आस्ताना ए आलिया मोहम्मदीया (दरगाह वली मियाँ) स्थित चांद मस्जिद में मुशायरा हुआ
बरेली आस्ताना ए आलिया मोहम्मदीया (दरगाह वली मियाँ) स्थित चांद मस्जिद में बाद नमाज़ ईशा तरहई मुशायरा हुआ,
जिसमें तमाम शौहरा हज़रात ने ” जो भी है ख़ुशी उनकी रब की वो ख़ुशी होगी” मिसरा तरह पर आशार पढ़े ।
प्रोग्राम का आगाज़ हाफ़िज़ मोहम्मद हसन ने कलाम ए पाक की तिलावत से किया,
अब्दुल रऊफ़ नश्तर ने “रोज़ा ए मुकद्दस की दीद जब हुई होगी, ग़मज़दा निगाहों में तैरती ख़ुशी होगी” ने अशार पढ़ा। “आयात से ये कुरआं की साबित हुआ मिसरा, जो भी है ख़ुशी उनकी रब की वो ख़ुशी होगी” के इस अशार पर शवाब कासगंजवी को वाह वाह हुई। डा॰ अदनान काशिफ़ ने ” रब जाने शबे असरा सरकार ने अल्लाह से क्या बात कही होगी क्या बात सुनी होगी” यह शेर पढ़ा । आमिर रब्बानी के “आक़ा की रज़ा में ही है शामिल है रज़ा ए रब,जो भी है ख़ुशी उनकी रब की वो ख़ुशी होगी” इस शेर को ख़ूब सराहा गया । दुलारे फ़ारूकी ने ” सोचों तो ज़रा दिल में वो कैसा समां होगा,दीदार ए नबी होगा किस दर्जा ख़ुशी होगी” पढ़ कर महफ़िल को और भी खुशनुमा कर दिया । हाजी सईद बरेलवी ने “मुर्दों को जिलाते हैं मंगतों को खिलाते हैं,आक़ा ने ग़ुलामो की यह बात सुनी होगी” ने पढ़ा। असरार नसीमी ने “जो भी आप चाहेंगे जैसा आप कह देंगे,काम भी वही होगा बात भी वही होगी” पढ़ा । निज़ामत कर रहे ख़ालिद नदीम बदायूंनी ने ” ख़ाक दौलत ए दुनिया हो गई उसकी नज़रों में, जिसके कल्ब में ख़ालिद उल्फ़त ए नबी होगी” ने पढ़कर वाह वाह लूटी । सज्जादानशीं अल्हाज अनवर मियां हुज़ूर ने 1.”अपने ही तो जलवों से अपने ही मिले जलवे,सुम्मा दना फ़ता दल्ला कैसी वो घड़ी होगी”
2.”सरकार शफ़ाअत का मुज़दा जो सुनाएंगो
तब रब की रज़ा उनके दर पे ही खड़ी होगी” जब ये आशार पढ़े तो महफ़िल नारों से ग़ूज उठी।
मुशायरे के बाद हल्का ए ज़िक्र व फ़ातिहा हुई और सज्जादानशीं अल्हाज अनवर मियां हुज़ूर ने मुल्क में अम्न व चैन के लिए दुआ ए ख़ैर की ।
इस मौके पर सय्यद नाजि़र अली ( चाँद), आरिफ़ उल्लाह,ताहिर जमाल,इफ़्तेख़ार हुसैन, इरशाद, तौकीर, फ़ैज़ी हक़,क़ासिम, हाफ़िज़ फ़ाज़िल, सय्यद मुझाहिद अली,उस्मान,ज़ीशान,शाकिर, मोहसिन खाँ,सय्यद महबूब अली,अख़लाक अहमद, इनके आलावा मुंबई से रूस्तम ख़ान और सोहराब भी २० लोगों के साथ अपने परिवार सहित हाज़िरी देने पहुंचे ।