अब जंगल से गुजरने वाली नहर और नदी पर लगेंगे जाल*
बाघों की मौत को लेकर एफडी ने एनटीसीए से शुरू किया पत्राचार*
*पीटीआर के आसपास हुई चार बाघों की मौत की नहीं सुलझ रही गुत्थी*
*पीलीभीत।* पीलीभीत टाइगर रिजर्व में अधिकारियों कर्मचारियों की निगरानी में रह रहे वन्य जीवन पर कई बार सवालिया निशान खड़े हुए हैं। इसका कारण नहर और नदी में बहकर आए टाइगर और तेंदुए के शव रहे।

बताते हैं कि 10 फरवरी 2020 को पूरनपुर हरदोई नहर ब्रांच में एक टाइगर का शव मिला। उसके बाद तीन मई 2020 को माला रेंज की जरा कोठी के नजदीक ट्रेंकुलाइज करने के बाद एक घायल बीमार टाइगर की मौत हो गई थी। इसके बाद 20 मई 2020 को उत्तराखंड उत्तर प्रदेश सीमा स्थित महोफ रेंज में एक बाघ का शव मिला। जबकि चौथा शव 24 सितम्बर 2020 को पूरनपुर की हरदोई ब्रांच नहर से बरामद हुआ। इनमें तीन बाघ मृतक अवस्था में पीलीभीत जिले के अलग अलग हिस्सों पाए गए। जबकि एक बाघ बुरी तरह घायल अवस्था में ट्रेंकुलाइज किया गया था। जिसके बाद इन टाइगर की जन्मकुंडली कंगाली गई तो इनका डाटा डब्ल्यूआईआई के पास भी उपलब्ध नहीं मिला। इसपर पीलीभीत टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉक्टर एच राजा मोहन ने एनटीसीए से संपर्क साधा और इन गुमनाम टाइगर की कुंडली खंगालने के लिए नेपाल, उत्तराखंड और पीलीभीत से लगे जनपद के साथ एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहल करने की तैयारी शुरू कर दी।
इस क्रम में ऐसे टाइगर का डाटा इकट्ठा किया जाएगा जो जंगल के बाहर गुमनामी की जिंदगी गुजार रहे हैं। उनका मानना है कि कई बार टाइगर जंगल से दूर घास के मैदान व गन्ने के खेतों को अपना बांस स्थान बना लेते हैं।जिसके कारण वह टाइगर गणना के दौरान कैमरा में नहीं आते हैं। अब ऐसे टाइगर की पहचान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मुहिम शुरू की जाएगी। इसी के साथ नेपाल उत्तराखंड से आने वाली नहर और नदी में पीलीभीत सीमा पर बड़े-बड़े जाल लगाए जाएंगे। जिससे अगर दूसरे राज्य या जनपद से कोई वन्य जीव मृत अवस्था में बहकर आए तो जाल में फंसकर रुक जाए। इससे पता लग सके यह वन्यजीव कहां का है।