रेल में करते हैं सफर, तो ये खबर जरूर पढ़ें
हमारे देश में रेल व्यवस्था को लाइफ लाइन कहा जाता है, क्योंकि भारतीय रेलवे हर रोज लगभग 3 करोड़ लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है । लेकिन रेलवे की खस्ता हालत किसी से छुपी नहीं है। मोदी सरकार ने रेलवे में कई सुधार करने की कोशिश की । लेकिन वो सुधार ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुए। सुधारों को आगे बढ़ाते हुए अब रेलवे ने आधुनिक सिग्नल प्रणाली पर 75 हजार करोड़ का निवेश करने का फैसला किया है ।
दरअसल यात्री सुविधा और बढ़ते रेल हादसों पर रोक लगाने के लिए भारतीय रेलवे देशभर में सिग्नल प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए 75 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगा । रेल मंत्री पीयूष गोयल ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया, इस परियोजना को देशभर में लागू किया जाना है। उन्होंने कहा कि रेल यात्रा को और सुरक्षित बनाने के लिए यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली की सबसे आधुनिक प्रौद्योगिकी को भारत लाया गया है। रेलवे यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली की तर्ज पर आधुनिक सिग्नल प्रणाली की योजना बना रहा है।
यात्री सुरक्षा और सुविधा पर जोर
रेल मंत्री पहले भी बता चुके हैं कि इस प्लानिंग में 1.18 लाख किमी के रेल नेटवर्क को यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली की तर्ज पर तैयार किया जाएगा । आपको बता दें कि पिछले दिनों रेलवे में बढ़ते हादसों पर सरकार चिंतित है। इस बार के बजट में भी वित्त मंत्री ने यात्री किराये में किसी प्रकार की बढ़ोतरी किए बगैर यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को तरजीह दी है। बजट में रेलवे ने आम बजट में 1657 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। इसमें पिछले साल के बजट की तुलना में करीब 50 फीसदी बढ़ोतरी की गई है।
18,000 किमी रेलमार्ग का दोहरीकरण
वित्त मंत्री ने यह भी कहा था कि सरकार का मेन फोकस क्षमता बढ़ाने पर है. जेटली ने कहा था कि 18,000 किमी रेलमार्ग का दोहरीकरण व 5,000 किमी रेल मार्ग की तीसरी और चौथी लाइनों को ब्रॉड गेज में बदलने से इसकी क्षमता बढ़ जाएगी। इससे लगभग पूरा नेटवर्क ब्राड गेज में बदल जाएगा. मौजूदा वर्ष के दौरान 3,600 किमी से ज्यादा के रेल पटरियों के नवीनीकरण का लक्ष्य रखा गया है। अन्य प्रमुख कदमों में तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाना जैसे कुहरे से सुरक्षा व रेल सुरक्षा व चेतावनी प्रणाली शामिल है।
बजट में 1657 करोड़ का आबंटन
वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए बताया था कि यात्री सुविधा के लिए आवंटन 1657 करोड़ रुपये कर दिया गया है जो 2017-18 में 1100.90 करोड़ रुपये था। इसके अलावा यात्रा और सेवाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए सरकार ने विश्वस्तरीय आधुनिक ट्रेनें बनाने की योजना भी बनाई है. इसके तहत जर्मन निर्माता कंपनी लिंक हॉफमैन बुश 2018 में उत्पादन की वजह से ‘ट्रेन 18’ नाम वाले कोच बनाएगी। पूरी तरह स्वदेश निर्मित कोचों को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चलने के लिहाज से डिजाइन किया गया है। इसी तरह ‘ट्रेन 20’ ऐसी ट्रेनों का अगला स्तर है जो 2020 में आ सकती हैं।