सरकार ने चीनी निर्यात पर सीमा शुल्क को मौजूदा 20 प्रतिशत से घटाकर शून्य प्रतिशत करने का निर्णय लिया
वर्तमान चीनी सीजन 2017-18 के दौरान देश में चीनी उत्पादन के अनुमानित घरेलू खपत से काफी अधिक रहने के अनुमान लगाए गए हैं। निर्यात के लिए चीनी का पर्याप्त अधिशेष (सरप्लस) स्टॉक उपलब्ध होने की संभावना है। देश में अधिशेष स्टॉक को समाप्त करने के उद्देश्य से निर्यात बढ़ाने के लिए सरकार ने चीनी निर्यात पर सीमा शुल्क को मौजूदा 20 प्रतिशत से घटाकर शून्य प्रतिशत करने का निर्णय लिया है। मतलब यह है कि सरकार ने चीनी निर्यात पर सीमा शुल्क को हटाने का निर्णय लिया है। इससे चीनी की मांग एवं आपूर्ति के संतुलन को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी, जिससे देश में चीनी की घरेलू कीमतों में स्थिरता आएगी।
नेशनल फेडरेशन ऑफ कॉपरेटिव शुगर फैक्टरीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने सरकार के इस फैसले खुशी जाहिर की और कहा कि इससे विदेशों से चीनी आने की संभावना खत्म हो जाएगी और घरेलू बाजार भाव में थोड़ा सुधार होगा।
उन्होंने कहा कि सरकार को देसी चीनी उद्योग की सेहत सुधारने के लिए और कदम उठाने होंगे। मसलन, निर्यात शुल्क को घटाकर शून्य किए जाने से चीनी निर्यात की संभावना बन सकती है। चीनी पर 20 फीसदी निर्यात शुल्क वर्ष 2016 से लागू है।
प्रकाश नाइकनवरे ने सरकार को दोबारा चीनी मिलों के लिए निर्यात का एक कोटा तय करने पर विचार करना चाहिए। अगर निर्यात 14-15 लाख टन हो जाता है तो उद्योग की हालत सुधर जाएगी।
वर्ष 2015 में सरकार ने घरेलू चीनी मिलों को कुल 40 लाख टन चीनी निर्यात करना अनिवार्य कर दिया था। हालांकि चीनी वर्ष 2015-16 में महज 16 लाख टन ही चीनी का निर्यात हो पाया था। चीनी के निर्यात पर इस समय 20 फीसदी निर्यात शुल्क है तथा पूरी दुनिया में चीनी के भाव नीचे है इसलिए हमारे यहां से निर्यात पर फायदा नहीं हो रहा है।