11 जुलाई विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष-बढ़ती आबादी को बनाएं विकास का औज़ार

भारत विश्व में जनसंख्या के मामले में दूसरे स्थान पर है। संयुक्त राष्ट्र वल्र्डोमीटर के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार भारत की वर्तमान जनसंख्या 138 करोड़ है। हमारे देश की जनसंख्या विश्व की कुल आबादी का 17.7 प्रतिशत है। इतनी विशाल जनसंख्या वाले देश के लिए विकास की अपार संभावनाएं हैं।
किसी देश के विकास में अन्य संसाधनों के साथ-साथ मानव संसाधन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वर्तमान समय में भारत एक तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था वाला देश है। वह विश्व की एक महाशक्ति बनने की तैयारी में है। हमारी इस विशाल जनसंख्या का यदि सही ढंग से नियोजन कर लिया जाये और उसको आत्मनिर्भर बना दिया जाये तो भारत प्रगति का एक नया आयाम गढ़ सकता है।
भारत वर्तमान समय में विश्व में सबसे अधिक युवाओं वाला देश है। एक आंकलन के अनुसार हमारे देश में युवाओं की संख्या कुल आबादी का 27 प्रतिशत है। एक अधिकारिक आंकलन के अनुसार देश में युवाओं की कुल संख्या 35 करोड़ के आसपास है। यदि युवाओं की इस संख्या में प्रौढ़ लोगों की संख्या को भी जोड़ दिया तो हमारे पास 65 करोड़ क्रियाशील आबादी है। जो देश के विकास के लिए बहुत सकारात्मक पहलू है। विश्व के कई विकसित देश ऐसे हैं जिनकी कुल आबादी 20 करोड़ के आसपास है। इसलिए इतने विपुल जनसंख्या वाले देश को विश्व का विकसित देश बनने से कोई नहीं रोक सकता।
आस्टेªलिया विश्व का एक महाद्वीप है आस्टेªलिया की कुल आबादी 32 करोड़ के आसपास है। जबकि हमारे देश में युवाओं और क्रियाशील लोगों की आबादी लगभग 65 करोड़ है। जो आस्टेªलिया की कुल जनसंख्या से दो गुनी से भी अधिक है। यदि इस देश की विशाल जनसंख्या को शिक्षा, तकनीकी, व्यावसायिक कुशलता के अवसर सुलभ करा दिये जायें तो हमारा देश विश्व की अर्थव्यवस्था, राजनीति एवं सामाजिक बदलाव में अग्रिम भूमिका निभा सकता है।

इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बढ़ती आबादी से कई प्रकार की चुनौतियां देश के सामने हैं। परन्तु हमें इन चुनौतियों का सामना करने के लिए व्यापक एवं सफल रणनीति बनानी होगी जिससे हम इस विशाल जनसंख्या के लिए भोजन, वस्त्र, आवास के साथ-साथ जीवन की सभी आवश्यक सुविधाएं जुटा सकें। सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा एवं रोजगार की है, हमें रोजगार के नये-नये क्षेत्र एवं अवसर तलाशने होंगे जिनमें शिक्षित एवं अशिक्षित दोनों प्रकार के लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये जा सके।
वर्तमान परिवेश में ‘रेल लाइनों का विस्तार’, ‘नई सड़कों का निर्माण’, ‘पुरानी सड़कों का रख-रखाव’, ‘भवन निर्माण’, ‘ग्रामीण विद्युतीकरण’, ‘उद्योगों कलकारखानों’, ‘मल्टीनेशनल कम्पनियों’, ‘प्रिन्ट मीडिया’, ‘इलेक्ट्रानिक मीडिया’, ‘सोशल मीडिया’, ‘शिक्षा विभाग’, ‘चिकित्सा विभाग’, ‘समाज कल्याण विभाग’, ‘शहरी निर्माण विभाग’, ’सामाजिक वानकी’ आदि क्षेत्रों में शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार के असीमित अवसर हो सकते हैं। बस आवश्यकता है इन क्षेत्रों में सही नियोजन की। सेना का क्षेत्र भी रोजगार के व्यापक अवसर सुलभ करा सकता है। अपनी सेना में वृद्धि करके हम विश्व की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण श्रेष्ठता कायम कर सकते हैं।
कृषि पर आधारित कुटीर उद्योग, डेयरी एवं पशुपालन उद्योग तथा कुटीर एवं लघु उद्योग देश की अर्थव्यवस्था का मेरुदण्ड है। देश की जीडीपी का 46 प्रतिशत हिस्सा हमें अकेले इसी क्षेत्र से ही प्राप्त होता है। यदि हम देश के शिक्षित एवं तकनीकी कुशलता से लैस युवाओं को कृषि के क्षेत्र में कार्य करने का अभियान चलाएं तो भारतीय खेती किसानी की तस्वीर बदल सकती है। इससे जहां एक ओर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे वहीं देश के विकास की रफ्तार भी तेज होगी।
सरकार ने युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, मुद्रा लोन, निःशुल्क कम्प्यूटर प्रशिक्षण, बिना गारन्टी के ऋण योजना, एजूकेशन लोन, कुटीर एवं लघु उद्योगों के लिए न्यूनतम ब्याज पर ऋण एवं अनुदान योजना आदि प्रारम्भ की हैं। इससे युवाओं की बेरोजगारी को दूर करने में मदद मिलेगी।
किसानों एवं मजदूरों के विकास के लिए फसल बीमा योजना, किसान सम्मान निधि, निःशुल्क विद्युतीकरण, निःशुल्क बोरिंग, फसल ऋण योजना, विधवा पेंशन योजना, उज्जवला योजना, आयुष्मान योजना, श्रमिक सम्मान निधि, मनरेगा, वी.पी.एल. राशन कार्ड धारकों के लिए निःशुल्क खाद्यान्न वितरण योजना आदि सरकार द्वारा चलाई जा रही है। प्रत्येक गांव को सड़कों से जोड़ा जा रहा है जिससे गाँवों की तस्वीर काफी हद तक बदल रही है। मगर भ्रष्ट सिस्टम एवं विचैलियों की सांठ-गांठ के कारण इनका पूरा लाभ आम आदमी तक नहीं पहुंच पा रहा है।
महिलाओं एवं बच्चों के कल्याण के लिए आंगनबाड़ी, बालपुष्टाहार, शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कक्षा आठ तक निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा योजना, लड़कियों के लिए ग्रेजुएशन तक निःशुल्क शिक्षा, कक्षा आठ तक के छात्र-छात्राओं के लिए मिड डे मील योजना, निःशुल्क यूनीफार्म योजना जैसे कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इनका सकारात्मक प्रभाव भी दिखाई दे रहा है, मगर बढ़ती जनसंख्या के कारण देश की तस्वीर पूरी तरह बदलने में अभी समय लगेगा।
विगत दो वर्षों से पूरा देश कोरोना की भयावह आपदा से जूझ रहा है इससे देश में विकास की रफ्तार धीमी पड़ी है और रोजगार के अवसर घटे हैं। कोरोना की यह आपदा कब तक चलेगी इसके बारे में कोई भी भविष्यवाणी करना कठिन है। इन विषम परिस्थितियों से निपटने के लिए देश के प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का मंत्र दिया है। हम कुटीर उद्योगों, लघु उद्योगों एवं मझोले उद्योगों को बढ़ावा देकर आत्म निर्भर भारत के सपने को साकार कर सकते हैं। इसमें हमारे देश की विशाल जनसंख्या बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
वर्तमान परिवेश में लोकल फार वोकल का नारा भी काफी प्रचलित हुआ है। हम स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार और वहां उपलब्ध कच्चे माल की आपूर्ति के अनुसार छोटे-छोटे उद्योगों का जाल पूरे देश में विकसित कर सकते हैं। इससे जहां एक ओर अधिक से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर सुलभ होंगे। वहीं देश के विकास की रफ्तार भी तेज होगी। यदि हम चाहते हैं कि भारत विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बने तो हमें अपने देश के नौजवानों तथा क्रियाशील जनसंख्या का उपयोग विकास के औजार के रूप में करना होगा। जोश, ऊर्जा और ज्ञान से लवरेज ये लोग देश की तस्वीर बदल दे सकते हैं।


सुरेश बाबू मिश्रा
सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य, बरेली
मोबाइल नं. 9411422735,
E-mail : sureshbabubareilly@gmail.com

 

 

बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !

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