बरेली- न सही का सोच, न गलत का संकोच लो उखाड़ दिया गली का खरन्जा

kharanja

आंवला -बरेली आम जनता का नुकसान होता है, तो हो जाये रसूक वाले फायदा पहुंचाना ही है। ऐसा मन बनाकर नगर पालिका ने करीब दस बारह साल पहले बनवाई इंटर लॉकिंग रोड की सीमेन्टेड ईंटे भी उखड़वाली। उन्हीं वर्षों में जल निगम का लगवाया सार्वजनिक हैण्डपम्प भी काफी पहले ही चोरी से उखाड़कर गायब कर दिया गया था। इस तरह करीब 10 फिट चौड़ी और 150 फिट लम्बी गली की जमीन पर से नगर पालिका ने अपना हक खुद ही खारिज कर दिया। अब उस गली के एक किनारे पर बसे रसूक को यह बताना आसान हो गया है, कि यह जमीन कोई सार्वजनिक गली नहीं बल्कि उसके मकान की आगे की निजी सड़क है। अब वह जब चाहे तब दूसरी तरफ बने मकान वालां को उस गली की जमीन की ओर झांकने भी नहीं देगा। यह किस्सा है बरेली जिले की आवंला नगर पालिका के रकवे में बजीरगंज चौराहे से निकलती सोसयटी रोड मो0 किसान टोला मदर्स प्राईड स्कूल के सामने नई बस्ती की सार्वजनिक गली का। सच तो यह है, कि इस मामले में नगर पालिका अथवा तहसील स्तर के राजस्व और प्रशासनिक अफसरों और कर्मचारियों ने कभी भी गम्भीरता से सोचा ही नहीं। सबसे लज्जास्पद बात तो यह है, कि यहां व्यक्तिगत लाभ के लिये सार्वजनिक हित का अतिक्रमण होता रहता है। एैसा बरताव इस देश के कायदे कानून और संविधान की लोकतांत्रिक मर्यादा का खुला अपमान है। इसके लिये सबसे पहले ब्यूरोकेसी को ही कटघरे में खड़ा किया जाना चाहिए। आंवला नगर पालिका के कारिन्दों द्वारा तिल का ताड़ बनाने के इस प्रकरण में दो टूक बातें तो बार बार कही जाती रहीं। लेकिन जब भी किसी स्तर से अन्तिम फैसला करने का मौका आया तो एक आदमी को हक बहाल करने के लिये जनहित की घोर अपेक्षा की गई। शायद यही वजह रही कि रसूक वाले की मिली जुली साजिश के तहत कहने लगा कि नगर पालिका ने जिस गली में इंटर लॉकिंग ईंट बिछवाई है और जलनिगम ने जहां सार्वजनिक हैण्डपम्प गढ़वाया है। वह पूरी गली और जमीन उसकी अपनी है। अब बाजिब यह था कि नगर पालिका उस साजिश का पर्दाफाश करती कि किसकी शह पर वह आदमी एैसा कर रहा है लेकिन जाहिर तौर पर नगर निगम ने रसूक के दांव को खारिज न करके अप्रत्यक्ष रूप से उसको मौका दे दिया, कि वह अपनी बात को बार बार उछाल कर सबके मन में यह बात बैठा दे कि गली की जमीन उसी की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: