भी घटाती है

पर्याप्त नींद न लेना हमारे अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है और उन्हें समय से पहले बूढ़ा कर सकता है। स्लीप रिसर्च सोसाइटी की एक स्टडी में देखा गया कि 6 घंटे से कम सोना असमय मौत के खतरे को भी बढ़ा सकता है। आइए समझते हैं कि पर्याप्त नींद न लेने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है।

हार्ट हमारी नींद का हमारे ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल लेवल पर भी सीधा असर पड़ता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक रिसर्च में देखा गया कि जो लोग 7 घंटे से कम नींद लेते हैं, उनमें ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा ज्यादा रहता है। ये कंडीशन हमारे दिल पर सीधा असर डालती हैं और हार्ट अटैक जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा सकती हैं।

डायबिटीज ऐसी ही कई रिसर्च में ये भी देखा गया कि नींद की कमी हमारे ब्लड शुगर लेवल पर भी असर डालती है और टाइप-2 डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकती है।

इम्युनिटी शरीर के रोगों से लड़ने के लिए नींद बहुत जरूरी है। घाव नींद में जल्दी ठीक होते हैं। इंफेक्शन से लड़ने में भी नींद की अहम भूमिका है। वहीं अगर शरीर को पर्याप्त नींद न मिले तो हमारी इम्युनिटी प्रभावित हो सकती है।

दिमाग जैसाकि हमने अभी समझा कि नींद हम कई स्टेज में पूरी करते हैं। और अलग-अलग स्टेज में दिमाग अलग काम करता है। ऐसे ही गहरी नींद याददाश्त बनाने और चीजें याद रखने के लिए बहुत जरूरी है। कई रिसर्च में ये भी देखा गया कि कम नींद के साथ भूलने की बीमारी का खतरा भी जुड़ा है।

डिप्रेशन हमारा शरीर इतना कॉम्प्लेक्स सिस्टम है कि इसे पूरी तरह समझना इतना आसान नहीं है। कौन सी चीज हमें कैसे प्रभावित करती है, इस बारे में वैज्ञानिक सालों से शोध में लगे हुए हैं। यही मामला नींद के साथ भी है। हमारे स्वास्थ्य पर नींद का असर आज भी शोध का विषय है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में भी इस बारे में एक रिसर्च छपी, जिसमें पता चला कि नींद की कमी हमें शारीरिक रूप से तो बीमारी बना ही सकती है, ये हमारे दिमाग पर भी असर डालती है। डिप्रेशन और पर्याप्त नींद न लेने के बीच सीधा कनेक्शन है और ये जोड़ी बड़ी खतरनाक भी है। क्यों

क्योंकि डिप्रेशन की वजह से नींद न आने की दिक्कत हो सकती है। वहीं पर्याप्त नींद न लेने की वजह से डिप्रेशन और भी बढ़ सकता है और ये एक कुचक्र बनता जाता है। अब हम समझ सकते हैं कि न तो कम नींद हमारे लिए सही है और न ही ज्यादा।

हां, बिना वजह स्क्रीन के सामने बैठे रहने से अच्छा है कि एक झपकी ले ली जाए और शरीर और दिमाग को आराम करने का मौका दिया जाए।

 

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

 

 

 

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