‘निर्भया केस’ में आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला , सड़क से संसद तक गूंजी थी पीड़िता की ‘चीख’
निर्भया सामूहिक दुष्कर्म को याद कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। देश-विदेश में दिल्ली को शर्मसार करने वाली इस घटना की यादें आज इसलिए जेहन में ताजा हो गई हैं, क्योंकि आज तीन दोषियों की फांसी की सजा के खिलाफ दाखिल पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट आज फैसला सुनाएगा। कोर्ट ने मुकेश, विनय और पवन की पुनर्विचार याचिका पर बहस सुनकर गत चार मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
निर्भया सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बारे में जिसने भी सुना, वो दंग रह गया। 16 दिसंबर, 2012 और रविवार का दिन। निर्भया शाम को साकेत स्थित सेलेक्ट सिटी मॉल में ‘लाइफ ऑफ पाई’ मूवी देखने के बाद 23 वर्षीय फीजियोथेरेपिस्ट छात्र अपने दोस्त अवनिंद्र के साथ रात 9 बजे ऑटो से मुनिरका पहुंची थी। वहां स्टैंड के पास खड़े होकर दोनों बस का इंतजार कर रहे थे। 9 बजकर 15 बजे आइआइटी की तरफ से सफेद रंग की आई चार्टर्ड बस के परिचालक ने उन्हें बस में बैठने के लिए कहा था। उनके बस में सवार होते ही परिचालक ने दरवाजा बंद कर दिया था।
बस में चालक समेत छह लोग सवार थे। कुछ दूर आगे जाने पर बस के परिचालक व उसके साथियों ने युवती से छेड़खानी शुरू कर दी थी। विरोध करने पर उन्होंने युवती के दोस्त की रॉड से बुरी तरह पिटाई की थी। इसके बाद उन्होंने युवती के साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया था। इस दौरान बस ने करीब 20 किलोमीटर की दूरी तय कर ली थी। दोषियों ने महिपालपुर में होटल एरिया के सामने चलती बस से दोनों को निर्वस्त्र हालत में नीचे फेंक दिया था। उस दौरान वहां से गुजरने वाले एक कार सवार की नजर पड़ने पर उसने पुलिस को इसकी सूचना दी थी।
निर्भया की हालत नाज़ुक थी, उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। सड़कों और सोशल मीडिया से उठी आवाज़ संसद के रास्ते सड़कों पर पहले से कहीं अधिक बुलंद होती नजर आ रही थी। दिल्ली के साथ-साथ देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे थे। इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सफदरजंग अस्पताल जाकर पीड़ित लड़की का हालचाल जाना था। निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी। लिहाजा उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था। इसके बाद पूरे देश शोकाकुल हो गया।