खेल रत्न का नाम मेजर ध्यानचंद पर रखा गया

नई दिल्ली : हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद को सम्मान देते हुए केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवार्ड रख दिया गया है. मेजर ध्यानचंद को हॉकी जादुगर कहा जाता था. जब वो हॉकी लेकर मैदान में उतरते थे तो गेंद ऐसे उनकी स्टिक से चिपक जाती थी जैसे मानो वह किसी जादूई स्टिक से हॉकी खेल रहे हों.

कई मौकों पर मेजर ध्यानचंद की हॉकी में चुंबक या गोंद लगे होने की बात कही गई. इसी आशंका के चलते एक बार हॉलैंड और जापान में उनकी हॉकी को तोड़कर भी देखा गया. लेकिन ऐसी कोई आशंका सच साबित नहीं हुई. शायद इसी वजह से उन्हें हॉकी का जादुगर कहा जाता है.

मेजर ध्यानचंद की उपलब्धियों को दुनियाभर में याद किया जाता है. उनके बनाए रिकॉर्ड को आजतक कोई खिलाड़ी नहीं तोड़ सका है. 1928 एम्सटरडम में ब्रिटिश हुकूमत वाली भारतीय टीम ने फाइनल में नीदरलैंड को 3-2 से हराकर पहली बार ओलंपिक में हॉकी का गोल्ड मेडल जीता था. तब रभारतीय हॉकी को ध्यानचंद के रूप में नया सितारा मिला था, जिन्होंने पांच मैच में सबसे ज्यादा 14 गोल किए थे.

29 अगस्त को मानाया जाता है खेल दिवस

मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के राजपूत घराने में हुआ था. इसी दिन हर साल खेल दिवस मनाया जाता है. उन्हें बचनपन में हॉकी के खेल में कोई रूचि नहीं थी. 16 साल की उम्र में प्रारंभिक शिक्षा के बाद वह सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए. तब तक उनमें हॉकी को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं थी. जब ध्यानचंद की मुलाकात रेजीमेंट के सूबेदार मेजर तिवारी से हुई, तब उनमें हॉकी के प्रति रूचि जाग्रत हुई. हॉकी खेलने के लिए उन्हें प्रेरित करने का श्रेय मेजर तिवारी को ही जाता है. देखते ही देखते वह दुनिया के एक महान खिलाड़ी बन गए.

ओलंपिक में ध्यानचंद ने साल 1928,1932 और 1936 में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीते थे. भारत सरकार ने साल 1956 में उन्हें पद्म भूषण सम्मान से नवाजा था. ध्यानचंद ने हॉकी के 185 मैचों में कुल 570 गोल किए थे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: