विश्व पृथ्वी दिवस की पूर्व संध्या पर प्रकाशनार्थ,जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी के अस्तित्व पर गहराता संकट
पृथ्वी को बचाने की जंग के तहत 22 अप्रैल का दिन पूरे विश्व में पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है ।पृथ्वी सौरमण्डल का ऐसा अनूठा ग्रह है जिस पर जीवन है मगर वैश्विक जलवायु परिवर्तन के कारण पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को ही खतरा उत्पन्न हो गया है ।यह कहना है सेवानिवृत प्रधानाचार्य एवं भूगोल विद सुरेश बाबू मिश्रा का ।
उन्होंने कहा कि वायुमण्डल में सभी गैसें एक निश्चित अनुपात में हैं मगर विश्व के देशों द्वारा आवश्यकता से अधिक कार्बन उत्सर्जन किए जाने के फलस्वरूप गैसों का यह नाजुक संतुलन बिगड़ रहा है ।पिछले कुछ वर्षों में आक्सीजन की मात्रा में 26 लाख टन की कमी आई है जबकि कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा में 24 लाख टन की बृद्धि हुई है ।आक्सीजन प्राण वायु है इसलिए उसकी कमी होना गम्भीर चिंता का विषय है ।अगर हम नहीं चेते तो बह दिन दूर नहीं जब हमे घर से बाहर निकलते समय आक्सीजन का छोटा सिलेन्डर पीठ पर टांग कर निकल पड़ा करेगा ।
वैश्विक जलवायु परिवर्तन का खतरा दिनों दिन विकराल रूप धारण करता जा रहा है ।इस लिए पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व को वनाऐ रखने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने होंगे ।
सुरेश बाबू मिश्र सेवानिवृत प्रधानाचार्य एवं अध्यक्ष संकल्प संस्था ।
बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !