रोजगार बढाने की आड़ में, सभी कंपनियों को सरकार ने दिया ठेकेदारी वाला चाबुक
केन्द्र सरकार ने कारोबारियों को जीएसटी से हो रही मुश्किलों से बचाने और (ईज ऑफ डुइंग बिजनेस) कारोबारी सहूलियत बढ़ाने के लिए कर्मचारियों को निश्चित अवधि के लिए नौकरी पर रखने की इजाजत सभी क्षेत्रों के लिए दे दी है। सरकार इसका ऐलान बजट में भी कर चुकी है । आइए जानते हैं कि इस नए नियम का आपकी नौकरी पर क्या असर होगा…
कॉन्ट्रैक्ट बेस हायरिंग
कोई कर्मचारी अगर एक तय समय के लिए कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर हायर किया जाए तो उसे फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट कहा जाएगा। इस लिहाज से एंप्लॉयर और संबंधित एंप्लॉयी के बीच कॉन्ट्रैक्ट रीन्यू न होने पर कर्मचारी की सेवाएं खुद-ब-खुद खत्म मान ली जाएगी।
no थर्ड पार्टी
अब एंप्लॉयर्स को हर तरह की नौकरियों के लिए बिना ठेकेदार (थर्ड पार्टी) के ही वर्करों को सीधे फिक्स्ड टर्म्स के लिए नियुक्त करने की छूट मिल जाएगी। अब तक कॉन्ट्रैक्ट लेबर ऐक्ट में सिर्फ ‘सहायक गतिविधियों’ के लिए कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को नियुक्त करने की अनुमति मिली हुई थी, न कि ‘मूल कारोबारी गतिविधियों’ के लिए।
परमानेंट एंप्लॉयी वाले Benifits
फिक्स्ड टर्म वर्कर को वेतन, काम के घंटे, भत्ते और अन्य कानूनी लाभ सहित सभी फायदे परमानेंट वर्कर की तरह मिलेंगे। लेकिन, कंपनियों को ठेके की समयसीमा के अंदर भी एंप्लॉयी को बिना नोटिस या पेमेंट के नौकरी से निकालने की अनुमति मिल जाएगी।
कुछ खास इंडस्ट्री को फाय़दा
इस छूट से इंडस्ट्री को ऐसे क्षेत्रों में लोगों को काम पर रखने में मदद मिलेगी, जहां काम कुछ खास सीजन में ज्यादा होता है और जहां मांग में उतार-चढ़ाव दिखता है।
हायर और फायर की सुविधा
कंपनियों या एंप्लॉयर्स के लिए फिक्स्ड-टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स पर बहाली का फायदा सीमित समय के लिए भर्तियां करने और आसानी से नौकरी से हटाने की सुविधा के रूप में मिलता है। इसी वजह से केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारें भी बड़ी संख्या में कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स को हायर कर रही हैं।
मजदूर संघों की मानी मांग
सरकार ने मजदूर संघों की एक प्रमुख मांग मानते हुए स्पष्ट कर दिया कि स्थायी कर्मचारियों को फिक्स्ड टर्म की ओर नहीं धकेला जाएगा। जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इंडस्ट्रियल इस्टेब्लिशमेंट में कोई भी एंप्लॉयर अपने यहां के ऐसे किसी भी परमानेंट वर्कर को फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट के तहत नहीं लाएगा, जो इंडस्ट्रियल एंप्लॉयमेंट (स्टैंडिंग ऑर्डर) सेंट्रल (अमेंडमेंट) रूल्स 2018 के लागू होने की तारीख को स्थाई कर्मचारी रहा हो।
पहले थी Textile इंडस्ट्री को छूट
पहले, इंडस्ट्रियल इस्टैब्लिशमेंट (स्टैंडिंग ऑर्डर) 1946 के तहत फिक्स्ड टर्म कॉन्ट्रैक्ट पर हायरिंग करने की छूट केवल अपैरल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में ही थी। फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट को अक्टूबर 2016 में इंडस्ट्रियल एंप्लॉयमेंट (स्टैंडिंग ऑर्डर) ऐक्ट के तहत अपैरल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में शुरू किया गया था।
अब मिली सभी को छूट
नोटिफिकेशन के अनुसार, ‘अपैरल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट’ की शब्दावली की जगह अपैरल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर हटाकर सिर्फ ‘फिक्स्ड टर्म एंप्लॉयमेंट’ आ जाएगा, जिसके चलते यह छूट सभी सेक्टरों में लागू हो जाएगी।