स्वाती मालीवाल ने आधी रात को छापा मारकर छुड़ाईं 39 लड़कियां
दिल्ली महिला आयोग ने पहाड़गंज से रात करीब एक बजे एक होटल से 39 नेपाली लड़कियों को छुड़ाया है. इन सभी लड़कियों को देश से बाहर भेजने की तैयारी थी. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने खुद इस रेस्क्यू ऑपरेशन को संभाला और होटल में कैद सभी नेपाली लड़कियों को सुरक्षित बाहर निकाला. पिछले कुछ समय से लगातार अलग-अलग जगहों से लड़कियों के मिलने का सिलसिला जारी है.
दिल्ली महिला आयोग को सूचना मिली थी कि पहाड़गंज के एक होटल में नेपाल की कुछ लड़कियों को रखा गया है. शिकायत के आधार पर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने खुद रात करीब एक बजे पुलिस टीम के साथ होटल पर छापा मारा और लड़कियों को छुड़ाया. इन्हें कुछ दिन पहले ही नेपाल से लाया गया था और दूसरे देशों में भेजने की तैयारी थी. लड़कियों से पूछताछ में पता चला है कि दलालों ने उनके पासपोर्ट अपने पास रख लिए थे और उन्हें होटल में कैद कर लिया.
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले भी दिल्ली महिला आयोग ने मुनिरका इलाके से रात करीब डेढ़ बजे एक घर में छापा मारकर नेपाल की 16 लड़कियों को छुड़ाया था. इन लड़कियों को बहला फुसलाकर मानव तस्करी के लिए नेपाल से लाया गया था. पूछताछ में पता चला है कि इन लड़कियों को यहां से कुवैत और इराक भेजने की तैयारी थी.वहीं गिरफ्तार आरोपितों में भारत निवासी पवन खुराना व राजेंद्र उर्फ राजन के अलावा नेपाल की सुंदरी व शाहबेन का कोर्ट से ट्रांजिट रिमांड बन गया। ये कार्रवाई बनारस पुलिस की क्राइम ब्रांच की सूचना पर बनारस पुलिस और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने एक साथ की।
घर में ही रखता था युवतियों को, गांव वालों को नहीं लगी भनक
दक्षिणी दिल्ली के मैदानगढ़ी गांव स्थित जिस घर से बनारस की अपराध शाखा ने 19 युवतियों को मुक्त कराया है, उसे मुख्य आरोपित राजेंद्र यादव ने एक साल पहले ही एक करोड़ रुपये में खरीदा था। पहले वह इसी गांव में किराए पर रहता था। लोगों से कहता था कि वह टैक्सी चलाता है। यहां यूपी, बिहार, मणिपुर, सिलीगुड़ी से खेप में युवतियां लाई जाती थीं। एक खेप खाड़ी देशों में भेजने के बाद अगली लाई जाती थी। तीन कमरों के इस घर में हर तरह की सुविधाएं मुहैया कराई जाती थीं जिससे युवतियों को घर से बाहर निकलने की जरूरत नहीं होती थी। ज्यादातर गरीब घरों की युवतियों को एजेंट के जरिये विदेश में नौकरी दिलाने का झांसा देकर लाया जाता है। उनका पासपोर्ट बनवाने के बाद उन्हें सऊदी अरब, दुबई, कुवैत, ओमान व बहरीन समेत अन्य खाड़ी देशों में वेश्यावृत्ति के लिए भेजा जाता है। गिरोह अब तक एक हजार युवतियों को विदेश भेज चुका है।
10 दिन तक डेरा डाले थी यूपी पुलिस
बनारस अपराध शाखा के डिप्टी एसपी अभिनव यादव के नेतृत्व में शिवपुर थाने के एसएचओ इंस्पेक्टर विजय बहादुर सिंह, एसआई प्रद्युम्न मणि त्रिपाठी, हरि नारायण पटेल, कांस्टेबल राहुल सिंह, अजय सिंह व देवाशीष की टीम 10 दिन से मैदानगढ़ी गांव में डेरा डाले थी। पुलिस ने बताया कि सभी युवतियों को पहले बनारस में रखा गया था लेकिन एक युवती ने मामला दर्ज करवाया तो पुलिस सक्रिय हो गई। गिरोह ने पकड़े जाने के डर से सभी युवतियों को ट्रेन से दिल्ली पहुंचाने की योजना बनाई लेकिन पुलिस को इसकी भनक लग गई। इसका अंदाजा होने पर पवन सभी लड़कियों को फ्लाइट से दिल्ली लाया।
68 में 61 पासपोर्ट नेपाल के
आरोपितों से मिले कुल 68 में से 61 पासपोर्ट नेपाल के हैं जबकि 7 भारत के। यूपी पुलिस अब इन पासपोर्ट पर दर्ज पते पर दबिश देकर अन्य युवतियों से संपर्क कर रही है। पुलिस इस बारे में नेपाल के दूतावास से भी संपर्क कर रही है। डीएसपी अभिनव यादव ने बताया कि यह गिरोह करीब दो साल से दिल्ली, यूपी, हैदराबाद व जयपुर में सक्रिय है। जिन भी शहरों से खाड़ी देशों के लिए सीधी हवाई सेवा है, वहां से फ्लाइट के टिकट का इंतजाम आरोपित पहले से ही रखते थे ताकि पुलिस की भनक लगते ही दूसरे शहर के एयरपोर्ट से लड़कियों की खेप भेज सकें। पुलिस के अनुसार मानव तस्करी का धंधा करने वाले ज्यादातर आरोपित इंटरनेशनल एयरपोर्ट के आसपास ही अपने ठिकाने बनाते हैं। इससे उन्हें लड़कियों को लाने-ले जाने में आसानी होती है।
खुद को सज्जन दिखाता था राजेंद्र
मैदानगढ़ी गांव के आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष महावीर सिंह डागर ने बताया कि राजेंद्र का व्यवहार देखकर कोई सोच भी नहीं सकता था कि वह इतना शातिर होगा। वह गांव में जिधर से भी निकलता, बड़े-बुजुर्गों व महिलाओं के पैर छूता था।
राजेश कुमार के साथ सोनू मिश्रा (क्राइम ब्यूरो रिपोर्ट )