PIB : वाई20 परामर्श बैठक का कश्मीर विश्वविद्यालय में आयोजन किया गया
भारत की जी20 अध्यक्षता के एक भाग के रूप में यूथ20 (वाई20) समूह का वाई20 परामर्श कार्यक्रम कश्मीर विश्वविद्यालय में 10 से 11 मई, 2023 तक आयोजित किया गया, ताकि देश के युवाओं से आने वाले बेहतर कल के लिए विचारों का आदान-प्रदान किया जा सके और पांच वाई20 विषयों में से एक, ‘जलवायु परिवर्तन एवं आपदा जोखिम में कमी: स्थिरता को जीवन जीने का एक तरीका बनाना’ पर कार्रवाई करने के लिए एक एजेंडा बनाया जाए।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के माननीय उपराज्यपाल तथा कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री मनोज सिन्हा द्वारा वाई20 परामर्श कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया था।
इस अवसर पर जम्मू और कश्मीर के माननीय उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर; भारत सरकार में युवा कार्यक्रम विभाग के निदेशक श्री पंकज कुमार सिंह; कश्मीर विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रोफेसर नीलोफर खान; कश्मीर विश्वविद्यालय में वाई20 अध्यक्ष प्रोफेसर मंज़ूर ए शाह तथा पटना विश्वविद्यालय वरिष्ठ प्राध्यापक श्री गुरु प्रकाश पासवान भी उपस्थित थे।
जी20 देशों इंडोनेशिया, मैक्सिको, तुर्किये, रूस, जापान, कोरिया गणराज्य, अमरीका, ब्राजील तथा नाइजीरिया के 17 युवा प्रतिनिधियों ने जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में स्थित कश्मीर विश्वविद्यालय में दो दिवसीय वाई20 परामर्श बैठक में भाग लिया।
कश्मीर विश्वविद्यालय के 108 विद्यार्थी, जम्मू-कश्मीर के आसपास के स्कूलों के 34 छात्र, श्रीनगर के आसपास के कॉलेजों के 57 विद्यार्थी, जम्मू से विभिन्न कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों से 11 शिक्षार्थी, युवा कार्यक्रम विभाग के 33 प्रतिनिधि, वाई20 सचिवालय के 25 प्रतिनिधि तथा 25 छात्र कार्यकर्ता भी वाई20 परामर्श कार्यक्रम में शामिल हुए।
कश्मीर विश्वविद्यालय द्वारा 10 मई को मुगल गार्डन निशात और परी महल का एक हेरिटेज टूर आयोजित किया गया, जिसके बाद सामूहिक रात्रिभोज का आयोजन किया गया।
11 मई 2023 को वाई20 परामर्श के दौरान विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह परिसर में उपस्थित सभी प्रतिनिधियों के साथ एक स्वस्थ और संवादात्मक वार्तालाप आयोजित हुआ।
उद्घाटन सत्र के एक हिस्से के रूप में प्रो. मंज़ूर ए. शाह द्वारा स्वागत भाषण दिया गया, इस दौरान उन्होंने वाई20 परामर्श के व्यापक उद्देश्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी। इसके बाद श्री पंकज कुमार ने एक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने वाई20 का एक संक्षिप्त संदर्भ भी प्रसारित किया। इसके माध्यम से वाई20 परामर्श का एजेंडा निर्धारित किया गया।
श्री गुरु प्रकाश पासवान ने अपनी टिप्पणी में वाई20 परामर्श बैठक के महत्व का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि नई पूंजी केवल आर्थिक पूंजी नहीं होगी, बल्कि यह सामाजिक पूंजी होगी, जो विचारों की पूंजी बनने जा रही है।
गुरु प्रकाश पासवान ने कहा कि यूथ20 युवाओं के लिए अपने विचारों को साझा करने और वाई20 परामर्श के उद्देश्य से चुने गए महत्वपूर्ण विषयों पर नीति निर्माण में योगदान करने के उद्देश्य को पूरा करने वाला एक महत्वपूर्ण मंच है।
वाई20 इंडिया के सचिव श्री आकाश झा ने भी इस अवसर पर संबोधित किया। उन्होंने उल्लेख करते हुए कहा कि इस तरह के वैश्विक निर्णयों में युवाओं के विचारों को सुना जाना आवश्यक है क्योंकि यह मंच युवा हितधारकों को सबसे अधिक प्रभावित करता है।
आकाश झा ने कहा कि भारत की अध्यक्षता इन चर्चाओं को केवल कुलीन वर्ग तक ही सीमित नहीं रखती है, बल्कि यह आम लोगों की अध्यक्षता है, जहां पर वाई20 एक प्रमुख भागीदार की भूमिका निभा रहा है।
कश्मीर विश्वविद्यालय की माननीय कुलपति प्रोफेसर नीलोफर खान ने अपने संबोधन में कहा कि कश्मीर विश्वविद्यालय ने वाई20 परामर्श के लिए जलवायु परिवर्तन का विषय चुना है क्योंकि जलवायु संकट के खिलाफ इस लड़ाई में अगर किसी का कुछ भी सबसे ज्यादा दांव पर लगा है, तो वह युवा ही है।
उन्होंने कहा कि यदि कोई इस संकट को दूर करने में दृढ़ता से मदद कर सकता है, तो वह युवा वर्ग है, जो देश का भविष्य हैं। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, माननीय युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर और उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा को वाई20 मंच के माध्यम से देश की जी20 अध्यक्षता में एक हिस्सा बनने का मौका देने के लिए धन्यवाद दिया।
श्री राजीव राय भटनागर ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जी20 की अध्यक्षता देश के प्रत्येक नागरिक को विश्व व्यवस्था में भारत के बढ़ते स्थान का जश्न मनाने का अवसर देती है।
राजीव राय ने कहा कि भारतीय युवा भविष्य के साथ-साथ वर्तमान की कुंजी रखते हैं। निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम बनने के लिए हाथ आगे बढ़ाना महत्वपूर्ण है और जी20 पृथ्वी को रहने के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने का एक अवसर है।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान के लिए जी20 अध्यक्षता में युवाओं की भागीदारी पर अधिक जोर दिया जा रहा है।
केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के माननीय उपराज्यपाल तथा कश्मीर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री मनोज सिन्हा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता का दृष्टिकोण मानवता के भविष्य की परिकल्पना है।
उन्होंने कहा कि भारत की जी20 अध्यक्षता में एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की विषयवस्तु अगले 25 वर्षों की दो बड़ी चुनौतियों अर्थात जलवायु की रक्षा और स्थायी विकास को बढ़ावा देने के लिए साझा जिम्मेदारी की सोच है।
आदरणीय उपराज्यपाल ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने स्पष्ट कर दिया है कि जलवायु परिवर्तन का मुकाबला केवल सम्मेलन की मेज पर चर्चा करने से नहीं किया जा सकता है बल्कि इसका निपटान हर घर के खाने की मेज से करना होगा।
श्री मनोज सिन्हा ने कहा कि भारत वास्तव में दुनिया को दिखा सकता है कि एक स्थायी समुदाय का निर्माण कैसे किया जाता है, जिसमें एक आर्थिक शक्ति के समाज को तैयार करना और प्रकृति के नाजुक संतुलन को बहाल करना भी शामिल है।
उन्होंने युवाओं से यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि प्रकृति के संरक्षण के लिए विचारों को कार्रवाई में स्थान दिया जाए और वे अपने सुझावों को गतिविधियों के साथ जोड़कर एक बेहतर विश्व बनाने में योगदान दें।
माननीय उपराज्यपाल ने कहा कि जिस तरह से कश्मीर विश्वविद्यालय ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया है, मैं उससे बहुत प्रसन्न हूं और इसकी सफलता के लिए कुलपति और पूरे विश्वविद्यालय परिवार को हार्दिक बधाई देता हूं।
कार्यक्रम के दौरान ‘जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम में कमी: स्थिरता को जीवन का एक तरीका बनाना’ विषय पर चार पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं।
पहला पूर्ण सत्र ‘जैव विविधता और मानव कल्याण पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव’ के विषय पर आयोजित किया गया था, जिसे जम्मू-कश्मीर में इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के कुलपति प्रोफेसर शकील ए. रोमशू द्वारा संचालित किया गया था।
चर्चा के प्रमुख वक्ताओं में शामिल अमरीका के डॉ. रॉबर्ट पॉल (मोंटाना टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी, यूएसए) ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि जलवायु परिवर्तन जैव विविधता को कई तरह से प्रभावित कर रहा है। उन्होंने एकल प्रजाति वृक्षारोपण के स्थान पर कई प्रजातियों के आधार पर पर्यावरणीय बहाली की रणनीति तैयार करने पर जोर दिया।
भारत से डॉ. रुचित आरडी (गोवा के राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान से) ने भारतीय मॉनसून में अत्यधिक वर्षा के आंकड़ों में बढ़ती प्रवृति के बारे में बात की। उन्होंने किसानों के बीच जागरूकता का आह्वान किया और विशेष रूप से उनसे बदलते जलवायु पैटर्न के अनुसार बुवाई के मौसम को नया रूप देने के लिए अपील की।
भारत से ही पंजाब की डॉ. वज़ीदा रहमान राजीव गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ लॉ ने पर्यावरणीय कार्रवाई की अवधारणा के बारे में बात की, जो जलवायु के प्रति न्यायोचित व्यवहार के समान है, जिसे भारत ने हाल ही में बहुपक्षीय मंचों पर विभिन्न वार्ताओं के माध्यम से जोर-शोर से पेश किया है।
केरल से अमृता विश्व विद्यापीठम की डॉ रेम्या ने हिमालय में ग्लेशियरों के पिघलने के मुद्दे पर अपने विचार रखे। उन्होंने बताया कि बर्फ के तेजी से पिघलने के कारण पहाड़ी और निचले मैदानी क्षेत्रों में कृषि उत्पादन में भारी गिरावट आई है।
छात्र कार्यकर्ता गुलाम मुस्तफा अली ने इस हिस्से में पर्यटन क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान के संभावित प्रभावों के बारे में आगाह किया। उन्होंने पर्यटन स्थलों की वहन क्षमता को ध्यान में रखते हुए एक स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन क्षेत्र विकसित किये जाने की दिशा में किए होने वाले प्रयासों का आह्वान किया।
दूसरा पूर्ण सत्र ‘सुरक्षित कल के लिए आपदा जोखिम में कमी’ विषय पर आयोजित किया गया था, जिसका संचालन जम्मू-कश्मीर के कश्मीर विश्वविद्यालय से प्रो. एम. सुल्तान भट ने किया था।
पैनल के वक्ताओं में डॉ अखिलेश सुरजन (ऑस्ट्रेलिया में चार्ल्स डार्विन विश्वविद्यालय से); डॉ. अजंता गोस्वामी भारत में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की से डॉ आशिम सत्तार बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान से डॉ संदीप सिंह (पंजाब की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से) और कश्मीर विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा सुश्री फरहाना भट शामिल हुए। उपरोक्त विषय के विविध पहलुओं पर यह एक बहुत ही आकर्षक सत्र था।
तीसरा पूर्ण सत्र ‘हरित ऊर्जा-नवाचार और अवसर’ विषय पर केंद्रित था, जिसे श्रीनगर स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के प्रो. सीमिन रुबाब द्वारा संचालित किया गया था। इस सत्र के मुख्य वक्ता डॉ. अखिलेश सुरजन ऑस्ट्रेलिया की चार्ल्स डार्विन यूनिवर्सिटी से डॉ. सिद्धार्थ खरे भारत में आईआईटी रुड़की से डॉ. शर्मिष्ठा बनर्जी भारत में आईआईटी गुवाहाटी से सामाजिक उद्यमी एवं पर्यावरण कार्यकर्ता प्रसिद्धि सिंह तथा स्वच्छ ऊर्जा पर विशेषज्ञता प्राप्त उद्यमी श्री विकास पांडे थे, जिन्होंने विषय से जुड़े बहुत ही महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की और अपने बहुमूल्य विचार साझा किये।
कार्यक्रम का चौथा पूर्ण सत्र ‘जल संसाधन: चुनौतियां एवं संभावनाएं’ विषय पर आयोजित किया गया था, जिसे बैंगलोर में नंदी हिल्स स्थित कृषि बाउंटी बायोटेक के डॉ. जी. बालाचंदर द्वारा संचालित किया गया।
इसमें शामिल प्रमुख वक्ता इस प्रकार से थे: डॉ. जूलिया ओस्टरमैन गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय, स्वीडन डॉ. वामसी कृष्णा वेमा एनआईटी, वारंगल, तेलंगाना, भारत डॉ. सुनील गुरापू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रुड़की, उत्तराखंड, भारत डॉ श्रुति सिंह शारदा विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश, भारत और श्री खालिद जहांगीर (अध्यक्ष, आईसीपीएस, श्रीनगर, भारत। सत्र में वक्ताओं द्वारा महत्वपूर्ण सुझावों के साथ विषय केंद्रित और व्यावहारिक चर्चा की गई।
कश्मीर विश्वविद्यालय में वाई20 परामर्श कार्यक्रम एक सफल आयोजन रहा। इसने युवाओं द्वारा सोचे व सुझाए गए नीतिगत उपायों को प्रदर्शित किया। समापन समारोह पोस्टर और पेंटिंग प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र के वितरण के साथ संपन्न हुआ। इसमें माननीय कुलपति प्रो. नीलोफर खान की समापन टिप्पणी भी शामिल थी, जिसके बाद जम्मू और कश्मीर की स्थानीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करने वाले आकर्षक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित हुई।
विश्वविद्यालय द्वारा वाई20 कार्यक्रम के भाग के रूप में सस्टेनेबिलिटी एग्जीबिशन, लाइव पेंटिंग और पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। उद्घाटन सत्र के दौरान यूनिवर्सिटी का वाई20 क्रॉनिकल और यूथ20 तथा अर्बन 20 इंटीग्रेशन का शुभारंभ किया गया।
कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर परवेज अहमद ने औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव दिया और कार्यक्रम का समापन किया।
ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन