दिल्ली में चारे घोटाले की तरह राशन घोटाला आया सामने , CAG रिपोर्ट में हुआ खुलासा
दिल्ली के मु्ख्यमंत्री केजरीवाल जहां आजकल पहले कई नेताओं के खिलाफ की गई अपनी टिप्पणियों पर माफी मांग रहें हैं, तो वहीं नियंत्रक महालेखापरीक्षक (कैग) ने दिल्ली सरकार को एक झटका दे दिया है । CAG ने अपनी रिपोर्ट में चारे घोटाले की तरह राशन घोटाले की ओर इशारा किया है । वर्ष 2016-17 की यह रिपोर्ट उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को विधानसभा में पेश की। इस रिपोर्ट में केजरीवाल सरकार और दिल्ली के विभिन्न विभागों की विस्तार से कलई खोली खोलते हुए, कई तरह के सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में कैग ने दिल्ली के राशन घोटाले की तुलना बिहार के चारे घोटाले से की है ।
दिल्ली का राशन घोटाला
CAG ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली सरकार के विभिन्न विभागों के कुप्रबंधन और अनियमितताओं की कहानी को विस्तार से लिखा है । रिपोर्ट के मुताबिक, चारा घोटाले की तरह यहां भी बाइक और टेंपो पर अनाज ढोया गया है. एफ़सीआई गोदाम से राशन वितरण केंद्रों पर 1589 क्विंटल राशन की ढुलाई के लिए आठ ऐसी गाड़ियों का इस्तेमाल किया गया, जिनका रजिस्ट्रेशन नंबर बस, टेंपो और स्कूटर-बाइक का था ।
क्या था चारा घोटाला
चारा घोटाले में शामिल लोगों ने पशुओं के चारा के अलावा पशुओं को ढोने के वाहन से लेकर दवा खरीद तक हर काम के लिए फर्जी बिल बनाए और पैसे निकाल लिए कोषागार से अवैध निकासी के पैसे में सभी की हिस्सेदारी पहले से तय होती थी। इसके अलावा जांच में पता चला कि इस घोटाले में अफसरों ने एेसे बिल पर साइन किए जिसमें सौ-सौ क्विंटल चारा और दस से बारह बैल जिस वाहन पर भेजे उसका नंबर जब खंगाला गया तो वह नंबर स्कूटर का निकला जिसपर बैल और चारा ढोया गया था। जांच करने वाले अफसर भी हैरान हो गए जब उन्हें पता चला कि स्कूटर पर बैल-भैंस-गाय और चारा ढोया गया।
शिक्षा के क्षेत्र में खुली पोल
इसके अलावा CAG ने आप सरकार की शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधारो की पोल खोलते हुए, बताया कि , तीन जिलों में करीब आठ हजार छात्र छात्राओं के लिए कोई खेल सुविधा विकसित नहीं की गई है। छह जिलों में खेल सुविधाओं के नाम पर केवल स्वीमिंग पूल हैं। इसी तरह वन विभाग ने पहले वृक्षारोपण का अपना लक्ष्य ही पूरा नहीं किया। जो किया, उसमें भी 23 फीसद पौधों को बचाया नहीं जा सका।
बीमार स्वास्थ्य सेवाएं
CAG रिपोर्ट में एक अत्यंत गंभीर सच्चाई यह भी सामने आई है कि दिल्ली में मौजूद 68 ब्लड बैंकों में से 32 के पास वैध लाइसेंस नहीं हैं। इसके अलावा ज्यादातर ब्लड बैंकों में दान में मिले रक्त में एचआइवी, हेपेटाइटिस बी व हेपेटाइटिस सी जैसी गंभीर बीमारियों के संक्रमण का पता लगाने के लिए एनएटी (न्यूक्लिक एसिड टेस्ट) जांच भी नहीं की जाती।
स्वच्छ भारत मिशन हुआ साफ
स्वच्छ भारत मिशन के तहत 40.31 करोड़ रुपये का बजट होने के बावजूद पिछले ढाई सालों में दिल्ली में सार्वजनिक शौचालय का निर्माण नहीं किया गया। ग्राहकों को सरकार कैसे जगाएगी, इसका भी रोड मैप तक तैयार नहीं किया गया। माप तौल विभाग ने न तो कोई सर्वे किया और न ही कोई वार्षिक कार्ययोजना तैयार की।
इस रिपोर्ट के आने के बाद सीएम केजरीवाल ने एक बार फिर से भ्रष्टाचारियो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा सदन में दिया ।