मेरा हक़ फाउंडेशन ने हलाला और बहुविवाह के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द की
बरेली में मेरा हक़ फाउंडेशन ने तीन तलाक़ के बाद हलाला और बहुविवाह के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द की है। उन्होंने केन्द्र सरकार से माँग की है कि महिलाओं की मुसलिम भावनाओं और सम्मान की रक्षा के लिये हलाला और बहुविवाह पर भी रोक लगनी चाहिये।
बरेली में मेरा हक़ फाउंडेशन के बैनर तले क़रीब तीन दर्ज़न तलाक़ पीड़िताओं ने केन्द्र सरकार के इस क़दम का समर्थन किया है।केन्द्र सरकार ने तीन तलाक़ के बाद अब हलाला और बहुविवाह पर रोक लगाने का मसौदा तैयार कर लिया है। इसके लिये तमाम पहलुओँ पर तैयारियाँ चल रही हैं। इधर बरेली में मेरा हक़ फाउंडेशन ने केन्द्र सरकार की आवाज़ में आवाज़ मिलाते हुए हलाला और बहुविवाह पर रोक लगाने की माँग की है।
तीन तलाक़, हलाला और बहुविवाह में तलाक़ पीड़िताओं का संघर्ष, पालन-पोषण की परेशानी, ज़िन्दगी की कहानी और तरीक़े अलग-अलग हैं, लेकिन सबकी भावनाएं और भविष्य के प्रति सवाल एक जैसे हैं।-तहज़ीब फातिमा के पति ने अपनी आवारगी की वजह से उसे छोड़ दिया और दूसरा विवाह कर लिया तो रूहीना ख़ातून के घर में शादी के दो साल बाद एक बेटी पैदा हुई और उसके तीन साल बात दूसरी बेटी पैदा हुई। पति ने दो बेटियों का बाप बनने की ख़ुशी मनाने के बजाय रूहीना को ही छोड़ दिया। हैरत यह है कि जिस दिन दो साल की उम्र में छोटी बेटी की बीमारी से मौत हुई, उसी दिन शौहर ने दूसरा निकाह कर लिया।
फिलहाल मेरा हक़ फाउंडेशन ने तीन तलाक़ के ख़िलाफ अभियान के बाद अब हलाला और बहुविवाह पर रोक लगाने की माँग की है।बहरहाल तीन तलाक़ के बाद हलाला और बहुविवाह में केन्द्र सरकार की दिलचस्पी कई तलाक़ पीड़िताओं को नया जीवन दे सकती है। इसके राजनीतिक अर्थ भी निकाले जा सकते हैं, लेकिन तलाक़ पीड़िताओं की पीड़ा सुनने और देखने के बाद अधिकतर लोग केन्द्र सरकार के इस क़दम का समर्थन कर सकते हैं। तीन तलाक़, हलाला और बहुविवाह जैसी कुरीतियों के उदाहरण आमतौर पर समाज में देखने को मिलते हैं। इससे ज़ाहिर है कि मुसलिम समाज में जागरूकता और शिक्षा की अलख जगाने की सख़्त ज़रूरत है।