बरेली की पहली नक्षत्र वाटिका देखने आइये श्यामगंज बरेली के साईं सर्वदेव मंदिर
बरेली:-भारतीय और ख़ास तौर पर हिन्दू धर्म और उसके शास्त्रों की महिमा अपरम्पार है और वो कब किसको अपना दूत बनाकर भेज दे पता नहीं .बरेली में साईं के परम भक्तों में से एक पंडित सुशील पाठक हैं जिनको वास्तव में ईश्वर ने अपने दूत के रूप इस भारतभूमि पर भेजा है.पंडित जी लम्बे समय से भारतीय हिन्दू संस्कृति के अनुरूप समाज और धर्म की सेवा करते ना रहे हैं और इससे भी बढ़कर ये की वो शास्त्रों के छुपे हुए गूढ़ रहस्यों को आम जनमानस के सामने प्रस्तुत कर रहे हैं.
अभी कुछ ही समय पूर्व आपने हिन्दू संस्कृति और ज्योतिष के आधार नव ग्रहों के सम्बंधित पौधों की वाटिका तैयार की थी जो कि बरेली में भक्तों की श्रद्धा और आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.अभी ईश्वरीय प्रेरणा से आपने अपने मंदिर में नक्षत्र वाटिका भी तैयार की है जिसमे प्रत्येक नक्षत्र से सम्बंधित पौधे को लगाया गया है.इसके लिए दूर दूर से पौधों को लाया गया है और भक्त गण दूर दूर से इसे देखने के लिए आ रहे हैं.इस नक्षत्र वाटिका का विचार उनके मन कैसे उत्पन्न हुआ और उन्होंने किस प्रकार से इसको मूर्त रूप दिया है ,हम पूरी कहानी उन्हीं के श्री मुख से आपको सुनवा रहे हैं..साथ ही आपको सभी पौधों और उनके महत्व को भी उन्हीं के श्री मुख से सुनिए-
“भाइयों एक नया मोड़ नई इच्छा और कुछ नया करने की प्रेरणा जाग्रत हो जाए यह तो ईश्वर (साईं ) ही जाने अभी चार जून की बात है मन में एक इच्छा जाग्रत हुई क्यों न मंदिर में नवग्रह समिधाओं के पेड़ पौधे लगाए जाए इन्हीं पेड़ पौधों की तलाश में मैं कर्मचारी नगर स्थित नर्सरियों में पहुँचा नवग्रह समिधाओं के पेड़ पौधों को लेने के लिए नर्सरी के मालिक ने नवग्रह समिधाओं के साथ कुछ ऐसे पेड़ पौधों के बारे में जानकारी दी जो हमने कभी सोचा भी नहीं था कि इन चीजों के पेड़ पौधे होते होंगे जैसे सिन्दूर कपूर आदि ।।
भाइयों मन में जिज्ञासा जागी चलो कुछ पेड़ लगाएं पहले नवग्रह समिधाओं के पेड़ लगाए उसके साथ पंचपल्लव और कुछ फूल फल मेवा के पेड़ लगाने के साथ अब नक्षत्र बाटिका तैयार करने का मन हो गया है 27 नक्षत्र होते हैं और सभी के अलग अलग पेड़ पौधे होते हैं जिसमें 26 नक्षत्रों के पेड़ पौधे हमारे पास मैजूद है अब जो 1 नक्षत्र का पेड़ रह गया हैं उसका कलेक्सन करके जल्दी से जल्दी पूरे करने का प्रयास जारी है।
भाइयों हमारी इच्छा है नवग्रह समिधा बाटिका ,नक्षत्र बाटिका , पुष्प बाटिका , पूजन सामग्री(पान, सुपारी,इलायची,लौंग, जायफल, चंदन सिन्दूर,कपूर ) बाटिका, के साथ कुछ फलों के वृक्ष लगाएंगें । भाइयों मेरा आप सभी से करबध्य निवेदन है कि अपने ग्रह नक्षत्र या नवग्रह में से कम से कम एक पेड़ अपने घरों में अवश्य लगाएं इससे कई लाभ आपको प्राप्त होगें ।नंबर आपका ग्रह नक्षत्र हमेशा आपकी रक्षा करेगा यदि नवग्रह समिधा में से कोई पेड़ लगाते हैं तो उस ग्रह का अशुभ प्रभाव कभी आपको नहीं सताएगा तीसरी बात पर्यावरण की रक्षा होगी और घर का बाताबरण शुद्ध हो जाएगा।
भाइयों अब आइये हम आपको पेड़ पौधों से परिचय कराते हैं ———
नवग्रह समिधा 1- मंदार-सूर्य की समिधा 2 -पलास(ढाक) सोम ग्रह की समिधा 3-खैर-मंगल ग्रह की समिधा 4-अपामार्ग-बुध ग्रह की समिधा 5-पीपल -बृहस्पति ग्रह की समिधा 6 -गूलर-शुक्र ग्रह की समिधा 7- शमी-शनि ग्रह की समिधा 8 -दूर्बा- राहू ग्रह की समिधा 9 कुश /अश्वगंधा- केतू ग्रह की समिधा। नक्षत्र बाटिका यानी 27 नक्षत्रों के पेड़ पौधे——1-अश्विनी नक्षत्र-कुचला 2- भरणी नक्षत्र – आंवला 3-कृतिका नक्षत्र – गूलर 4 -रोहिणी नक्षत्र – जामुन 5- मृगशिरा नक्षत्र – खैर 6- आर्द्रा नक्षत्र – कृष्णगुरु/ शीशम 7- पुनर्वसू नक्षत्र -बांस 8- पुष्य नक्षत्र -पीपल 9 अश्लेखा नक्षत्र- नागकेसर 10 -मघा नक्षत्र- बरगद 11- पूर्वा फालगुनी नक्षत्र- पलास 12- उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र-कनेर/ पाकर 13- हस्त नक्षत्र- रीठा /चमेली 14- चित्रा नक्षत्र- बेल 15 – स्वाति नक्षत्र- कांहा/ केहि/ अर्जुन 16- बिसाखा नक्षत्र- कैंथ/ कटाई/ विंककट 17- अनुराधा नक्षत्र- मौल श्री 18- ज्येष्ठा नक्षत्र- चीड/ सेंवर/ शालमली 19- मूल नक्षत्र- साल/ सखूआ 20- पूर्वाषाढा नक्षत्र- जलवेलस/ वैंत 21- उत्तराषाढा नक्षत्र -कटहल 22- श्रवण नक्षत्र- आँकड़ा/ आंक (मंदार )23- धनिष्ठा नक्षत्र- शमी (छांकर) 24- शतभिषा- कदंब 25- पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र-आम 26 उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र-नीम 27- रेवती नक्षत्र- महुआ।पूजन सामग्री बाटिका—-‘
पान, सुपारी,लौंग,इलायची,जायफल,लाल चंदन,सफेद चंदन,रुद्राक्ष, कपूर, सिन्दूर ,केबडा, आदि पुष्प बाटिका —– गेंदा, गुलाब,चम्पा, चमेली,चाँदनी,रात की रानी ,नागपुष्प ,नागचम्पा, सीता अशोक अपराजिता आदि फल बाटिका— आम, चीकू , अंगूर काले एवं सफेद संतरा इसके साथ कुछ मसासे एवं मेबा के पेड़ लगाए हैं दालचीनी,तेजपात ,कालीमिर्च, लौंग , बादाम आदि के पेड़।”