Mumbai : अपकमिंग प्रोजेक्ट्स से दर्शकों को मन्त्रमुग्ध करेंगे हरिओम शर्मा

मुंबई (अनिल बेदाग) : फिल्म निर्माता हरिओम शर्मा का नया धारावाहिक वसुंधरा जल्द ही दूरदर्शन वन पर रिलीज़ होने वाला है। हरिओम शर्मा उत्तरप्रदेश के डीजीपी और वर्तमान लोकसभा सदस्य की लिखित कहानी लखनऊ के रंगबाज पर भी सीरीज़ बनाने वाले हैं।
वह फिल्म कर्ज के फेमस गीत एक हसीना थी के गाने का रिमेक गीत भी सारेगामा पर लॉन्च करने वाले हैं। इनके अपकमिंग प्रोजेक्ट्स की एक लंबी कतार है जो एक एक करके पर्दे से बाहर आएगी और दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेगी।
हरिओम शर्मा हरियाणा के गुड़गांव में पटौदी डिस्ट्रिक्ट के भोड़ाकला के निवासी हैं। एक सम्पन्न परिवार में जन्मे हरिओम शर्मा किसी कमी के मोहताज नहीं थे। हाँ, पढ़ाई में ये जरा पीछे थे और चौथी में फेल होने का रिकॉर्ड भी बनाया। हालात ऐसे बने कि इन्हें घर छोड़कर भागना पड़ा।
हुआ यूं कि जब ये कम उम्र के ही थे तभी इनसे गलती हो गई और इनके पिताजी इन्हें मांरेंगे इस डर से ये दिल्ली से भागकर मुम्बई आ गए और यहीं से इनका संघर्ष भरा जीवन प्रारंभ हुआ। पेट भरने के लिए ये होटल पर प्लेट धोने लगे और सड़कों पर सोने लगे।
मलमल पर सोने वाले का बिछौना खुरदरी जमीन बन गया था। लेकिन अच्छे इंसान की भगवान किसी ना किसी रूप में सहायता करते हैं, इन्हें भी एक सज्जन मिल गये। उन्होंने इन्हें अपने पास रखा। 20 वर्षो तक ये अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के पड़ोस में रहे। उसी दौरान इनको निर्माता निर्देशक नितिन मनमोहन का साथ मिला जिन्होंने इना मीना डिका, लाडला, पृथ्वी, महासंग्राम और रेडी जैसी फिल्में बनाई हैं।
जब नितिन अपने कैरियर की शुरुआत कर रहे थे तब हरिओम भी उनके साथ जुड़े और इनके अंदर भी निर्माता निर्देशक बनने का शौक आ गया। इन्होंने कई फिल्म और सीरीज का निर्माण किया।
बतौर निर्माता मराठी फिल्म थाम्ब लक्ष्मी थाम्ब बनाया जिसमें अभिनेत्री नगमा मुख्य भूमिका में थी। उसके बाद फिल्म कमाल धमाल बनाई। कसाब पर बेस्ड फिल्म टेरीरिस्ट देश के दुश्मन बनाई जो कसाब से जुड़ी पहली फिल्म थी वह पर्दे पर आई।
हरिओम का जीवन सफलता के आकाश पर था मगर अचानक इनके जीवन से लक्ष्मी जी रूठ कर चली गयी और ये अर्श से फर्श पर आ गये। ये तीन चार वर्ष इनके लिए बेहद मुश्किल भरे रहे। समय कठिन था मगर इन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बस दुख इस बात का था कि जिनकी सहायता करने में इन्होंने कभी झिझक नहीं किया आज वही लोग मुंह फेरने लगे।
हरिओम वह इंसान है जो फिल्म निर्माण में पैसा लगाते हैं। ज़ब लोग चंद रुपये के लिए इनसे दूर जाने लगे। इस हालत में भी हरिओम शर्मा ने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाये, भले पैदल सड़kon पर भटके लेकिन बड़े व्यापारी और राजनेताओं से संपर्क होते हुए कभी किसी के सामने वे नहीं झुके।
उन्होंने खुद पर विश्वास रखा और जीवन के तीन चार साल तकलीफों में गुजारी। स्थिति दयनीय थी मगर हौसला बनाये रखा। हरिओम कहते हैं कि उनके करीबियों ने भले उनका दामन छोड़ दिया मगर उनके दोस्त राजू पंडा और बड़े भाई ने साथ दिया।
यह वक्त हरिओम के लिए संघर्ष भरा रहा मगर इस वक्त ने नई सीख भी दी। इसी बीच एक महिला की बुक पब्लिश करवाने के लिए इन्होंने उनकी सहायता की और वापस किस्मत इनके साथ हो चली। आज पुनः हरिओम अपने नए मुकाम पर पहुंच गए हैं और वापस फिल्म निर्माण का कार्य जोर शोर से कर रहे हैं।

गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स मैगज़ीन

मुंबई से अनिल बेदाग की रिपोर्ट

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