Ramnavami : जब सुप्रीम कोर्ट के जज ने पूछा था ‘कहां हुआ श्रीराम का जन्म
अयोध्या में राममंदिर का निर्माण तेज गति से हो रहा है. जिस स्थान पर राममंदिर का निर्माण हो रहा है, उसका कनेक्शन पटना स्थित महावीर मंदिर से है. दरअसल प्रभु श्रीराम के जन्मस्थल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जब सुनवाई हो रही थी तो महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल के द्वारा अलग अलग दस्तावेजों के आधार पर बनाए गए
नक्शे से ही यह साबित हो पाया कि प्रभु श्रीराम का जन्म अयोध्या के इस स्थान पर हुआ है. इसको लेकर किशोर कुणाल की एक किताब ‘अयोध्या रिविजेटेड’ में इस नक्शे के बारे में विस्तार से बताया गया था. इसी किताब में मौजूद नक्शा सबूत के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था.
जब सुप्रीम कोर्ट के जज ने पूछा-कहां हुआ श्रीराम का जन्म
राममंदिर मसले पर सुनवाई के दौरान का एक वाक्या याद करते हुए महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 40 दिनों तक सुनवाई चली.
इन सभी दिनों में मैं वहां मौजूद था. इस बीच सुप्रीम कोर्ट के जज ने तीन बार यह पूछा कि क्या कोई बता सकता है कि प्रभु राम का जन्म किस स्थान पर हुआ था. बावजूद कोई बता नहीं पा रहा था.
इसी बीच दुर्गा पूजा को लेकर कुछ दिनों के लिए सुनवाई टली और मैं पटना वापस आया. यहां मैंने 6 अलग-अलग दस्तावेजों के आधार और आर्किटेक की मदद से एकदम उसी स्थान का नक्शा समेत 16 पृष्ठों का यह सबूत तैयार कराया और सुप्रीम कोर्ट में हमारे वकील की तरफ से पेश किया गया.
जन्मस्थान का 6 प्रमाण किया गया पेश
अयोध्या में श्रीराम के स्थान का किशोर कुणाल की किताब ‘अयोध्या रिविजेटेड’ में मौजूद नक्शा समेत 6 अलग-अलग प्रमाण के रूप में 18 पन्नों का सबूत हिन्दू महासभा की ओर से वरिष्ठ वकील विकास सिंह के द्वारा पेश किया गया. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के आखिरी दौर में मुस्लिम पक्षकार के वकील राजीव धवन द्वारा उनकी किताब अयोध्या रिविजेटेड में दिए गए नक्शे को फाड़ने पर किशोर कुणाल उनकी हार का परिचायक बताते हैं.
वह कहते हैं कि वरिष्ठ वकील राजीव धवन उनकी किताबों के महत्व को अच्छी तरह जानते थे. उनको लगा कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी किताब में दिए नक्शे को देख लिया और पढ़ लिया तो उनकी सारी मेहनत और बहस बेकार चली जाएगी. इसलिए वह आक्रोशित हो गए और नक्शा फाड़ दिया.
वह कहते हैं कि राजीव धवन बड़े वकील हैं और वह साक्ष्यों का महत्व जानते हैं. इसलिए वह इतने उत्तेजित हो गए. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस नक्शे का बड़ा महत्व दिया था. आपको बता दें कि इस सुनवाई में पेश किया गया नक्शा आज भी पटना के महावीर मंदिर में मौजूद है.
ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन