नोएडा/ यूपी: रावण के मन्दिर की मिट्टी, श्रीराम मंदिर की नींव में लगेगी, जय श्रीराम के उदघोष से गूंजा रावण का गांव
नोएडा/ यूपी: रावण के मन्दिर की मिट्टी, श्रीराम मंदिर की नींव में लगेगी, जय श्रीराम के उदघोष से गूंजा रावण का गांव
आज जब अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे तो ठीक, उसी वक्त गौतमबुद्ध नगर के ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रावण के गांव बिसरख में भी गगन चुम्बी जय श्रीराम का उदघोष हो रहा था. ग्रामीणों ने बुधवार को बाकायदा रावण की जन्म स्थली पर भजन, हवन और कीर्तन का आयोजन किया था. प्रकांड विद्वान रावण के मंदिर की मिट्टी भगवान श्रीराम के मंदिर की नींव में लगाने के लिए भेजी गई है.
♟️ शिव पुराण के अनुसार रावण का जन्म बिसरख गाँव मे हुआ था.
शिव पुराण में भी बिसरख गाँव का जिक्र किया गया है, ग्रेटर नोएडा वेस्ट के बिसरख गांव में रावण ने जन्म लिया था. यहीं रावण के पिता महर्षि विश्रवा का आश्रम था. महर्षि विश्रवा के नाम पर ही इस गांव का नाम बिसरख पड़ा है. रावण ने यहां जन्म लेने के बाद भगवान शंकर का एक मंदिर भी स्थापित किया था, यह मंदिर अभी भी गांव में मौजूद है, मंदिर में एक विशेष शिवलिंग और भगवान शंकर की मूर्ति विराजमान हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भूमि पूजन कर रहे थे, ठीक उसी वक्त बिसरख गांव में भी हवन कीर्तन चल रहा था. रावण का गाँव भगवान श्रीराम के नारों से गुंजायमान हो रहा था. रावण मंदिर के पुजारी लेखराज ने बताया कि इस मंदिर में रावण के पिता महर्षि विश्रवा ने शिवलिंग की स्थापना की थी. वह इसी शिवलिंग की पूजा किया करते थे.
♟️ रावण मन्दिर से राम मंदिर की नींव के लिए मिट्टी भेजी गई.*
रावण मंदिर के पुजारी लेखराज जानकारी दी अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए रावण के जन्म स्थान इस मंदिर से भी मिट्टी भेजी गई है. श्रीराम जन्म भूमि ट्रस्ट से निवेदन किया गया हैकि वह इस मिट्टी का उपयोग भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण में नींव के लिए करें. गाँव में लोग अयोध्या में आयोजित किए जा रहे उत्सव को लेकर बहुत खुश हैं. गांव में हवन, कीर्तन और भंडारे का आयोजन किया जा रहा है, लोगों ने गाँव में यज्ञ का आयोजन किया है. महिलाओं ने बुधवार को सुबह से ही मंदिर पहुँचकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया.
♟️ बिसरख गांव में दशहरा नहीं मनाया जाता.
प्रकांड विद्वान रावण की मृत्यु हुई थी, जिसके उपलक्ष्य में दशहरा मनाया जाता हैं, इसलिए इस गाँव के लोग दशहरे के दिन खुशियां नहीं मनाते हैं. हालांकि गांव में भगवान श्रीराम की पूजा की जाती है. रावण को इस गाँव के लोग अपना पूर्वज और विद्वान मानते हैं. उन्हें इस गाँव के लोग बाबा कहकर बुलाते हैं. बिसरख गांव में लंकापति रावण का नाम आदर के साथ लेना पड़ता है. गांव के हर सदस्य के लिए वह बाबा हैं. दशहरा पर जहां पूरे देश में रावण के पुतले जलाए जाते हैं, वहीं बिसरख में ऐसा करना वर्जित है. गांव में एक शिव मंदिर है. जो रावण का मंदिर नाम से विख्यात है. हालांकि इस मंदिर में आपको रावण की कोई मूर्ति नहीं मिलेंगी. इस प्राचीन शिव मंदिर के महंत रामदास ने बताया कि लंका नरेश इस गांव में पैदा हुए थे. इसी कारण इस मंदिर को रावण मंदिर के नाम से जाना जाता है. रावण का जन्म ऋषि विश्रवा के यहां हुआ था, वह भगवान शिव के अनन्य भक्त थे, उनका बचपन बिसरख में बीता था. महंत रामदास का कहना है कि, हम रावण के पुतले नहीं जलाते हैं. वह हमारे गांव के पुत्र थे, वह यहां पैदा हुए थे और हमें इस पर गर्व होता है. यहां के लोग बाबा के साथ उनका संबोधन करते हैं. मंदिर के महंत राम दास का कहना हैकि महर्षि विश्रवा के कारण शुरुआती काल में इस स्थान का नाम विश्रवेश्वरा था, बाद में अपभ्रंश होते-होते जगह का नाम बदलकर बिखरख हो गया. पुराणों में विश्रवेश्वरा का जिक्र है. आपको यह भी बता दें कि इस गाँव मे सैकड़ों परिवार रहते है और यह सभी काफी सम्पन्न है.