सीबीएसई बोर्ड के छात्रों के लिए राहत भरी खबर ,12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं हुई रद्द
नई दिल्ली : कोरोना की दूसरी लहर के बीच सीबीएसई की 12वीं की परीक्षा को सरकार ने रद्द करने का फैसला किया है. इसके बाद 12वीं की परीक्षा को लेकर चल रही कयासबाजी पर विराम लग गया. प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को इस मुद्दे पर राज्य और अन्य हितधारकों से व्यापक चर्चा के बाद फैसला लिया. ऐसे में अब ये सवाल उठ रहा है कि आखिर किस आधार पर छात्रों के परीक्षा परिणाम तय किए जाएंगे।
पीएम मोदी बोले- निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से हो तैयार
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैठक में सीबीएसई के अफसरों से कहा कि 12वीं कक्षा के छात्रों के रिजल्ट को वेल डिफाइंड मानदंडों के अनुसार समयबद्ध तरीके से तैयार किया जाए. उन्होंने कहा कि परिणाम अच्छी तरह से परिभाषित मानदंडों के मुताबिक निष्पक्ष और समयबद्ध तरीके से तैयार किए जाएं।
धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा- इंटरनल एग्जाम के आधार पर होगा तय
केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि पीएम मोदी ने आज के माहौल को देखते हुए देश भविष्य के छात्रों को सुरक्षित रखते हुए 12वीं परीक्षा को रद्द किया है. उन्होंने कहा कि इंटरनल परीक्षा के आधार पर 11वीं और 12 के जो दो इंटरनेल एग्जाम हुए हैं. उसके एसेसमेंट के आधार पर नतीजे आएंगे. हर एग्जाम में उनके दाखिले के लिए पिछले साल की तरह सुविधा भी रहेगी. और आगे चलकर जब परिस्थिति नॉर्मल होगी तो परीक्षा दे सकते हैं।
सिसोदिया बोले- पिछले 2-3 साल के आकलन के आधार पर होगा तय
12वीं की फिजिकल परीक्षा ना कराने की लगातार मांग कर रहे दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने केन्द्र सरकार के इस फैसले पर संतुष्ट जताई है. उन्होंने कहा कि हमने जो प्रस्ताव दिया कि एग्जाम कैंसल कर दें और 10वीं, 11वीं और पछले एक साल में जो हुआ है 12वीं के दौरान बच्चे ने बहुत से इंटरनल एग्जाम, मिड टर्म बोर्ड एग्जाम दिए है. उन सबके परफॉर्मेंस के आधार पर उसका आकलन कर परिणाम दें. फिर भी अगर कोई बच्चा उससे संतुष्ट नहीं होता है तो उसे एग्जाम दिलाने की कोशिश करें. उन्होंने आगे कहा कि जो सूचनाएं अभी आई है उससे लग रहा है।
कई राज्यों के शिक्षा मंत्रियों के साथ राजनाथ न बैठक की थी. सिर्फ बीजेपी शासित राज्योंने कहा कि परीक्षा होना चाहिए. कांग्रेस शासित और अन्य राज्यों ने इसके रद्द करने की मांग की थी।