SC : सुप्रीम कोर्ट का वकील कैसे बनते हैं, LLB के बाद पहले कहां काम करना चाहिए- सुप्रीम कोर्ट के लीगल एक्सपर्ट और मशहूर वकील किसलय पांडेय
वकालत की पढ़ाई करने के बाद ज्यादातर छात्र-छात्राओं का सपना होता है वो सुप्रीम कोर्ट का वकील बने. लेकिन क्या वकालत की पढ़ाई के बाद सीधा आप सुप्रीम कोर्ट का वकील बन सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट के लीगल एक्सपर्ट और मशहूर वकील किसलय पांडेय ने बताया की. उन्होंने जो भी नए युवा वकालत की पढ़ाई करके सुप्रीम कोर्ट में वकील बनने का सपना देख रहे हैं, उनके लिए यह बहुत जरूरी है कि वो सीधा कभी भी सुप्रीम कोर्ट आने के बारे में ना सोचो.
सुप्रीम कोर्ट का वकील कैसे बनते हैं
अगर आप एक अच्छा वकील बनना चाहते हैं तो सबसे पहले आप ट्रायल कोर्ट में जाएं और वहां पर सुबह से लेकर शाम तक बैठें. बहस को देखें कि किस तरह बहस हो रही है. जज क्या सुनना चाहते हैं. जज के सामने क्या गलती नहीं करनी है. ट्रायल कोर्ट से सीखने के बाद आप हाई कोर्ट जाएं और हाई कोर्ट में देखें कि कोर्ट रूम में जज और वकील के बीच बहस किस तरह हो रही है. वकील किस पॉइंट को ज्यादा उठा रहा है और किस पॉइंट को कम, जज से केस सुनने के लिए प्रार्थना कैसे करनी है. यह सीखने के बाद ही आप जब सुप्रीम कोर्ट आएंगे तो आप एक अच्छा वकील बन सकेंगे.
फॉरवर्डिंग वकील न बनें
किसलय पांडेय ने बताया कि अगर आप सुप्रीम कोर्ट आए, वकालत की पढ़ाई करके सीधा आपने ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट में किसी भी तरह की कोई बहस नहीं देखी. तो आप सुप्रीम कोर्ट में आकर सिर्फ एक फॉरवर्डिंग वकील बनकर रह जाएंगे. फॉरवर्डिंग वकील वह होता है जो लोगों से उनका केस लेता है और अपने वरिष्ठ वकीलों या साथियों को दे देता है. अगर आप ऐसा नहीं चाहते हैं इसलिए ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट में बहस जरूर देखें. एक लंबा वक्त वहां सीखने में दें. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट आएं.
जनसंपर्क भी है एक अच्छा तरीका
जब आप ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट में अच्छी तरीके से बहस करना सीख जाएंगे. तब आप जनसंपर्क करना शुरू करें. यानी उन लोगों से मिलना शुरू करें जो कोर्ट में आते हैं. क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करेंगे और सीधा सुप्रीम कोर्ट आकर मुकदमा लेकर लड़ेंगे तो आप उस व्यक्ति के साथ अन्याय कर रहे हैं जो सुप्रीम कोर्ट न्याय पाने का आखिरी दरवाजा समझ कर आया था.
जब व्यक्ति हर कोर्ट में हार मान लेता है तो उसे सुप्रीम कोर्ट एक आखिरी उम्मीद के तौर पर नजर आता है. ऐसे में आपने अगर फीस ले ली लेकिन आपको बहस करना नहीं आता है. आपको नहीं पता कि मुकदमा लड़ना किस तरह है और आप उस व्यक्ति का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट में हार जाते हैं तो लोगों के साथ अन्याय होगा.
ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन