जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने की दूसरी बरसी पर विशेष-धारा 370 हटने के बाद कश्मीर में बदलता परिदृश्य !
पांच अगस्त 2020 का दिन देश के इतिहास का एक गौरवशाली दिन है। यह दिन देश की दो अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी बन रहा है। आज ही के दिन अयोध्या में भारतीय संस्कृति के प्रतीक पुरुष मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी के भव्य मन्दिर निर्माण का शुभारम्भ हो रहा है और इसके साथ ही आज देश जम्मू कश्मीर से धारा 370 एवं 35 ए हटने की दूसरी बरसी मना रहा है।
पांच अगस्त 2019 को केन्द्र सरकार के गृहमन्त्री अमित शाह ने राज्य सभा में जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम पेश किया। इस अधिनियम में जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान की धारा 370 एवं 35 ए को हटाने का प्रस्ताव शामिल था। इसके साथ ही इस अधिनियम में जम्मू कश्मीर राज्य का विभाजन दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में करने का प्रस्ताव शामिल था। अधिनियम के अनुसार जम्मू कश्मीर केन्द्र शासित प्रदेश की अपनी विधायिका होंगी जबकि लद्दाख बिना विधायिका वाला केन्द्र शासित प्रदेश होगा।
यह विधेयक बहुत ही ऐतिहासिक साहसिक एवं चुनौतीपूर्ण था, मगर वर्तमान केन्द्र सरकार की प्रतिवद्धता एवं गृहमन्त्री अमित शाह के कुशल फ्लोर मैनेजमेंट के कारण यह विधेयक राज्य सभा मंे उसी दिन और लोकसभा में अगले दिन पारित हो गया। अगले दिन राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इसे कानूनी रूप मिल गया।
देश के प्रथम गृहमन्त्री लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयन्ती 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू कश्मीर से धारा 370 एवं 35 ए हटाने का कानून प्रभावी हो गया। इसके बाद जम्मू कश्मीर का परिदृश्य पूरी तरह से बदल गया है। जम्मू कश्मीर में आजादी के इतने वर्षों बाद भारतीय संविधान सही मायनों में अब लागू हो पाया है। कश्मीर के अलग झण्डे के स्थान पर अब वहां राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा शान से फहरा रहा है। वहां लागू रणवीर दण्ड संहिता के स्थान पर भारतीय दंड संहिता पूरी तरह से प्रभावी हो गई है।पांच अगस्त 2019 से पहले जम्मू कश्मीर को विदेश राज्य का दर्जा प्राप्त था। धारा 370 में वर्णित प्रावधानों के अनुसार संसद को जम्मू कश्मीर के बारे में केवल रक्षा विदेश मामले और संचार के क्षेत्र में कानून बनाने का अधिकार था लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित कानून को लागू करवाने के लिए केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन लेना जरूरी था।
इसी विशेष दर्जे के कारण राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती थी और देश के राष्ट्रपति को राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं था।
संविधान के अनुच्छेद 35 ए के कारण जम्मू कश्मीर की विधानसभा को वहां के लोगों को ‘स्थायी निवासी’ पारित करने तथा उन्हें विशेषाधिकार प्रदान करने का अधिकार था। जिसके फलस्वरुप देश के किसी अन्य राज्य के लोगों को जम्मू कश्मीर में स्थायी निवासी बनने का अधिकार नहीं था।
जम्मू कश्मीर से धारा 370 एवं 35 ए हटने से अब परिस्थितियां पूरी तरह से बदल गई हैं और वहां एक नए स्वर्णिम युग की शुरुआत हुई है। वहां विकास और सद्भाव का माहौल बना है तथा वहां से आतंकवाद एवं अलगाववाद धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। कश्मीर के स्थायी निवासियों के मन में बसा सेना का डर धीरे-धीरे दूर होता जा रहा है और लोग सेना के व्यवहार से खुश हैं। जम्मू कश्मीर के अधिकांश जिले आतंकवाद से पूरी तरह से मुक्त हो चुके है। सेना द्वारा आतंकवादियों के खिलाफ चलाए जा रहे लगातार आपरेशनों में अधिकांश खूंखार आतंकवादी मारे जा चुके हैं। वहां के लोग आतंकवादियों के स्थान पर अब हमारे जवानों का सहयोग कर रहे हैं। कुल मिलाकर जम्मू कश्मीर का पूरा परिदृश्य तेजी से बदल रहा है।
लद्दाख सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। लद्दाख से पाकिस्तान और चीन दोनों की सीमाएं मिलती हैं। इसलिए लद्दाख को अलग केन्द्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला बहुत दूरदर्शी सिद्ध हो रहा है। इससे वहां भारत-चीन सीमा पर सड़क एवं पुल निर्माण के काम में तेजी आई है जिससे सीमा पर हमारी सेना की सामरिक स्थिति पहले से अधिक मजबूत हुई है।
जम्मू कश्मीर भारत का सिरमौर है। अपनी नैसर्गिक सुन्दरता के कारण वह धरा का स्वर्ग कहलाता है। बढ़ते आतंकवाद के कारण पिछले कुछ वर्षों से कश्मीर बारूद के ढेर पर बैठा हुआ था। धारा 370 एवं 35 ए हटने से वहां अमर चैन वापस लौटने और कश्मीर का स्वर्णिम सफर शुरू होने की उम्मीद बंधी है।
सुरेश बाबू मिश्रा
सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य
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बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !