PIB : उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, गोरखपुर में उपराष्ट्रपति द्वारा दिए गए संबोधन के मूल पाठ अंश

आपका निमंत्रण पत्र असाधारण था। वैसे तो माननीय योगी जी की हर बात असाधारण है। मुझे निमंत्रित किया एक पुरातन सैनिक स्कूल छात्र की हैसियत से, और साथ में एक बड़ा संदेश दिया कि आप जो भी हो, जिस स्थिति में राष्ट्र की सेवा कर रहे हो, आपका आधार सैनिक स्कूल है।

मुझे याद भी है, ज्ञान करवाया कि शिक्षा वह माध्यम है जो समाज में बदलाव लाता है, समानता पैदा करता है, और जो असमानताएं हैं, उन पर कुठाराघात करता है। माननीय मुख्यमंत्री जी, आपने मुझे यह मौका देकर मेरे जीवन में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। इसको मैं कभी नहीं भूलेंगे।

एक बात कही गई यहाँ कि मात्र 3 वर्ष में माननीय मुख्यमंत्री जी ने इतना शानदार चमत्कारिक कार्य कर दिखाया। मैं अचंभित नहीं हूँ क्योंकि उत्तर प्रदेश में जो आपने चमत्कारिक कार्य किया है जिसकी गूँज सब जगह है। जो बहुत मुश्किल था, अकल्पनीय था। सोचते हुए भी डर लगता था कि आप उस डर को जिस डर से हम डरते थे उसको भी डरा दिया तो यह स्वाभाविक था कि आप ऐसा कर पाएंगे।

मैं इस भूमि को नमन करता हूं। यह भूमि नाथ संप्रदाय की परंपरा और गुरु गोरखनाथ से जुड़ी हुई है। आध्यात्मिक केंद्र है, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है जिस पर प्रकाश माननीय मुख्यमंत्री जी ने डाला है।

पर माननीय मुख्यमंत्री जी, राजस्थान की भी कुछ भागीदारी है। आपके गुरु, दादा दिग्विजय नाथ जी, उदयपुर से थे। श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार जी, मेरे पास वाले जिले के थे राजस्थान में, जिन्होंने वेद, पुराण, और उपनिषद का हिंदी में अनुवाद किया। यह जो गीता प्रेस गोरखपुर की भूमि है देश के कोने-कोने में इसकी गूंज है।

मुझे बड़ा अच्छा लगा। हृदय को शीतलता मिली जब माननीय मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गीता प्रेस गोरखपुर जीवं7त है और सदैव कार्यरत रहेगी, और इसका पूरा सृजन हो रहा है। आप साधुवाद के पात्र हैं। गोरखपुर की इस पावन धरा पर मेरा यह पहला आगमन है, जो सदैव मेरे चित पर रहेगा।

पूर्वांचल कितना महत्वपूर्ण अंग है, उत्तर प्रदेश का और यहां का प्रथम सैनिक स्कूल और ऐसा सैनिक स्कूल जिसका ढांचा अद्भुत है।

मैं सैनिक स्कूल में पला बढ़ा हूँ, मैंने कहा है माननीय मुख्यमंत्री जी मेरा जन्म ग्राम किठाना में हुआ था पर मेरा असली जन्म सैनिक स्कूल चित्तौड़गढ़ में था। मैंने अनेक सैनिक स्कूल में जाकर, मिलिट्री स्कूल में जाकर, राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज में जाकर ढाँचा देखा है।

आपने जो करिश्मा यहाँ किया है जो already हो चुका है और जो जमीनी हकीक़त है वो भविष्य की पीढ़ी के निर्माण का एक रास्ता है जो पूरे देश को दिखाएगा।

पर इस सैनिक स्कूल की एक और खासियत रहेगी, यह गोरखपुर में है। यहाँ की पृष्ठभूमि यहाँ की संस्कृति यहाँ की विरासत बच्चों के कानों में सदा गूँजती रहेगी।

उत्तर प्रदेश में कई नई शुरुआत हुई है, जिनकी चर्चा मैं यहां नहीं करूंगा। वह चर्चा लोगों के दिलों में है और पूरे देश में है। पर सैनिक स्कूल के मामले में, ढांचागत तरीके से एक society का निर्माण कर जो यह कार्य हो रहा है, यह अत्यंत सराहनीय है।

क्योंकि मेरी मान्यता है, शिक्षा बदलाव का केंद्र है। शिक्षा के बिना बदलाव नहीं आ सकता। जीवन का अधिकार, समाज का अधिकार, समाज में कुरीतियां इन पर कुठाराघात सिर्फ शिक्षा ही कर सकती है। यदि आप शिक्षा का मंदिर बनाते हो और गोरखपुर में इसकी रोशनी पूरे प्रांत और देश में पड़ेगी। मेरे मन में कोई शंका नहीं है।

दोस्तों मित्रों ! तीन दशक पहले 1994 की वसंत पंचमी को, इस पावन दिवस पर माँ सरस्वती के जन्मदिवस पर गोरखपुर में एक बहुत महत्वपूर्ण घटना घटी जिसका असर इस प्रांत पर पड़ रहा है, सुचारु रूप से पड़ रहा है। उस दिन स्वर्गीय श्रद्धेय महंत अवैद्यनाथ जी महाराज ने आजके मुख्यमंत्री श्री आदित्यनाथ योगी जी को उत्तराधिकारी घोषित किया था।

पावन दिवस उसके पश्चात आपके मुख्यमंत्री ने दो दशक तक लोकसभा में आपकी आवाज़ को बुलंद किया। कई मौकों पर लोकसभा में देश को संदेश दिया और अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उसी भूमिका को सशक्त निभा रहे हैं।

माननीय मुख्यमंत्री जी यह मेरा परम सौभाग्य रहा कि महंत अवैद्यनाथ जी, श्रद्धेय अवैद्यनाथ जी के साथ मैं लोकसभा में सदस्य रहा। मुझे उनके मार्गदर्शन का फायदा मिला और जब केन्द्र में मैं मंत्री बना तो जिन कुछ लोगों से मैंने आशीर्वाद लिया उनमें आपके गुरुजी भी थे।

आज के दिन आवश्यकता है वैचारिक दृढ़ता की, मूल चिंतन प्रतिवर्ती की, और राष्ट्र भावना की, भावना के प्रसारण की। यह तीनों हमारे ओजस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में विराजमान हैं, जो गद्य शक से देश को एक ऐसे रास्ते पर ले जा रहे हैं कि पूरी दुनिया … है, दुनिया में भारत की पहचान आज अलग है।

और इसमें उत्तर प्रदेश की भागीदारी 2017 के बाद गुणात्मक है। देश का सबसे बड़ा प्रदेश उससे पहले किस चपेट में था? डर की चपेट में था, शासन शिथिल था, आम आदमी परेशान था, कानून का राज नज़र नहीं आता था।

आपने यह ख्याति अर्जित की और देश में जो विकास की गंगा बह रही है, उसमें अपने उत्तर प्रदेश की भागीदारी 2017 से निरंतरता से की है। यह राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ा योगदान है।

हम भारतीय हैं, भारतीयता हमारी पहचान है। राष्ट्र हमारा धर्म है, राष्ट्र के प्रति हमारा समर्पण पूर्ण है।

हमें निजी स्वार्थ, राजनीतिक स्वार्थ से ऊपर राष्ट्र धर्म रखना पड़ेगा। यदि अगर इसमें कमजोरी आती है तो हजारों साल की संस्कृति के प्रति हम कुठाराघात करते हैं क्योंकि आज का भारत दस वर्ष पहले का भारत नहीं है। तब भारत की स्थिति क्या थी? और मैंने तो खुद देखा है, एक जमाना था कि मैं मंत्री था केंद्र में।

सोने की चिड़िया कहलाने वाले देश का सोना हवाई जहाज़ से स्विट्ज़रलैंड के दो बैंकों में गिरवी रखा गया हमारे सामने क्योंकि हमारा फॉरेन एक्सचेंज तब एक बिलियन और दो बिलियन यूएस डॉलर क बीच में था जो आज माननीय मुख्यमंत्री जी 680 बिलियन से ज्यादा है।

कहाँ आ गए हम, मैं मंत्री की हैसियत से जब कश्मीर गया 1990 में, श्रीनगर में कोई दिखाई नहीं दिया उस जम्मू और कश्मीर में दो तीन साल से 2-3 करोड़ से ज्यादा पर्यटक जा रहे हैं। यह आज के भारत में हुआ है।

370 अनुच्छेद जिसको संविधान निर्माताओं ने temporary कहा कुछ लोग वहां में उसको permanent मान बैठे। इस कालखंड में, इस दशक में उसको विलुप्त कर दिया गया। यह आज का भारत है।

इसलिए मैं आपसे कहता हूं कि यदि हम राष्ट्रवाद से समझौता करेंगे, वह राष्ट्र के साथ चरम धोखा होगा। जो लोग ऐसा कर रहे हैं, आवश्यकता है उनको समझाने की, वरना जनता को आध्यात्मिक प्रतिघात उन पर करना पड़ेगा। कैसे कोई कल्पना कर सकता है कि इस महान भारत में, जहां प्रजातंत्र जीवंत है, पड़ोसी देश जैसे हालात हो सकते हैं? नहीं कर सकता, जहां भी कोई राष्ट्र पर प्रसन्न चिन्ह उठाता, हमें उसे बर्दाश्त नहीं करना है।

देश में एक बहुत बड़ी यात्रा चल रही है। यह महायात्रा 2047 में जब आज़ादी का शताब्दी महोत्सव मना रहे होंगे। यह मैराथन मार्च है जिसमें आपके सैनिक स्कूल का योगदान रहेगा, छात्रों छात्राओं के माध्यम से रहेगा और भावनात्मक भी रहेगा, प्रेरणादायक रहेगा।

मेरा तो आप सबसे आग्रह है विनती है कि जो हवन हो रहा है भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का, इस हवन में हम हर एक को अपनी आहुति देनी चाहिए। यह समय आ गया है कि हम देश के लिए जो कर सकें वो करना चाहिए, जितना करेंगे वो कम है।

मैं छात्रों से एक बात कहना चाहूंगा, जो मैंने खुद महसूस की है। जब गांव से सैनिक स्कूल गया, मैं हतप्रभ रह गया। गांव से गया था न बिजली थी, न सड़क थी, न शौचालय था। आज तो घर-घर हो रहा है, सैनिक स्कूल में सब उपलब्ध था। मुझे लगा मैं कहां आ गया हूं। बाद में मुझे पता लगा कि मैं सैनिक स्कूल की वजह से कहां आ गया। यह सैनिक स्कूल की शिक्षा है, जिसकी वजह से मैं आपके समक्ष हूं।

तो मेरे प्यारे बच्चों-बच्चियों, मैं आपसे पहली बात यह कहूंगा कि डर का डर अपने मन से निकाल दो। डर का डर हमेशा imaginary होता है, fanciful होता है। इसका कोई आधार नहीं होता। आप डरोगे, आपकी प्रतिभा कुंठित होगी।

दूसरा, असफलता से तो बिल्कुल ही मत डरिए असफलता सफलता का शुरुआती केंद्र है। याद कीजिए चंद्रयान-2, चंद्रयान-2 बहुत हद तक सफल हुआ, पर पूर्ण सफल नहीं हुआ। कुछ लोगों ने उसको असफल करार किया पर चंद्रयान-3, 23 अगस्त 2023 को, जिसको हम कहते है Space Day. 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 चांद के उस कोने पर उतरा जहां दुनिया का कोई देश उतार नहीं पाया उस चांद पर हमने तिरंगा प्वाइंट और शिव शक्ति प्वाइंट किया पर उसकी सफलता की नींव चंद्रयान-2 की आंशिक सफलता से थी।

असफलता से मत घबराइए।

छात्र-छात्राओं आप उन गिने चुने लोगों में हो जिनको इस प्रकार की शिक्षा का लाभ मिल रहा है। यदि अगर अंदाज़ा लगाओगे और छात्र-छात्राओं की संख्या के हिसाब से देखोगे तो कितना धन का अर्जन एक छात्र-छात्रा पर हो रहा है इसका लाभ समाज को मिलेगा

मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं, और मैं तो यहां आकर प्रफुल्लित हूं, भाव-विभोर हूं। यह बात जिंदगी में कभी नहीं भूल पाऊंगा, क्योंकि मैं जो आज देख रहा हूं, वह आज से 6 दशक पूर्व का दृश्य देख रहा हू। जब मैं सैनिक स्कूल में था, वहां का ढांचा धीरे-धीरे बना था। यहां शुरुआत में ही माननीय मुख्यमंत्री जी आपने अकल्पनीय काम कर दिया है।

जो आपने किया है अभिभूत है। और यह सैनिक स्कूल दो काम अवश्य करेगा एक तो हर राज्य को प्रेरणा देगा कि वह आपकी तर्ज पर सैनिक स्कूल सोसायटी बनाए और सैनिक स्कूल बनाये। दूसरा, बच्चों की संख्या यहां क्या है, यह महत्वपूर्ण नहीं है; जो वे सीखते हैं, उसका प्रसार सकारात्मक रूप से कोविड से भी ज्यादा होगा।

मैं कामना करता हूँ, शुभकामनाएं देता हूं, और मानकर चलता हूं कि जो मेरा लगाव गोरखपुर से सैनिक स्कूल के पूर्व छात्र होने की दृष्टि से हुआ है, वह जीवन पर्यंत रहेगा।

ब्यूरो चीफ, रिजुल अग्रवाल

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